हिन्द-युग्म काव्य-पल्लवन के अप्रैल २००८ अंक का विषय देने में बहुत विलम्ब कर चुका है। शायद कुछ अनियमितताओं के कारण पाठकों ने भी विषय भेजने में बहुत अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई। खैर आगे से हम फिर दुरस्त हो जायेंगे।
अप्रैल २००८ अंक के लिए 'अंधेरे से उजाले तक' विषय पर हिन्द-युग्म कविताएँ, चित्र और छायाचित्र आमंत्रित कर रहा है। अपनी अभिव्यक्ति को उपर्युक्त तीनों में से किसी भी रूप में २२ अप्रैल २००८ की मध्यरात्रि तक kavyapallavan@gmail.com पर भेजें। काव्य-पल्लवन का यह अंक २४ अप्रैल २००८ को प्रकाशित कर दिया जायेगा।
इस बार हमें अवनीश एस॰ तिवारी, पूजा अनिल, मोहिन्दर कुमार और डॉ॰ अनिल चड्डा की ओर से विषय प्राप्त हुए। हमने मोहिन्दर कुमार का विषय चुना है। विषय प्रेषित करने के लिए सभी पाठकों का धन्यवाद।
काव्य-पल्लवन क्या है?
अंक-१
अंक-२
अंक-३
अंक-४
अंक-५
अंक-६
अंक-७
अंक-८
अंक-९
अंक-१०
अंक-११
अंक-१२
अंक-१३
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
बेहतरीन विषय,इस बार कविता पढने में मजा आएगा,
आलोक सिंह ''साहिल''
विषय बहुत ही दिलचस्प है| अनेकों रंग की कविताओं की आशा रखती हूँ|
बहुत अच्छा विषय है अंधेरे से उजाले तक ,मुझे कुछ मृग तृष्णा से मिलता-जुलता सा लगा ....
काव्यात्मक विषय हेतु बधाई
जमीं है सुर्ख, आसमां से साए उतरते हुए
कही है जिंदगी ने कुछ अल्फाज से, दबे हुए
दूर तक गुबारों की सी गर्द है उड़ी हुई
अहसास के सीने में एक साँस है गड़ी हुई
कहीं बेपरवा से जवाबों, कहीं बे-मजमू से सवालों तक
आँख नम है, राह कम है, कुछ ऐसे ही ख्यालों तक
ये दिन गुजरते जायेंगे, आयेंगे खुश हालों तक
है कदम-डर-कदम रवां, अंधेरों से उजालों तक
Bahut hi Khoobsoorat Nazm,
Badhaee
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