फटाफट (25 नई पोस्ट):

Monday, May 09, 2011

पिता


प्रतियोगिता की आठवीं कविता अनिता निहलानी की है। हिंद-युग्म पर यह उनकी दूसरी कविता है। उनकी पिछली कविता जनवरी माह मे सातवें पायदान पर रही थी।

पुरस्कृत कविता: पिता

पुराने वक्तों के हैं पिता
उन वक्तों के
जब हवा में घुल गयी थी दहशत
खिलखिलाहटें, फुसफुसाहटों में
और शोर सन्नाटे में बदल रहा था
पाक पट्टन के स्कूलों में ।

बंटवारे की चर्चा जो पहले उड़ती थी
चाय की चुस्कियों के साथ
अब हकीकत नजर आने लगी थी
तब किशोर थे पिता,
नफरत की आग घरों तक पहुँच चुकी थी
पलक झपकते ही आपसी सौहार्द का पुल
विघटन की खाई में बदल गया था ।

पुश्तों से साथ रहते आये गाँव तथा परिवार
ढह गए थे ऐसे जैसे कोई दरख्त जड़ों सहित
उखाड़ दिया गया हो,
जलते हुए मकान, संगीनों की नोक पर
टंगे बच्चे, बेपर्दा की जा रहीं औरतें ।

रातोंरात भागना पड़ा था उन्हें
औरतों व बच्चों को मध्य में कर
घेर कर चारों ओर से वृद्ध, जवान पुरुष
बढ़ते गए मीलों की यात्रा कर
कारवां बड़ा होता गया जब जुटते गए गाँव के गाँव..

....और फिर दिखायी पड़ी भारत की सीमा
जो था अपना पराया हो गया देखते-देखते
खून की गंध थी हवा में यहाँ भी
दिलों में खौफ, पर जीवन अपनी कीमत मांग रहा था,
पेट में भूख तब भी लगती थी
...कहते-कहते लौट जाते हैं (अब वृद्ध हो चले पिता)
पुराने वक्तों में... कि सड़कों के किनारे मूंगफली
बेचते रहे, गर्म पुराने कपड़ों की लगाई दुकान
और कम्पाउडरी भी की
फिर पा गए जब तहसील में एक छोटी सी नौकरी,
हाईस्कूल की परीक्षा के लिये
सड़क के लैम्प के नीचे की पढ़ाई
पुरानी मांगी हुई किताबों से
और बताते हुए बढ़ जाती है आँखों की चमक
पास हुए प्रथम श्रेणी में,
भारत सरकार के डाकविभाग में बने बाबू
और सीढ़ियां दर सीढ़ियां चढ़ते
जब सेवानिवृत्त हुए तो सक्षम थे
एक आरामदेह बुढ़ापे की गुजरबसर में,
पर रह रह कर कलेजे में कोई टीस उभर आती है
जब याद आ जाती है कोई बीमार बच्ची
जिसे छोड़ आये थे रास्ते में उसके मातापिता,
एक बूढी औरत जो दम तोड़ गयी थी पानी के बिना ।
दिल में कैद हैं आज भी वह चीखोपुकार
वह बेबसी भरे हालात
आदमी की बेवकूफी की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी ।
पिता ऊपर से संतुष्ट नजर आते हैं
पर भीतर सवाल अब भी खड़े हैं !
_______________________________
पुरस्कार: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

9 कविताप्रेमियों का कहना है :

Disha का कहना है कि -

सुंदर व मार्मिक रचना।
बधाई

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

बहुत दिनों बाद फुर्सत में आज हिंद युग्म पर आना हुया है |
यह रचना मन को भेद गयी |
कथन बहुत ही अच्छा लगा |
फिर भी और संतुलित किया जाए तो कुल मिला कर रचना सुन्दर है |

सस्नेह ,
अवनीश तिवारी

RITESH का कहना है कि -

पिता ऊपर से संतुष्ट नजर आते हैं
पर भीतर सवाल अब भी खड़े हैं !
बंधु वाकई पानी जितना गहरा होता है उतना ही शांत होता है ,
ठीक उसी तरह पिता का व्यक्तित्व होता है .
संवेदना के इस्तर पर एक अच्छी कविता आप ने प्रस्तुत की........
..............................धन्यवाद

डॅा. व्योम का कहना है कि -

अच्छी कविता है परन्तु यह " पुराने वक्तों के हैं पिता
उन वक्तों के " में " वक्तों " का क्या अभिप्राय है ? "वक्त" का बहुबचन नहीं होता है, फिर भीऊ कुछ ५सका विशेष अभिप्राय हो तो बतायें।

شركة مكافحة حشرات بالرياض का कहना है कि -

شركة جلي بلاط بالرياض
افضل شركة تنظيف شقق بالرياض
شركة نقل عفش بالرياض سوق مفتوح
شركة تنظيف الموكيت بالرياض
افضل شركة تنظيف مجالس بالرياض
شركة تنظيف مجالس بالرياض
شركة تنظيف مسابح بالرياض
شركة تنظيف منازل بالرياض
شركة رش حشرات بالرياض

AugustCollects का कहना है कि -

An interesting discussion is worth comment. I think that you should write more on this topic, it might not be a taboo subject but generally people are not enough to speak on such topics. To the next. Cheers

Click Here
Visit Web
Fontlibrary.org

Asola YOb का कहना है कि -

You have a great blog here! would you like to make some invite posts on my blog?

Visit Web
Bridalexposure.com
Information

Unknown का कहना है कि -

The next time I read a blog, I hope that it doesnt disappoint me as much as this one. I mean, I know it was my choice to read, but I actually thought you have something interesting to say. All I hear is a bunch of whining about something that you could fix if you werent too busy looking for attention.

Weddingbee
Website
Klik Disini

Unknown का कहना है कि -

There is noticeably a bundle to know about this. I assume you made certain nice points in features also.

Roleplaygateway
Website
Klik Disini

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)