अभी २३ दिनों पूर्व हमने अपना पहला संगीतबद्ध गीत ज़ारी किया था, और आज हम आपके समक्ष दूसरा गीत लेकर उपस्थित हैं। इस गीत की टीम पुरानी है, लेकिन आपको गीत सुनकर यह संतुष्टि ज़रूर मिलेगी कि आपकी प्रतिक्रियाओं का इन पर बहुत सार्थक प्रभाव पड़ा है।
ज्यादा भूमिका बनाने की ज़रूरत नहीं है। बस इतना बताना काफ़ी होगा कि पहले गीत को सुनने के बाद कई संगीतकारों व गायकों ने हमसे संपर्क साधा।
दूसरा गीत 'वो नर्म सी' भी पूरी तरह इंटरनेट-सेवा की मदद से बनाया गया है। न कोई स्टूडियो गया है, न कोई एक-दूसरे से मिला है। संगीत पर ऋषि एस॰ बालाजी ने वर्जिश की है तो आवाज़ पर सुबोध साठे ने। सजीव सारथी भी गीत के बोलों को इधर-उधर इस इंटरनेटीय-प्रयोगशाला में ही करते रहे हैं।
नीचे के प्लेयर से गीत सुनें-
कोई परेशानी आये तो यहाँ से डाऊनलोड कर लें।
गीत के बोल
वो नर्म-सी मदहोशी कहाँ है,
वो सब्ज़-सी सरगोशी कहाँ है,
मिलती नहीं, तेरी सदा,
बस सर्द-सी, खामोशी यहाँ है,
१.
फैली है चारसू, कैसी ये उदासी,
लगती है बद्दुआ-सी अब हवा भी,
टूटा साज़, रूठा राग,
ढूंढे वो सुर कहाँ है,
वो नर्म-सी....
२.
गुनने लगी है रात, कितने फ़साने,
आने लगे हैं याद, गुजरे ज़माने,
टूटा साथ, छूटा हाथ,
टूटा ये दिल यहाँ है,
वो नर्म-सी ....
हिन्द-युग्म दिसम्बर २००७ के अंत तक ८ से १० गीतों (ग़ज़लों) का एक अल्बम पूरा करना चाहता है। यदि आप में से कोई आवाज़ देने या संगीत देने (या दोनों) में रुचि रखता हो तो sajeevsarathie@gmail.com पर संपर्क करे।
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36 कविताप्रेमियों का कहना है :
पहले गाने से ज्यादा सुंदर ..संगीत भी आवाज़ भी और बोल भी ..बधाई आप तीनो को
सुन के बहुत बहुत अच्छा लगा !!:)
मैंने काफी कोशिश की लेकिन नही सुन पाया.
Facing some issue at my end.
यदि कोई मुझे दोव्न्लोदाब्ले फाइल भेज दे टू शायद सुन सकू.
anish12345@gmail.com
अवनीश
bahut khuub..geet..dhuun..aur avaaz..teeno hi behtareen..pehley geet se zyaada acchaa laga ye combination
बहुत ही सुन्दर बना है ये गीत भी, एक और पुष्प खिला है हिन्द युगम के केनवास पे। सगींत इस बार पहले गीत से भी ज्यादा अच्छा है और आवाज भी ज्यादा सधी हुई। गीत के बोल भी बड़िया। सब मिला के मैं पूरी टीम को ब्धाई देना चाहुंगी इतने बड़िया प्र्यास के लिए
बड़े खूबसूरत प्रयास से यह सगींत बना है.
बहुत बहुत बधाई
सजीव जी
आपकी टीम तो कमाल कर रही है । मुझे लगता है जल्दी ही हिन्द युग्म संगीत जगत पर कब्जा कर लेगा ।
गीत भी प्यारा है और आवाज़ भी । जितने लोगों ने भी परिश्रम किया है उस सबको ही बधाई ।
बहुत अच्छा लगा गीत सुनके।
पूरी टीम को बहुत बधाई। बहुत अच्छा काम किया है सबने।
हिन्द-युग्म के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। अब तो सुबोध ने अपना उच्चारण भी सुधार लिया है। मुझे दोनों बार ऋषि के संगीत बहुत सुंदर लगे। इस बार बोल भी गीत की तर्ज़ पर अधिक फ़िट है।
आप तीनों बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। आप तीनों को बहुत-बहुत बधाइयाँ व अगले प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएँ।
सुर स्वर और संगीत एक से बढकर एक .. बहुत खूब ...
भाई सच कहें तो हमें पहला वाला पसन्द आया!
वैसे एक एल्बम में १२-१२ गाने आते हैं, यानि अभी तो दस और बाकी हैं। बस आप सुनवाते रहिये।
हम इंतजार कर रहे हैं।
कमाल है आप तीनों ने बहुत अच्छा काम किया है..
गीत,संगीत और धुन के बारे में क्या कहना
प्रयास जारी रहे..
