संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी हिन्द-युग्म के पुराने पाठक लेखक हैं। काफी दिनों से इनकी टिप्पणियाँ नहीं दिख रहीं, लेकिन कभी-कभार कविताओं के माध्यम से इनकी उपस्थिति दिख जाती है। दिसम्बर २००८ की यूनिकवि प्रतियोगिता में इनकी कविता ने दसवाँ स्थान बनाया है।
पुरस्कृत रचना- यदि चाहो आतंक मिटाना
एक राह से नहीं रूकेगा, हर-राह पर चलना होगा।
यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।
आतंक नहीं है, नई चीज,
युगों-युगों से चलता आया।
प्रति-पल जगकर आगे बढ़,
सुरक्षित अपना देश बनाया।
आतंक-रावण हावी है फिर, युवा-राम को जगना होगा।
यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।
बम का ही आतंक नहीं है,
शोषण भी आतंक मचाता।
नारी भी आतंकित होती,
जबरन नर, रंगरेली मनाता।
द्रोपदी चीर-हरण हो रहा, श्याम को फिर से आना होगा।
यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।
व्यवस्था, अव्यवस्था कर रही,
प्रशासन ही नाकारा हो रहा।
भ्रष्टाचार में आकंठ डूबकर,
अधिकारी है जेब भर रहा।
भ्रष्टाचार मिटाकर जड़ से, प्रशासन को सुधरना होगा।
यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।
जनतंत्र को भीड़तंत्र कर,
राजनीति आतंक कर रही।
हिन्दी-मराठी झगड़ा करके,
देश को ये, कमजोर कर रही।
जनता को अब जगकर खुद ही, नेताओं को कसना होगा।
यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।
अपनी रक्षा सुदृढ़ करके,
पड़ोसियों को कसना होगा।
राष्ट्रभाव हर हृदय जगाकर,
जन-जन जाग्रत करना होगा।
प्रेम-रंग में रंगकर सबको, अपनत्व का भाव जगाना होगा।
यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- २॰५, ५॰५, ६॰०५
औसत अंक- ४॰६८३३
स्थान- तेइसवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ५, ४॰६८३३ (पिछले चरण का औसत
औसत अंक- ४॰५६११
स्थान- दसवाँ
पुरस्कार- कवि गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' द्वारा संपादित हाडौती के जनवादी कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह 'जन जन नाद' की एक प्रति।
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत शुन्दर लिखा है संतोष जी। आज देश को इसी राह पर चलना चाहिए।
आज देश की स्तिथि को देखते हुए एक-एक पंक्तियाँ सटीक अर्थ में! अच्छी रचना बधाई!
बहुत सही | इस ऊर्जापूर्ण रचना के लिए बधाई |
अवनीश तिवारी
भावपूर्ण एक एक शब्द
सुंदर कविता
रचना
राष्ट्रप्रेमी जी,बधाई स्वीकार करें..
आलोक सिंह "साहिल"
thank you very much for so good comment.
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