फूल लिखना कि पान लिखना
गेहूँ लिखना कि धान लिखना
कागद पे चाहे जो भी लिखना
दिल पे मगर हिन्दी-हिन्दुस्तान लिखना
वेद लिखना कि पुरान लिखना
सबद लिखना कि कुरान लिखना
कागद पे चाहे जो भी लिखना
दिल......
सुबह लिखना कि शाम लिखना
रहीम लिखना राम लिखना
कागद पे
दिल पे.....
मजूर लिखना कि किसान लिखना
बच्चे-बूढ़े या तुम जवान लिखना
कागद पे ...
दिल पे.......
गीत गज़ल का उनवान लिखना
तमिल उड़िया जुबान लिखना
कागद पे..
दिल पे हिन्दी-हिन्दुस्तान लिखना
-- डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम'
रोहतक (हरियाणा)
हिन्दी दिवस,
भाषा और साहित्य का-
है दिवस एक पावन;
पर एक शंका उठती रही,
सामने है खड़ा वह-
अंग्रेजी का रावण।
दिख रहा स्पष्ट यह,
लीलता है जा रहा-
हिन्दी की वह गरिमा को;
कमर कस हिन्दी सेवक,
हों अगर तैयार सब-
बचा लें इसकी महिमा को।
हिन्दी के मानस पुत्रों ने,
विकास के रोड़े हटाये-
किया संघर्ष-दुर्धर्ष;
आज है यह हमारी,
साहित्य के प्रति जिम्मेदारी-
न जाए वह संघर्ष-व्यर्थ।
भारतेंदु और प्रेमचंद,
निराला से लेकर पन्त-
करते रहे प्रयास;
हिन्दी साहित्य को दे,
रचनाओं की समृद्धि-
किया इसका विकास।
हिन्दी जोड़ती एक सूत्र में,
उत्तर से ले दक्षिण तक-
कार्य करती रही;
बिना हिन्दी के बने कैसे,
एक देश और एक राष्ट्र-
हमारा अखंड हिंदुस्तान।
संस्कृति की रक्षा,
करना है हिन्दी के द्वारा-
हमपर है यह कर्ज;
संकल्प लें हम,
हिन्दी रक्षा कर-
निभाएंगे अपना फर्ज।
यही उद्घोष है अपना,
हिन्दी के अनवरत विकास की-
लड़ेगा जो लड़ाई,
वही साधक है,
पाने लायक बचा बस-
हिन्दी दिवस की बधाई।
--प्रमोद कुमार,
जामतारा,
झारखण्ड (भारत)
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
दोनों कवितायें बहुत अच्छी है
मुझे बहुत पसंद आई
सादर
रचना
हिन्दी जिंदाबाद...
मगर हिन्दी में अपना नाम लिखना
हिन्दी-दिवस की बधाइयाँ।
दोनों ही कवितायेँ बेहद उम्दा.
आलोक सिंह "साहिल"
हिन्दी अमर रहे।
हिन्दी दिवस को सभी को बधाईयाँ!
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