हिन्द-युग्म की पूरी टीम नई-नई आवाज़ों, नये-नये संगीतकारों को इस मंच से जोड़ने में लगी गुई है। हमने अब तक ९ नई आवाज़ों और ७ संगीतकारों को संगीतबद्धों गीतों के माध्यम से तराश भी लिया है। पिछले तीन महीने में हिन्द-युग्म के संगीत-क्षेत्र में हुए प्रयास गीतों के रूप में दृष्टिगोचर होते रहे हैं। अब तक आपलोगों ने ९ संगीतबद्धों को सुना। आपने सराहा भी और मार्गदर्शन भी दिया। हमें इस बात की खुशी है कि हम हर बार पिछली बार से बेहतर पेशकश ला पा रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने आभा मिश्रा की आवाज़ में उन्हीं के द्वारा संगीतबद्ध निखिल आनंद गिरि की ग़ज़ल 'इन दिनों' को सुना। इस बार फिर आभा मिश्रा की ही आवाज़ और उन्हीं के द्वारा स्वरबद्ध निखिल आनंद गिरि की लिखी ग़ज़ल ' सुबह जीता हूँ' को हम आपकी नज़र कर रहे हैं।
हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा, ताकि हम अपने प्रयासों को सही दिशा दे सकें।
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ग़ज़ल के शे'र-
युग्म के अब तक के स्वरबद्ध गीत आप यहाँ सुन सकते हैं -
सुबह की ताज़गी
वो नर्म सी...
ये ज़रूरी नही
तू है दिल के पास
एक झलक
बात ये क्या है जो
मुझे दर्द दे
सम्मोहन
इन दिनों
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
इस सुमधुर गज़ल के लिए निखिल भाई एवं आभा जी को बहुत-बहुत बधाई ।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
अच्छी लगी यह १० वी गजल भी :)
Alaap me bahut sudhar kiya jaa sakta tha, high pitch par singer ki aawaj limit hoti si lagti hai, ek do bar retake kar ke isko sudhar sakte the.
aabha ji ki aawaz bahut achchi hai.
Dhun bhi suitable hai.
good work
awaaz bahut dumdaar hai...gazal ko sundar bana diya....jab aap aalap lagaate ho to use jaldi khatam kar dete ho...kisi bhi shabd ko sahi dhang se sur dene ke liye use kheechna padta hai....taaki ek lines se doosri line me jaane ka antar na pata pade...bas is pause par thoda kaam kariye......warna aapki awaaz bahut bahut pyaari hai.
अच्छी ग़ज़ल है .
आभा जी आप की आवाज मधुर है
मगर मुझे इस से पहली वाली ग़ज़ल में
आप की गायकी ज्यादा अच्छी लगी.
निखिल भाई और आभा जी इस मीठी प्रस्तुति के लिए बधाई कबूल करें.
आलोक सिंह "साहिल"
बढिया प्रयास.. आवाज और बोल मय धुन के पसन्द आये..
और भी अच्छा हो सकता है.. सुधार की गुंजाइश तो अंत तक रहती है..
सराहनीय प्रयास है । आवाज़ मधुर और मंत्र-मुग्ध करने वाली है । बधाई
बहुत सुन्दर ....आभा
निखिल ....
बहुत बहुत स्नेह और शुभाशीष
bahut hi madhur aawaz hai. abhaji aapki awaz sarahniya hai. nikhil ji apki gazal bhi utni hi sarahniya hai.
abha ji aapki awaz bahut hi madhur hai. aapki awaz mein dono hi ghazal pyari lagti hai.nikhil ji gane ke bol bhi bahut aache hai
awaz mein ek jadoo hai main hamesha is gane ko sunti hu. mujhe ye ghazal pahle wali se zyada aachi lagi. dhun bhi bahut hi aachi hai.
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