हर घर उल्लास बहुत है
ये गम का उपहास बहुत है
उस पर भी यकीन है पूरा
खुद पर भी विश्वास बहुत है
यूँ आँखों से कहा लबों ने
दिल में अब भी प्यास बहुत है
मेरे प्रियतम पास हैं मेरे
हर लम्हा अब ख़ास बहुत है
मिलना जुलना चाहे ना हो
अपनों का अहसास बहुत है
इस कड़वाहट भरे दौर में
ढूंढो अभी मिठास बहुत है
पंख ज़रा फैलाओ "अद्भुत"
उड़ने को आकाश बहुत है