1.
आपकी आमद से राहें खुल गईं
बादलों से जैसे चमके रौशनी
ज़हन में कब से जमी थी मायूसी।
2.
आप से मिल के मेरा हाल ऐसा होता है
ज्यूँ समंदर में दिखे अक्स-ए-माह-ए-दोशीजा
दो-दो चेहरे लिए फिरती हूँ महीनों मैं भी।
3.
मेरे चेहरे पे शिकन पढ़ लेती हैं
आँखों में आई थकन पढ़ लेती हैं
बड़ी ही तेज़ तर्रार हैं, आँखें उसकी।
4.
बड़ी अना में कह गए थे वो जाते-जाते
अबकि उठे तो ना लौटेंगे तेरे दर पे सनम
लौट कर आए तो कहने लगे 'दिल भूल गए थे'।
5.
मुझे बे बात के रिश्तों में उलझा के
चल दिया बस अपनी बात बना के
बड़ा मतलबी निकला ये वक़्त।
6.
तेरी याद का एक लम्हा पिया
साँस आने लगी, जीना आसाँ हुआ
दमे की बीमारी है ज़िन्दगी गोया।
7.
खलिश-सी है कि दिल के किसी कोने में
मज़ा नहीं आता अब तो मिल के रोने में
ऐ ग़म अब तू उनके घर जा के रह।
8.
तुम्हारी आँखों से गुज़रते हुए डर लगता है,
जगह-जगह है भरा पानी, और फिसलन है
ना जाने कब से मानसून ठहरा है यहाँ।
कवयित्री- दिपाली आब