शुभकामनाओं के साथ
सुनीता
सुन्दर, कर्णप्रिय मधुर संगीत सुनाने के लिए धन्यवाद ..आप तीनो लोगों का ..साथ ही हमारे उन मित्रों का भी जिनके सहयोग से हिन्दयुग्म दिन प्रतिदिन नई कोशिश कर रहा है ...आप सब लोगों एक बहुत ही अच्छी तथा प्रेरणादायक कार्य कर रहे है ,,,, भगवान् आप सब को आपके कार्य में सफलता दे ....
बहुत हीं सुंदर गीत है। सजीव जी, ॠषि जी और सुबोध जी को बधाई।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
बहुत संदर. मधुर. यकीन नहीं होता कि यह सब कुछ सिर्फ जाल की मदद से किया गया है. प्रयोग करते रहें, पोस्ट करते रहें. आप लोग एक नये आंदोलन को रूप दे देंगे -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??
टूटा साज़, रूठा राग,
ढूंढे वो सुर कहाँ है,
वो नर्म-सी...., संगीत रचना भी अच्छी बन पड़ी है, पर सिन्थेसाइज़र के अलावा भी कुछ अन्य वाद्ययंत्र का भी प्रयोग किया जा सकता है, आपकी पूरी टीम को मेरी शुभकामनाएं !!!!
सजीव जी एवं उनकी टीम की जितनी प्रसंशा की जाये, कम है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बढिया काम. पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाईयाँ!
एक सुझाव है तल्ल्फुज़ का ख़याल रक्खें. कई जगह खटकता है.
यह गीत पहले से ज्यादा निखर कर आया है, और शब्द भी स्पष्ट हुए है।
पूरी टीम बधाई की पात्र है।
एक दम बढिया, बोले तो ........
गीत मस्त
आवाज दुरुस्त
संगीत चुस्त
बधाई भाई बधाई
गीत का मुखड़ा काफी अच्छा बना है लेकिन अंतरे में थोडी और गुन्जायिश है. तल्फ्फुज़ पर थोड़ा काम करने की ज़रूरत है. जहाँ तक सिर्फ़ सिन्थ का इस्तेमाल करने की बात है, मुझे लगता है इंटरनेट के इस्तेमाल से इतना भी किया जाना काफी है. अब शुरुआत हो ही गई है, सुधार होते रहेंगे.
शुभकामनाएं
शाश्वत
पृयेवर संजीव आपके तीनों ही गीत न केवल सुने समझे बलकी गुन गुनाये भी ..प्रशंसा की सीमा नहीं बहुत कुछ सीर्फ महसूस हुआ ,समझो प्रयास दील को छू गया.कमियाँ कहाँ न होतीं ? ढूंडने े पे मील ही जाएँगी गायकी बेजोड़ है नयापन लीये है सीर्फ कुछ उचारण के बिनदू डगमगा गए एक दो जगह पर ...माफ़ कर देना दोस्त गीत के सभी बोल उत्तम हैं नए प्रयोग जइसे हैं खासकर वेश्या वाले कथन में .....दुल्हन जो हर रात बेवा हो जाती ......है !संगीत में मेलोडी और वेस्टर्न का सुंदर संगम है भाई ...लगता है बड़ी मेह्नत की ऋषि जी ने...सभी आ चुके और आने वाले बधाई के पात्र हैं ...हमारे योग्य सेवा हो तो हिच्किचायियेगा नहीं ..सदेव ही हाजीर हैं
संजीव जी आप सचमुच बधाई के पात्र हैं| पिछला गाना भी बहुत सुंदर था पर इस गाने ने टू युग्म पर चार चाँद लगा दिए| फ़िर से बधाई
वाह!!
बहुत बढ़िया, यह दूसरा गीत भी बढ़िया रहा आप लोगों का!!
यह एक बढ़िया योजना है कि ऐसे ही पूरा एक एलबम बनाया जाए!!
शुभकामनाएं
पूरी टीम को बधाई। एलबम के इंतज़ार में...
अति सुंदर, गीत, संगीत और आवाज । उच्चारण भी एकदम स्पष्ट । बहुत बहुत बधाई । बार बार सुनने को मन करता है ।
--डा. रमा द्विवेदीsaid..
गीत संगीत अच्छा है लेकिन एक बात मैं कहना चाहूंगी कि गीत की पंक्तियां पुनरावृत्ति करके गाना था तब शायद सुनने वाले के दिलोदिमाग को ज्यादा प्रभावित कर सकेगा...गीत बहुत छोटा है..जब तक इसका असर शुरू होता है गीत खत्म हो जाता है और सुनने वाला आनंद के चरम शिखर को नहीं छू पाता....गुंजाईश अभी भी बहुत हैं लेकिन आपका प्रयास निश्चित ही सराहनीय है..आशा है कि आगे और भी सुधार और निखार आयेगा .. आप सबको बधाई और शुभकामनाएं।
पहले वाला गीत इससे बेहतर था...गीत सुनने के बाद सुनने वाला गुनगुनाता रहे तब सच में गीत-संगीत की सार्थकता बढ़ जाती है.....मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक दिन आप शीर्ष पर होंगे....
