शोला-ए-ग़म में जल रहा है कोई
लम्हा-लम्हा पिघल रहा है कोई
शाम यूँ तीरगी में ढलती है
जैसे करवट बदल रहा है कोई
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमाँ मचल रहा है कोई
मुझको क्योंकर हो एतबारे-वफ़ा
मेरी जाने-ग़ज़ल रहा है कोई
मनु बेतखल्लुस
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28 कविताप्रेमियों का कहना है :
एक शानदार नज़्म जिसमे भावनाओ का ढेर है ............बहुत ही सुन्दर
बहुत ही बढिया !!
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
bahut khoob .
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है को
लाजवाब वैसे मनुजी की तो मैं पहले ही फैन हूँ इस सुन्दर नज़्म के लिये बहुत बहुत बधाई
Gazal prawavshali hai.
Aabhar.
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
waaaaaah manu ji .badhiya sher bana hai ...achhi ghazal hui hai
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमाँ मचल रहा है कोई
क्या बात है मनुजी? कॉलेज के दिन याद आ रहे हैं क्या ? :)
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
मुझे लगता है कि इसमें "से" शब्द शायद टाइप नहीं हुआ है....
और झूठ से बहल रहा है कोई......????
मनु जी
आप की ग़ज़ल देख के एक सुखद आश्चर्य हुआ .
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
ये शेर क्या कहने जब चाहत हद से ज्यादा हो तो शायद असा ही होता है सुंदर सोच
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
क्या कहने .किस किस के बारे में लिखूं सबभी शेर बहुत अच्छे हैं
सादर
रचना
पूजा जी ,
और झूठे बहल रहा है कोई
मैंने तो इसे ऐसे ही लिखा है,
( मेरा मतलब ये है के झूठ-मूठ ही खुद को बहलना ...या खुद ही बहलना..
उसके वादे मेरे लिए दिल लुभाने की बातें हैं और मैं खुद ही बहल रहा हूँ...)
रचना जी,
ये आश्चर्य तो आज खुद मुझे भी हुआ है...
सभी को धन्यवाद,,,,
निर्मला जी,
ऐसे मुझ को अपना फैन कह कर शर्मिन्दा न करें ,,,मैं बहुत छोटा हूँ ( अर्श सा ही समझिये ,,)
bas sneh banaye rakhein...
मुझको क्योंकर हो एतबारे-वफ़ा
मेरी जाने-ग़ज़ल रहा है कोई
Speechless!
God bless
RC
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमाँ मचल रहा है कोई
वाह....वाह....मनु जी ये कम्बखत दिल भी मौसम देख के रंग बदलने लगता है .....बहुत खूब....!!
मुझको क्योंकर हो एतबारे-वफ़ा
मेरी जाने-ग़ज़ल रहा है कोई
वाह......क्या अदा है .....!!
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई...
बहुत सुंदर ग़ज़ल है
raha nahi gaya...
bahut hi khoobsurat ghazal kahi hai manu ji
aur yeh do sher to bahut hi pyaare kahe hain
शाम यूँ तीरगी में ढलती है
जैसे करवट बदल रहा है कोई
aur
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
ise kehte hain ek kaamyaab ghazal
computer se duur tha, deri ke liye mu'afi.
bahut hi khoobsoorat ghazal. shaaed hi kisi she'er mein kahiin koi khaami ho.
ba nek khwahishaat
محمد احسن
غزل اردو کی تو داد بھی یردو میں - احسن
मनु जी ये शे’र पसंद आया..
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई...
अहसन जी.. मनु जी से गुपचुप बात करने का सही रास्ता निकाला है... उर्दू.. ह्म्म्म्म्म
वाह ! बहुत ही अच्छा लगा | सभी शे'र एक से बढकर एक |
बधाई |
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
umda sher, khubsurat guman, khubsurat khayal
उम्दा ग़ज़ल मनु जी
हर शेर शानदार !!!
How beautifully u write
Amazing !!
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
एक शानदार नज़्म!
बहुत बहुत बधाई !
मनु जी,
पूरी गज़ल ही लाजवाब है। फिर भी मैं इन दो शेरों को अपने बहुत करीब पाता हूँ :-
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
इस बार तो मुलाकात होनी ही चाहिये।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमाँ मचल रहा है कोई
बहुत शानदार नज़्म ! मनुजी, बधाई
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई।
--वाह, मनुजी!
पूरी गज़ल इतनी बेहतरीन है कि जबसे पढ़ी है मिजा़ज आशिकाना है।
--अभी और भी शहरों की बर्बादी का खतरा है।
-देवेन्द्र पाण्डेय।
शानदार प्रस्तुति मनु जी...
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई ।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आभार्
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है को
शानदार ग़ज़ल.
मनु जी,
देरी हो गयी है लेकिन बधाई देने में देर-अबेर हो जाने से ग़ज़ल की खूबसूरती व उसे लिखने वाले की शान में कोई कमी नहीं आती है. इतने दिनों के बाद आज अपनी सहेली.....मेरा मतलब है अपनी लैपटॉप के साथ समय फिर से बिताने का मौका मिला है. तो सबसे पहले आपको इतनी खूबसूरत ग़ज़ल लिखने के लिए ढेरों बधाइयाँ. आगे भी इंतज़ार रहेगा आपकी ग़ज़लें पढने का.
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