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Sunday, May 08, 2011

माँ की दी चीजों से बतियाती है माँ


रिश्तों की
सिलवटों को खोल
धूप दिखाती है
आँगन में सूखते हैं वो
भीगती है माँ
पेड़ की फुनगी से
उतार कर
घर में बोती है भोर
पर मन के
अँधेरे कोने में
स्वयं बंद होती है माँ
उजाले की
एक- एक किरण
सबके नाम करती है
और साँझ को
आँचल के कोने में
गठिया लेती है माँ
चौखट से अहाते तक
बिखरी होती है
सभी की इच्छाएँ
रात अकेले में
अभिलाषाओं की गठरी
चुपके से खोलती है माँ
रिमोट छीनने की जद्दोजहद
टी वी पर
समाचार का शोर
तेज संगीत की चकाचौंध
इन सबसे अलग
रसोई में
लोकगीत गुनगुनाती है माँ
गैरों के ताने
बरसते हैं
वो भीगती नहीं
अपनों की उपेक्षा
उसे बहा ले जाती हैं
सभी से छुपा के
पोंछती है आँसू
और उठके
काम करने लगती है माँ
होता है समय सभी के पास
पर उसके लिए नहीं
झुर्रियों में
अपना यौवन तलाशने को
खोलती है
दहेज़ का बक्सा
सहलाती है शादी का जोड़ा
माँ की दी चीजों से बतियाती है माँ

कवयित्री- रचना श्रीवास्तव

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

amita kaundal का कहना है कि -

रचना जी बहुत सुंदर कविता है एक एक शब्द दिल को छू गया माँ की व्याख्या बहुत ही सुंदर की है आपने माँ किसी की भी हो उसकी प्रतिस्तीथि एक सी ही होती है यह पंक्तियाँ अति उतम हैं बधाई
गैरों के ताने
बरसते हैं
वो भीगती नहीं
अपनों की उपेक्षा
उसे बहा ले जाती हैं
सभी से छुपा के
पोंछती है आँसू
और उठके
काम करने लगती है माँ

सादर
अमिता

Shashi Padha का कहना है कि -

Maa ki di cheezon se batiyaati hai maa. Vah!!kyaa baat hai! Ati sundar abhivyaktti.

सहज साहित्य का कहना है कि -

रचना श्रीवास्तव भाव और कल्पना की ज़ादूगर है । इनका एक एक शब्द दिल की अतल गहराई से निकलकर पाठक को भीतर तक भिगो देता है । इनकी यह कविता लू-लपट में शीतल बयार की तरह है । बहुत-बहुत साधुवाद ! इसे ही कहते हैं उत्तम कविता

Anonymous का कहना है कि -

उजाले की
एक- एक किरण
सबके नाम करती है
और साँझ को
आँचल के कोने में
गठिया लेती है माँ
क्या भाव है
बधाई
सुनीता सिंह

Rachana का कहना है कि -

amita ji ,shashi ji ,himanshu ji ,sunita ji
aap sabhi ke sneh shbdon ka bahut bahut dhnyavad

Unknown का कहना है कि -

Nishabd!!! is the expression for such a beautiful poetry.

ismita का कहना है कि -

dil bhar aya, sab sach, sab khoobsoorat, maa ka chehra aisa hi to dikhta hai, hoth muskurate hue aur aankhein nam.

shikha varshney का कहना है कि -

मात्र दिवस पर ढेरों आदर्शवाद से भरी रचनाये पढ़ीं .
पर ये सबसे अलग है.
बहुत सुन्दर.

प्रियंका गुप्ता का कहना है कि -

बहुत सुन्दर कविता है...। मन को छू गई यह कविता...कहीं गहरे तक उतर जाते हैं भाव...।
मेरी बधाई...।
प्रियंका

RAKESH JAJVALYA राकेश जाज्वल्य का कहना है कि -

झुर्रियों में
अपना यौवन तलाशने को
खोलती है
दहेज़ का बक्सा
सहलाती है शादी का जोड़ा
माँ की दी चीजों से बतियाती है माँ

बहुत सुंदर कविता....दिल को छूने वाले भाव.

रचना जी ! बधाई.

Anant Alok का कहना है कि -

अति सुंदर कविता माँ को साक्षात खड़ा कर दिया आपने ...बहुत बधाई |

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