गीत में मधुरता है। बोल अच्छे हैं। लेकिन एकाध जगह उच्चारण में दोष है।
मेरी मंगल कामनाएं।
रिपुदमन
गीत सफल रहा। भविष्य के प्रति आशावान हैं।
सजीव जी मैंने गीत सुना एक बात कहना चाहता हूं वो ये कि भले ही गीत बहुत अच्छा है मगर हमें हमेशा ये प्रयास करना चाहिये कि हमारा हर प्रयास पिछले से ज्या दा अच्छा हो और ये गीत सुबह की ताजगी को पीछे नहीं छोड़ पाया । गीत बहुत अच्छाे है पर बात वही है कि आपकी टीम अपने पिछले प्रयास को हरा नहीं पाई है और जब तक हम अपने को ही हराना नहीं शुरू करते तब तक हम आगे नहीं बढ़ पाते
कुछ लिख कर सो कुछ पढ़ कर सो
जिस जगह जागा था उस जगह से बढ़ कर सो
क्षमा करें मैं प्रशंसा से ज्याकदा सलाह में विश्वारस करता हूं । एक सलाह आपको भी देना चाहता हूं आपके शब्दं पिछले बेहतरीन गीत से काफी कमजोर हैं पिछली बार गायक की आवाज में थोड़ी समस्याब थी जो इस बार नहीं है
आपका गीत ये है
वो नर्म-सी मदहोशी कहाँ है,
वो सब्ज़-सी सरगोशी कहाँ है,
मिलती नहीं, तेरी सदा,
बस सर्द-सी, खामोशी यहाँ है,
१.
फैली है चारसू, कैसी ये उदासी,
लगती है बद्दुआ-सी अब हवा भी,
( उदासी का मिलान किसी ठीक से मिलान से होना था नहीं हो पाया )
टूटा साज़, रूठा राग,
ढूंढे वो सुर कहाँ है,
वो नर्म-सी....
२.
गुनने लगी है रात, कितने फ़साने,
आने लगे हैं याद, गुजरे ज़माने,
ये पंक्तियां बहुत अच्छीज हैं
टूटा साथ, छूटा हाथ,
टूटा ये दिल यहाँ है,
वो नर्म-सी ....
( गीत की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि आपने जो खूबसूरती मदहोशी, सरगोशी और खामोशी से ली है उसको निभा नहीं पाए । उसमें भी एक कमजोरी ये है कि आपने मदहोशी कहां है कहा फिर सरगोशी कहां है तो आखिर में खामोशी यहां है कहना कुछ जमा नहीं फिर आपने पहले अंतरे में कहा सुर कहां है ये तो बिल्कुाल अलग हो गया फिर कहा दिल यहां है आपकी खामोशी सरगोशी और मदहोशी का निर्वाह नहीं हो पाया है । बुरा न मानें पर आपका काम दुनिया देख रही है और ऐसे में बहुत सावधानी की जरूरत है )
गीत बहुत बढिया बना है... music थोड़ा ऊँचा जा रहा है. लेकिन फ़िर भी सुन के आनंद आ गया..
बधाई
श्रुति
mai to hindi yugm k liye naya hu leki mujhe aapka gana bahut pasand aya....
kaphi dino k baad itana badhiya sangeet suna hu...
बहुत ही सुंदर गीत है. बहुत ही पसंद आया-
संगीत अति उत्तम और गायक की आवाज़ में बहुत गहराई है-
गीत भी अच्छा लिखा है -
यह गीत कर्णप्रिय है और मन को छूता है-
कई बार सुन चुकी हूँ लेकिन पोडकास्ट पर -
यहाँ का ले प्लेयर का बटन क्लिक नहीं कर रहा है-
[रियल प्लेयर चेक कर चुकी हूँ-]
बहुत बहुत बधाई -
सुर लय ताल का बेहद सुखद समन्वय
आप तीनों तारीफ के बराबर हक़दार हैं
अलोक सिंह "साहिल"
अपनी जानी मानी त्रिमूरती तो कमाल करती नज़र आ रही है !पहला गीत ताजगी लिए हुआ था और इस गीत की नरमी भी बहुत कर्णप्रिय है !गीत संगीत और आवाज़ का बहुत अच्छा तालमेल है !बिना स्टूडियो और बिना मिले इस प्रकार का गीत प्रस्तुत करना आप की मेहनत दर्शा रहा है !आप सब को मेरी और से अनेकानेक शुभकामनाएं !
kaafi achcha tha ye song.... soft music hai isliye sunanny mei maza aaya......
very soulfull..
all the best
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