गांव सिर्फ खेत-खलिहान या भोलापन नहीं हैं,
गांव में एक उम्मीद भी है,
गांव में है शहर का रास्ता
और गांव में मां भी है...
शहर सिर्फ खो जाने के लिए नहीं है..
धुएं में, भीड़ में...
अपनी-अपनी खोह में...
शहर सब कुछ पा लेना है..
नौकरी, सपने, आज़ादी..
नौकरी सिर्फ वफादारी नहीं,
झूठ भी है, साज़िश भी...
उजले कागज़ पर सफेद झूठ...
और जी भरकर देह हो जाना भी..
देह बस देह नहीं है...
उम्र की मजबूरी है कहीं,
कहीं कोड़े बरसाने की लत है...
सच कहूं तो एक ज़रूरत है..
और सच, हा हा हा..
सच एक चुटकुला है....
भद्दा-सा, जो नहीं किया जाता
हर किसी से साझा...
बिल्कुल मौत की तरह,
उदास कविता की तरह....
और कविता...
...................
सिर्फ शब्दों की तह लगाना
नहीं है कविता,..
वाक्यों के बीच
छोड़ देना बहुत कुछ
होती है कविता...
जैसे तुम...
निखिल आनंद गिरि
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17 कविताप्रेमियों का कहना है :
गांव में है शहर का रास्ता
..................
..सच, हा हा हा..
सच एक चुटकुला है....
भद्दा-सा, जो नहीं किया जाता
हर किसी से साझा...
..................
वाक्यों के बीच
छोड़ देना बहुत कुछ
होती है कविता...
जैसे तुम...
..आनंद आ गया.
..कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ ..अनकही..अनसुनी.
..बधाई.
we want to publish our kavita , so where we should go and type .
my e-mail id -
kcmishra55@gmail.com
thankyou
Bahot Khoobsurat.. luvd it..
badhiyaa hai bhai.
shabdon ke saath achcha prayog kiyaa hai aapne. Badhai sweekarein...
बहुत अच्छी कविता है निखिल / बधाई /
सर ...उम्दा है हमेशा की तरह...कुछ कही ..कुछ अनकही...कुछ लाईनों ..के साथ....कुछ लाईनों के बिना भी..कुछ बीत में...और कुछ कहीं नहीं...बधाई के पात्र...
bahut khoob bahut sunder
bhav aur abhivyakti sab kuchh bahut sunder hai
badhai
rachana
कविता नही..धूसर शब्दों का एक कोलाज है..जहाँ काले मे सफेद रंग साँस लेता है..कई बीड्स है एक माला मे गुंथे हुए..
मेरे लिये तो इतनी भर भी कविता ही है..
और जी भरकर देह हो जाना भी..
vakyon ke beech
chhod dena bahut kuchh..
bahut hi achchhi lagi aapki kavita..
badhai svikaar karein....
वाक्यों के बीच
छोड़ देना बहुत कुछ
होती है कविता...
उस छोड़े गये हर्फों को पढ पाना भी तो कविता ही है
सुन्दर एहसास ..
सच बहुत भद्दा सा ...बांटा नहीं जा सकता सबसे ...
और कविता तुम सी ...
बहुत सुन्दर कविता ...!
सिर्फ शब्दों की तह लगाना
नहीं है कविता,..
वाक्यों के बीच
छोड़ देना बहुत कुछ
होती है कविता...
जैसे तुम...
बहुत अच्छी रचना है .. बहुत भावपूर्ण !!
नौकरी सिर्फ वफादारी नहीं,
झूठ भी है, साज़िश भी...
उजले कागज़ पर सफेद झूठ...
और जी भरकर देह हो जाना भी..
गांव और शहर की यही वास्तविकता है!.....सुंदर रचना!
ek yatra jaisi lagi aap ki yew kavita nikhil bhai .... gaon se chali shahar naukari deh se chal kavita kavita par khatm hui ... wah
जैसे तुम.....अंतिम दो शब्द औऱ पूरी कविता की व्याख्या
अंग्रेजी में कहे तो स्वीट एंड सॉल्टी है ये कविता
प्यारे से शब्द और तीखा सा सच
और सच, हा हा हा..
सच एक चुटकुला है....
भद्दा-सा, जो नहीं किया जाता
हर किसी से साझा...
बिल्कुल मौत की तरह,
उदास कविता की तरह....
और कविता...
बिलकुल सच! जैसे निखिल !
सिर्फ शब्दों की तह लगाना
नहीं है कविता,..
वाक्यों के बीच
छोड़ देना बहुत कुछ
होती है कविता...
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
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