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हमको माफ़ करो


पिछले महीने की यूनिकवयित्री और सितम्बर २००८ माह की यूनिपाठिका रचना श्रीवास्तव का हिन्द-युग्म से रिश्ता बहुत पुराना है। आगे से ये हिन्द-युग्म पर स्थाई तौर पर कविताएँ प्रकाशित करेंगी।

खबरें बासी हों
इस से पहले
पढ़ लिया जाए
ये सोच के खोला अख़बार
पर शब्द नहीं थे वहाँ
पूरा पन्ना था खाली
समझ का बादल
छिन्न-भिन्न होता रहा
कम है शायद बिनाई मेरी
मुझे ही कोसता रहा
पन्ना संख्या तीन पर
कुछ शब्द सर जोड़े
परपंच कर रहे थे
मेरी हलचल से झुंझला के बोले
पेशानी पर नाहक ही बल डालते हो
मुख्य पृष्ट पर रोज क्या पढ़ते हो
बलात्कार, हिंसा, दहेज़ की मार
भ्रष्ट अधिकारी, कफ़न की नीलामी
नेताओं की बयान बाजी
अब तो पढ़ते-पढ़ते
आदत हो गई होगी
तो कल्पना के घोड़े दौड़ाओ
जो नहीं लिखा वो पढ़ते जाओ
जवान जो शहीद होता है
उस ख़बर को आख़िर में
एक छोटा सा स्थान मिलता है
अभिनेताओं की चटपटी खबरें
अभिनेत्रियों की नंगी तस्वीरों
और नेताओं की बीमारियों तक को
गढ़ा-गढ़ा कर के छापा जाता है
एक गरीब की आवाज को
महीन-महीन लिख के दबा दिया जाता है
शब्दों को तोड़-मरोड़ के
अपने ढंग से ख़बर बना ली
और एसे ही टी आर पी बढ़ा ली
हमने जो सच्चाई को
आवाज बनाना चाहा
मिटा दिए गए हम
बिके हुए शब्दों को
हमारी जगह बैठाया गया
झूठी ख़बर बही
लोग उसी में भीगते गए
इन बातों से होके क्षुब्ध
हम सभी अक्षर
हड़ताल पर हैं
जो तुम पढ़ना चाहते तो
वो लिखते हैं
जो वो लिखते हैं तुम पढ़ते हो
सच्चाई न वो लिख सकते हैं
न तुम पढ़ सकते हो
तो तुम्हारे पाप का भागी
हम क्यों बनें
कोरा कागज है जो चाहे पढ़ो
हमको माफ़ करो

--रचना श्रीवास्तव

हिन्द युग्म देशी-विदेशी मीडिया में


मार्च महीने में हिन्द-युग्म ने मीडिया के उन पृष्ठों पर जगह बनाई है जो उन जनसमूहों तक पहुँचते हैं जिनतक चर्चित पत्र-पत्रिकाओं की पहुँच नहीं है।

मीडिया-स्कैन ऐसी ही चार पृष्ठों की एक मासिक समाचार पत्रिका है जिसके प्रकाशक आशीष कुमार 'अंशु' ने इसके मार्च २००८ अंक में 'हिन्द-युग्म' का संक्षिप्त परिचय प्रकाशित किया है।




अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के मुखपत्र 'समाज विकास' के मार्च २००८ अंक में 'हिन्द-युग्म' के कार्यकलापों की समीक्षा प्रकाशित हुई है। यह एक वैचारिक मासिक पत्रिका है जो कोलकाता से प्रकाशित होती है।




प्रवासी भारतीयों की चर्चित मासिक पत्रिका गर्भनाल के १७ वें अंक (अप्रैल २००८ अंक) में 'पहला सुर' के विमोचन का सचित्र समाचार प्रकाशित हुआ है। यह पत्रिका लगभग हर देश के हिन्दी प्रेमियों तक पहुँचती है।