फटाफट (25 नई पोस्ट):

Thursday, November 01, 2007

हिन्दी में लिखिए और जीतिए ईनाम, पाइए सम्मान


महीने की पहली तारीख और हिन्दी-प्रेमियों से हमारा यह अनुरोध कि कृपया वो 'हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता' में भाग लें, के बीच ११ महीना पुराना नाता है।

आज हम पुनः इस गुज़ारिश के साथ उपस्थित हैं कि 'हिन्द-युग्म' की 'यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता' में भाग लेकर लिखने और पढ़ने वालों का मनोबल बढ़ायें।

एक कवि का २० प्रतिभागियों या ३० या ४० प्रतिभागियों के बीच भी प्रथम आना उसके उत्साह को बढ़ाता है। उसे अपनी शैली पर विश्वास बढ़ता है। समीक्षकों की राय उसे और बेहतर लिखने की राह बताती हैं। जिनकी कविताएँ प्रथम नहीं होतीं, उन्हें भी आत्म-आलोचना, आत्म-मंथन का अवसर मिलता है। हम यह अवसर आपको दे रहे हैं।

आपकी कविता पर पेंटिंग बनाने वाले हमारे चित्रकारों में भी अजब का उत्साह है। इसे लपक लीजिए। यूनिकवि का ख़िताब आपके इंतज़ार में है।

जब तक पाठक न हों तब तक न तो लिखने का मज़ा है, न कोई मतलब। आप पाठक ही कवि के असली मूल्यांकन कर्ता हैं। हमारे जजमेंट के बाद आखिरी जजमेंट के लिए आपके मार्गदर्शन आवश्यक होते हैं।

आपकी आलोचनाओं के कारण ही हम स्वमीमांसा करके बेहतर करने का प्रयास कर पाते हैं। आपके द्वारा हमारा उत्साहवर्धन, मार्गदर्शन और आलोचना ही मिलकर हिन्द-युग्म का भविष्य सुनिश्चित करते हैं।

यूनिकवि बनने के लिए-

१) अपनी कोई अप्रकाशित कविता १५ नवम्बर २००७ की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

२) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो।
यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।

३) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सीखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की।

४) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।

यूनिपाठक बनने के लिए

चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड ( हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टायपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।

१) १ नवम्बर २००७ से ३० नवम्बर २००७ के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करे।

२) टिप्पणियों से पठनियता परिलक्षित हो।

३) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।

४) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।

कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-

१) यूनिकवि को रु ६०० का नकद ईनाम, रु १०० की पुस्तकें और एक प्रशस्ति-पत्र।

२) यूनिपाठक को रु ३०० का नकद ईनाम, रु २०० की पुस्तकें और एक प्रशस्ति-पत्र।

३) क्रमशः दूसरे, तीसरे और चोथे स्थान के पाठकों को कवि कुलवंत सिंह की ओर से उनकी काव्य-पुस्तक 'निकुंज' की स्वहस्ताक्षरित प्रति।

४) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों को प्रो॰ अरविंद चतुर्वेदी की काव्य-पुस्तक 'नकाबों के शहर में' की एक-एक स्वहस्ताक्षरित प्रति।

5) टॉप २ कवियों और टॉप २ पाठकों को डॉ॰ कुमार विश्वास की ओर से उनकी पुस्तक 'कोई दीवाना कहता है' की एक-एक स्वहस्ताक्षरित प्रति।

७) यूनिकवि और यूनिपाठक को तत्वमीमांसक (मेटाफ़िजिस्ट) डॉ॰ गरिमा तिवारी से ध्यान (मेडिटेशन) पर किसी भी एक पैकेज़ की सम्पूर्ण ऑनलाइन शिक्षा पाने का अधिकार होगा। (लक पैकेज़ को छोड़कर)

८) इस बार भी हमारी कोशिश रहेगी कि हम नवम्बर माह की प्रतियोगिता से चुनी गईं टॉप १० कविताओं में से प्रत्यके पर पेंटिंग प्रकाशित करें। तो बस कला को कला से जोड़ने के लिए तैयार हो जाइए।

प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय कवियों की रचनाओं को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।

प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।

आप भाग लेंगे तो हमारे प्रयास को बल मिलेगा, तो आइए और हमारा प्रोत्साहन कीजिए।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

टिप्पणी देने वाले प्रथम पाठक बनें, अपनी प्रतिक्रिया दें ।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)