काव्यपल्लवन के अब तक उन्नीस अंक प्रकाशित हो चुके हैं। हर बार हम एक नया शब्द ले कर आये और नई तरह की अलग अलग लोगों की ढेरों रचनायें प्रकाशित की। कभी त्योहारों पर लिखा गया, कभी आप लोगों से ही हमने जानना चाहा कि किस विषय पर लिखा जाये। "पहली कविता" की शृंखला को लोगों ने काफी पसंद किया और इस प्रयोग से हमें नये कवि भी मिले। हम मानते हैं प्रयोग होते रहने चाहिये, तभी हम अपने उद्देश्य पर भी आगे बढ़ते रहेंगे। हर कला को हिंदी से और हिंदी को हर कला से जोड़ना है। तो इसी के मद्देनज़र हम आज से शुरू कर रहे हैं काव्य-पल्लवन का नया रूप। हम यहाँ एक चित्र प्रकाशित कर रहे हैं। करना केवल यह है कि आपको इस चित्र पर आधारित कुछ पंक्तियाँ अथवा कविता लिखनी है। हम पहले भी कविताओं पर आधारित चित्रकारों के चित्र प्रकाशित कर चुके हैं यहाँ चित्र के आधार पर कविता लिखनी है।
इस बार हम हिंदयुग्मी फोटोग्राफर मनुज मेहता का चित्र पेश कर रहे हैं।
यदि आप इसी चित्र के विषय पर अपना कोई चित्र या फोटो भेज सकते हैं तो आपका स्वागत है।
अपनी रचनायें kavyapallavan@gmail.com पर भेजें। रचनायें भेजने की अंतिम तिथि २४ नवम्बर है।
आपको हमारा यह प्रयास कैसा लगा ज़रूर बताइयेगा।
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17 कविताप्रेमियों का कहना है :
हिन्दयुग्म द्वारा यह नई शुरुयात अत्यन्त सराहनीय है | नव-अंकुरों को प्रफुल्लित करने के लिए हिन्दयुग्म द्वारा समय-समय पर जो कदम उठाए जाते है उसके लिए हिन्दयुग्म और इससे जुडा हर व्यक्ति बधाई का पात्र है .......सीमा सचदेव
आपका यह नया प्रयोग मुझे बहुत अच्छा लगा! और आशा करती हूँ कि हिन्दयुग्म के सभी कवि व पाठक इसे सराहेगें! धन्यवाद!
हिंद युग्म की लिए हार्दिक शुभ कामनाएं.
मुझे यह नया रूप बहुत अच्छा लग रहा है. एक नई सोच दी है. देखें कौन कौन से दृष्टि कोण से कविता लिखी जाती है.
बहुत ही उत्त्साहावर्धक प्रयास है ..ज़रूर लिखेंगे.आभार एक सुंदर मंच देने का हिन्दयुग्म .
धन्यवाद
बहुत ही उत्त्साहावर्धक प्रयास है ..ज़रूर लिखेंगे.आभार एक सुंदर मंच देने का हिन्दयुग्म .
धन्यवाद
A.M.Sharma
सराहनीय प्रयास है। इस संबंध में एक सुझाव यह कि प्रकाशित रचनाओं से सर्वोत्तम का चयन रेटिंग के आधार पर पाठक करें और हिन्दयुग्म उस सर्वोत्तम रचना के लेखक को पुरस्कृत करे ।------देवेन्द्र पाण्डेय।
naayab hai yah ,behtareen ab to aap
jinhe kavita ka k bhi nahi aata hai unhe bhi prerit karenge kavita
likhne ke liye
एक अनूठा और काबिल-ए-तारीफ़ प्रयोग!
बधाईयाँ।
बहुत देर तक इस चित्र को देखती रही सोचती रही क्या सोच रहा होगा ये आदमी इस के दिमाग में भूख दावा दिहाडी नजाने क्या क्या चल रहा होगा
बस आखें नम हो गई मनुज जी ने क्या तस्वीर ली है
सादर
रचना
thanks for liking this shot rachna ji, if you want to know what this man is thinking then please click on to this photograph and you will reach to Chitrawali where i have given a discription what he is thinking. must read that.
thanks
manuj mehta
इस नई शुरुआत से नई कवियों को अपनी प्रतिभा जगाने का अवसर मिलेगा. इस प्रकार की शुरुआत के लिए धन्यवाद.
badlav hamesa se hi sarahniye tatha
swikayneeye raha
डा.रमा द्विवेदी said...
हिन्द-युग्म समय-समय पर नए-नए प्रयोग करता रहता है ..यह कदम भी प्रशंसनीय है....शुभकामनाओं सहित....
कौन सा सफर है ये,
किस मंज़र को देख कर हैरान हैं आँखें
ये किस मकाम पर आकर ठहर गए मेरे पैर
ना हासिल है कुछ, ना कोई और तलाश है,
ये तस्वीर देखकर तो लगता है
की बुढ़ापा शायद मुसलसल मौत का इंतज़ार है.
- दिनेश "दर्द", उज्जैन.
9827728855
किसना किसान और उसका बेटा शीर्षक से मेरी एक कविता हिन्द युग्म यूनी कवि प्रतियोगिता में मार्च ०८ में प्रकाशित हो चुकी है ... मुझे तो जैसे इस चित्र में अपना किसना ही मिल गया है ...
आपकी प्रयोग धर्मिता को नमन करते हुये स्वागत करता हूँ , इस आयोजन का
ये कुछ पल है..
क्या भूलूँ क्या याद करू !!
धन्याद हिन्दयुग्म एक सुंदर मंच देने के लिए
भावनावों की अभिव्यक्ति के लिए
आभार !!!
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