प्रतियोगिता की आठवीं कविता का ज़िक्र बाकी रह गया था। आखिरकार रचयित्री का परिचय मिल गया है, अतः आज हम उसी का आनंद लेते हैं। नमिता राकेश को लिखने-पढ़ने का शौक विरासत में मिला। बचपन से माता के प्रोत्साहन से स्कूल कॉलेज की अनेक प्रतियोगिताओं में अनेक इनाम जीतीं। कविता-पाठ, नाटक, वाद-विवाद, नृत्य, टेबल-टेनिस, एन.सी.सी.के ईनामी प्रमाण पत्र अभी भी धरोहर के रूप में इनके पास मौजूद हैं। जीवन साथी राकेश के साथ से ये शौक परवान चढ़ा। अंग्रेजी साहित्य और इतिहास में स्नातकोत्तर, बी.एड. तथा पत्रकारिता में भारतीय विद्या भवन से स्नातकोत्तर डिप्लोमा, अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, संस्कृत तथा उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वालीं नमिता की हिंदी, पंजाबी, उर्दू में कविता/ग़ज़ल की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं। हरियाणा उर्दू अकादमी से तत्कालीन शिक्षा मंत्री एवं राज्यपाल द्वारा पुस्तक सम्मान। देश की अनेक साहित्यिक/सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मान /पुरुस्कार। दिल्ली, जालंधर, हिसार, चंडीगढ़, शिमला के विभिन्न टी.वी. कार्यक्रमों में हिंदी, उर्दू, पंजाबी में काव्य पाठ एवं संचालन। डी डी-1 से दो बार लाइव साक्षात्कार प्रसारित। प्रज्ञा चैनल से पेनलिस्ट के रूप में अनेक लाइव प्रोग्राम। देश की अनेक राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित व लम्बी फैन लिस्ट। साहित्यकार के अलावा एक कुशल व सफल मंच संचालिका-एक लम्बी सूची। तेइस सालों की सरकारी सेवा में अच्छे काम के लिए अनेक प्रशस्ति पत्र, सरकारी प्रतियोगिताओं में जोनल स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरुस्कार। विभागीय हिंदी पत्रिका का पाँच वर्षों तक संपादन। बतौर वक्ता राजभाषा निति के कार्यान्वन पर अनेक सरकारी-गैर सरकारी कार्यालयों में नियमित रूप से आमंत्रित। ऊटी, मंसूरी, मुंबई, कोचीन, नागपुर, इंदौर, इत्यादि में आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलनों में सक्रिय सहभागिता। सबसे बढ़ कर अधिकारियों/सह कर्मियों का विशेष स्नेह प्राप्त। बतौर लेखिका पाठकों/दर्शकों/श्रोताओं का प्यार/ लगाव/सम्मान/ प्रेरणा और लिखने/काम करने की प्रेरणा देता है। परिवार का साथ तो है ही।
पुरस्कृत कविता
उस घास को सलाम,
जो अपने आप ही उग आई है
फूलदार सजावटी पौधों की क्यारी में।
गड़ी है, अड़ी है, खड़ी है
बहुत बहादुरी के साथ,
क्योंकि वह जानती है,
किसी भी क्षण
माली की तेज़ खुरपी
उसे जड़ से उखाड़ फेंकेगी,
क्योंकि
तेज़ी से बढ़ते हुए उस का कद,
बराबरी करने लगा है,
फूलदार सजावटी पौधों की
और इन फूलों को भी
खतरा होने लगा है
उसके वजूद से।
घास अपने जीवन के
आखिरी क्षण गिन रही है,
फिर भी वह खुश है
क्योंकि वह जितने दिन भी जिएगी
एक चुनौती बन कर जिएगी
इन सजावटी पौधों के लिए।
घास है तो क्या हुआ।
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
ghaas jaisi cheez par kisi ne aaj tak shayad hi dhyaan diya hoga..
sahi pakda aapne, chahe ghaas hai to kya hua, bahadur hai, khush hai..
agar aap is ghaas ko kisi charitra ke saath jodti to kavita mein ek naya rang aa jata.
kavita acchi lagi. badhai
बहुत अच्छी कविता के लिए नमिता जी बहुत-बहुत बधाई!
कविता बहुत अच्छी है.....ये एक तरह से समाज के शोषित तबकों के लिए भी सांकेतिक आवाज़ है....अच्छी कोशिश
एक चुनौती बन कर जिएगी
इन सजावटी पौधों के लिए।
घास है तो क्या हुआ।
सुन्दर रचना .. घास गर अनाहूत है तो खतरा है उसे अपने अस्तित्व का पर अब तो घास भी सजावटी हो गये हैं
अरे वाह..
हद कर दी.....
ये तो कविता है......
कुछ ऐसा हुआ कि दोबारा कविता पर आना पडा...
क्योंकि वह जितने दिन भी जिएगी
एक चुनौती बन कर जिएगी
इन सजावटी पौधों के लिए।
सोचने पर मजबूर करती लाईने...
घास है तो क्या हुआ....?
घास अपने जीवन के
आखिरी क्षण गिन रही है,
फिर भी वह खुश है
क्योंकि वह जितने दिन भी जिएगी
एक चुनौती बन कर जिएगी ।
गहरे भावों के साथ अनुपम प्रस्तुति ।
namita jee ko badhai,
sadhuwad
एक सशक्त कविता जो समाज में व्याप्त उंच नीच के भेद को रेखांकित करती है. जो छोटा है उस का अडिग हो कर खड़े रहना इस कविता का एक महत्वपूर्ण सन्देश है. नमिता जी को बधाई.
वाह ! अत्यंत मौलिक, सहज, सशक्त अभिव्यक्ति.
जियो तो घास की तरह...
ऐसी रचना को मेरा सलाम !!
नमिता की यह कविता पढ़ कर मेरा भी दिल कर रहा है कि मैं घास बन जाऊं और माली को चुनौती दूं. अच्छी चीज़ है. नमिता जी की और कवितायेँ ज़रूर प्रकाश में लाएं... उर्मिल शर्मा.
नमिता जी के साथ अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक व सम्मान कार्यक्रमों में एक साथ भाग लेने का मौका मिलता रहा है। मैं उनकी कलाओं और अदाओं दोनों का ही प्रशंसक हूं। उनकी यह कविता भी मेरे मन को छू रही है।
मै आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ कि आप ने मेरी कविता को इतना पसंद किया!दीपाली जी की ख़ास तौर पर आभारी हूँ कि उन्होंने नए विषय पर मेरी कविता को सराहा !मनु जी ने मेरी कविता के लिए दोबारा समय निकाला,विशेष धन्यवाद!उर्मिल जी,यदि हिंद युग्म वाले बंधु चाहेंगे तो आप मेरी और कविता आप पढ़ सकती हैं,वैसे आप मेरे ब्लॉग पर भी जा सकती हैं!सदा जी,किशोर जी,सहेजवाला जी की टिप्पणियों के लिए आभार!आप सभी ने मेरी कविता की एक- एक पंक्ति को अपने दिल मै जगह दी...मेरा लिखना सार्थक हो गया!
हिंद युग्म को मेरा सलाम !
नमिता राकेश
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