tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post9022240939540222766..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: घास को सलामशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12794013462632456932010-07-21T23:02:44.246+05:302010-07-21T23:02:44.246+05:30मै आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ कि आ...मै आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ कि आप ने मेरी कविता को इतना पसंद किया!दीपाली जी की ख़ास तौर पर आभारी हूँ कि उन्होंने नए विषय पर मेरी कविता को सराहा !मनु जी ने मेरी कविता के लिए दोबारा समय निकाला,विशेष धन्यवाद!उर्मिल जी,यदि हिंद युग्म वाले बंधु चाहेंगे तो आप मेरी और कविता आप पढ़ सकती हैं,वैसे आप मेरे ब्लॉग पर भी जा सकती हैं!सदा जी,किशोर जी,सहेजवाला जी की टिप्पणियों के लिए आभार!आप सभी ने मेरी कविता की एक- एक पंक्ति को अपने दिल मै जगह दी...मेरा लिखना सार्थक हो गया!<br />हिंद युग्म को मेरा सलाम !<br />नमिता राकेशनमिता राकेशhttps://www.blogger.com/profile/04870246365510785190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42908532429733187062010-07-21T12:18:14.326+05:302010-07-21T12:18:14.326+05:30नमिता जी के साथ अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक व सम्मा...नमिता जी के साथ अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक व सम्मान कार्यक्रमों में एक साथ भाग लेने का मौका मिलता रहा है। मैं उनकी कलाओं और अदाओं दोनों का ही प्रशंसक हूं। उनकी यह कविता भी मेरे मन को छू रही है।Kishor se milenhttps://www.blogger.com/profile/16116195515867565481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-20587817245434937282010-07-20T11:59:28.281+05:302010-07-20T11:59:28.281+05:30नमिता की यह कविता पढ़ कर मेरा भी दिल कर रहा है कि म...नमिता की यह कविता पढ़ कर मेरा भी दिल कर रहा है कि मैं घास बन जाऊं और माली को चुनौती दूं. अच्छी चीज़ है. नमिता जी की और कवितायेँ ज़रूर प्रकाश में लाएं... उर्मिल शर्मा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86149916700754987832010-07-19T16:12:50.598+05:302010-07-19T16:12:50.598+05:30वाह ! अत्यंत मौलिक, सहज, सशक्त अभिव्यक्ति.
जियो तो...वाह ! अत्यंत मौलिक, सहज, सशक्त अभिव्यक्ति.<br />जियो तो घास की तरह...<br />ऐसी रचना को मेरा सलाम !!Safarchandhttps://www.blogger.com/profile/15362905291830639168noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-84786143405441453882010-07-19T15:50:23.182+05:302010-07-19T15:50:23.182+05:30एक सशक्त कविता जो समाज में व्याप्त उंच नीच के भे...एक सशक्त कविता जो समाज में व्याप्त उंच नीच के भेद को रेखांकित करती है. जो छोटा है उस का अडिग हो कर खड़े रहना इस कविता का एक महत्वपूर्ण सन्देश है. नमिता जी को बधाई.Prem Chand Sahajwalahttps://www.blogger.com/profile/16785012663655370640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78373969648424672702010-07-19T13:02:10.793+05:302010-07-19T13:02:10.793+05:30namita jee ko badhai,
sadhuwadnamita jee ko badhai,<br />sadhuwadसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35838519843703588142010-07-19T11:12:18.695+05:302010-07-19T11:12:18.695+05:30घास अपने जीवन के
आखिरी क्षण गिन रही है,
फिर भी वह ...घास अपने जीवन के<br />आखिरी क्षण गिन रही है,<br />फिर भी वह खुश है<br />क्योंकि वह जितने दिन भी जिएगी<br />एक चुनौती बन कर जिएगी ।<br /><br />गहरे भावों के साथ अनुपम प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2554809692483917272010-07-19T07:51:37.102+05:302010-07-19T07:51:37.102+05:30कुछ ऐसा हुआ कि दोबारा कविता पर आना पडा...
क्योंकि...कुछ ऐसा हुआ कि दोबारा कविता पर आना पडा...<br /><br />क्योंकि वह जितने दिन भी जिएगी<br />एक चुनौती बन कर जिएगी<br />इन सजावटी पौधों के लिए।<br /><br /><br /><br />सोचने पर मजबूर करती लाईने...<br /><br /><br />घास है तो क्या हुआ....?manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12971944206138864742010-07-18T22:50:02.951+05:302010-07-18T22:50:02.951+05:30अरे वाह..
हद कर दी.....
ये तो कविता है......अरे वाह..<br /><br /><br />हद कर दी.....<br /><br />ये तो कविता है......manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48963280793112431882010-07-18T21:39:33.578+05:302010-07-18T21:39:33.578+05:30एक चुनौती बन कर जिएगी
इन सजावटी पौधों के लिए।
घास ...एक चुनौती बन कर जिएगी<br />इन सजावटी पौधों के लिए।<br />घास है तो क्या हुआ। <br />सुन्दर रचना .. घास गर अनाहूत है तो खतरा है उसे अपने अस्तित्व का पर अब तो घास भी सजावटी हो गये हैंM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18793489604848410392010-07-18T20:06:03.323+05:302010-07-18T20:06:03.323+05:30कविता बहुत अच्छी है.....ये एक तरह से समाज के शोषित...कविता बहुत अच्छी है.....ये एक तरह से समाज के शोषित तबकों के लिए भी सांकेतिक आवाज़ है....अच्छी कोशिशNikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67952918762974350322010-07-18T15:43:10.980+05:302010-07-18T15:43:10.980+05:30बहुत अच्छी कविता के लिए नमिता जी बहुत-बहुत बधाई!बहुत अच्छी कविता के लिए नमिता जी बहुत-बहुत बधाई!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23097846076901606892010-07-18T12:41:56.273+05:302010-07-18T12:41:56.273+05:30ghaas jaisi cheez par kisi ne aaj tak shayad hi dh...ghaas jaisi cheez par kisi ne aaj tak shayad hi dhyaan diya hoga..<br />sahi pakda aapne, chahe ghaas hai to kya hua, bahadur hai, khush hai..<br />agar aap is ghaas ko kisi charitra ke saath jodti to kavita mein ek naya rang aa jata.<br />kavita acchi lagi. badhaiदिपाली "आब"https://www.blogger.com/profile/18338304714938415394noreply@blogger.com