
प्रतियोगिता की नवीं कविता प्रवेश सोनी की है। हिंद-युग्म पर यह उनकी पहली प्रकाशित कविता है। अक्टूबर 1967 को जन्मी प्रवेश जी ने हायर सेकेंड्री की शिक्षा हासिल की है और सम्प्रति कोटा (राजस्थान) मे निवास करती हैं।
पुरस्कृत कविता: बेटियाँ
बचपन की छोड़ चपलता,
बेटियों हो जाती हे जब बड़ी...
माँ का दिल सूखा पत्ता हो जाता हे
लाड से दुलार से सहेजती है
सलोनी गुडिया को
कोई कहे पराया धन ...
तो दिल चाक-चाक हो जाता हे
ये तो है छुई-मुई
छू ना ले कोई इस कचनार को,
कहीं चटक न जाये
रोक दो वक्त के प्रहार को
अंजाम के ख्याल से ही
माँ का दिल घबरा जाता है!
आ जाता अतीत आँखों में
थी वो भी किसी की लाडली
अपनी तरह
सपने सजाने संग किसी के
चली जायेगी यह लाडली
रिश्ते की देख नजाकत
माँ का दिल भर आता हे
बेटियों जब हो जाती हैं बड़ी
माँ का कद बौना हो जाता है !!!
______________________________________________________________
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता।
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
10 कविताप्रेमियों का कहना है :
बेटियों जब हो जाती हैं बड़ी
माँ का कद बौना हो जाता है !!!
माँ तो माँ होती है और शायद माँ से बड़ा/बड़ी कोई कद नहीं है
सुन्दर अभिव्यक्ति
बेटियों का होना चिंता का विषय नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा चिंता का विषय होती है और बेटियों के बड़े होते ही मां का कद बौना हो जाता है....
http://veenakesur.blogspot.com/
सम्मानिय मेम प्रणाम !
सर्व प्रथम आप कि रचना को पुरस्कृत करे कि आप को हार्दिक बधाई !
सुंदर कविता के लिए आप को सधिवाद .
सादर !
Betiyan hi rishte banati hai. is janha main
बहुत खूब प्रवेशजी
कहाँ रहीं इतने दिनों आप? जनवादी लेखक संघ, कोटा आपका स्वागत करता है। बहुत सशक्त कविता लिखी है आपने। गोष्ठियों से परहेज तो नहीं होगा आपको। कोई बंदिश नहीं। बस कलम चलाती रहिए। नमन्।
सुन्दर अभिव्यक्ति शुभकामनायें
बेटियों जब हो जाती हैं बड़ी
माँ का कद बौना हो जाता है !!
बहुत ही सुन्दर भावमय प्रस्तुति ।
मेरे पहले प्रयास को सराहने के लिए आप सभी को तहे दिल से शुक्रिया ....
आकुल जी कोटा से हू पर अभी तक अपना परिचय एक साधारण गृहणी से ज्यादा नहीं बना सकी ,कोशिश करुँगी कभी मौका मिला तो गोष्टी में अवश्य शामिल होउंगी ...आभार
सुन्दर कविता .. माँ का दिल घबराता है ..अपना अतीत याद आता है.. सच है ..
बेटियों जब हो जाती हैं बड़ी
माँ का कद बौना हो जाता है
वाह क्या अभिव्यक्ति है| सुंदर|
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)