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Monday, June 07, 2010

मई माह की यूनिप्रतियोगिता के परिणाम


कविता अपने समय से संवाद करने की महत्वपूर्ण कड़ी है, तो उसे आइना दिखाने और उसकी विद्रूपताओं को उजागर करने का माध्यम भी। हिंद-युग्म यूनिप्रतियोगिता के द्वारा समकालीन कविता मे हमारे समय के पदचाप खोजने का प्रयास करता है। इस बार हिंद-युग्म मई माह की यूनिप्रतियोगिता के परिणाम ले कर उपस्थित है। पिछले 41 महीनों से अनवरत जारी अंतर्जाल की इस कविता-यात्रा को पाठकों और प्रतिभागियों का अटूट स्नेह प्राप्त हुआ है। मई माह की प्रतियोगिता भी इसका कोई अपवाद नही है। हमें कुल मिला कर 67 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनको प्रथम चरण मे तीन व द्वितीय चरण मे भी तीन निर्णायकों ने आँक कर अंक दिये। दोनो चरणों के निर्णायकों के द्वारा दिये गये औसत अंकों के आधार पर मई माह की प्रतियोगिता मे मृत्युंजय ’साधक’ की कविता को यूनिकविता चुना गया है।


यूनिकवि- मृत्युंजय साधक

मई माह के यूनिकवि मृत्युंजय साधक पिछले कुछ माह से हिंद-युग्म से जुड़े हैं, और इनकी कविताएं यूनिप्रतियोगिता के शीर्ष 10 में अपना स्थान बना चुकी हैं। इनकी पिछली कविता मार्च माह मे तीसरे स्थान पर रही थी। 3 मई 1976 में जन्मे मृत्युंजय साधक प्रसिद्ध भोजपुरी टीवी-चैनल 'हमार टीवी' में बतौर सहायक-निर्माता (असिस्टेंट प्रोड्यूसर) काम कर रहे हैं। पत्रकारिता (हिंदी) मे एम. ए. कर चुके मृत्युंजय को सरस्वती साहित्य वाटिका, खजनी, गोरखपुर द्वारा सरस्वती प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया था तथा इनकी की कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होती रही हैं। इन्होंने आकाशवाणी-दूरदर्शन पर अपनी कविताओं का पाठ भी किया है।
पता- मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव ’साधक’
न्यूज सेक्शन ’हमार टीवी’
 ए-30, सेक्टर-4, नोएडा (उ. प्र.)
फोन संपर्क- 9711995584

यूनिकविता- विदाई

चौड़ी पगडंडी,
दोनो ओर जुते हुए खेत
झक सफेद
बूढ़ी चौधराईन काकी के बाल की तरह
बीच-बीच में
मैकू की बैलगाड़ी की छाप
दोपहर की तेज धूप,
सनसनाती हवा
और
रिक्शे पर बुझारत की विदा होती बेटी
गांव के पश्चिमी सन्नाटे को भेदती
उसकी आवाज,
हो जाते पके आम भी खट्टे
और झिनकू लुहार रख देता घन
सभी के हैं भरे नयन
टूसी की गाय रंभाती,
काफी देर से बछड़ा छुटा
भागा है पगहा,
कोई नहीं पकड़ता है उसे,
शामिल हैं सब बेटी की विदाई में
(देकर उसके आंचल में कुएं की दूब, हल्दी और अक्षत)
जो जा रही है खूँटे सहित
तुड़ाया नहीं उसने खूँटा
ना ही किसी को सींग दी.......
______________________________________________________________
पुरस्कार और सम्मान-   विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता तथा हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र। प्रशस्ति-पत्र वार्षिक समारोह में प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति मे प्रदान किया जायेगा। समयांतर में कविता प्रकाशित होने की सम्भावना।

इनके अतिरिक्त हम जिन अन्य 9 कवियों को समयांतर पत्रिका की वार्षिक सदस्यता देंगे तथा उनकी कविता यहाँ प्रकाशित की जायेगी उनके क्रमशः नाम हैं-

स्वप्निल तिवारी ’आतिश’
हरदीप राणा ’कुँअर जी’
वसीम अकरम
राजेंद्र स्वर्णकार
प्रदीप शुक्ल दीप
देवेश पांडे
सुरेंद्र अग्निहोत्री
अवनीश सिंह चौहान
एम वर्मा

हम शीर्ष 10 के अतिरिक्त भी बहुत सी उल्लेखनीय कविताओं का प्रकाशन करते हैं। इस बार हम निम्नलिखित 8 अन्य कवियों की कविताएँ भी एक-एक करके प्रकाशित करेंगे-

रितु सरोहा
मुकुल उपाध्याय
मनसा आनंद ’मानस’
लवली गोस्वामी
दीपाली ’आब’
हरकीरत कल्सी ’हकीर’
आशीष पंत
उम्मेद सिंह वैद


उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ 4 जुलाई 2010 तक अन्यत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें।

हिन्द-युग्म दिसम्बर 2010 में वार्षिकोत्सव का आयोजन करेगा, जिसमें वर्ष भर के 12 यूनिकवियों के साथ-साथ 4 पाठकों को भी सम्मानित किया जायेगा। पाठकों के टिप्पणियों के अनियमित क्रम को देखते हुए हम सभी पाठकों से अनुरोध करेंगे कि वे हिन्द-युग्म पर प्रकाशित सभी रचनाओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी करें और वार्षिक यूनिपाठक सम्मान के हकदार बनें।

हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें। इस बार शीर्ष 18 कविताओं के बाद की कविताओं का कोई क्रम नहीं बनाया गया है, इसलिए निम्नलिखित नाम कविताओं के प्राप्त होने से क्रम से सुनियोजित किये गये हैं।

डॉ महेंद्र प्रताप पांडेय ’नंद’
अशोक शर्मा
रितु वार्ष्णेय
शिव नंद द्विवेदी
पवन शर्मा समीर
अरुण राय
पारुल माहेश्वरी
अलका मेहता
वेदना उपाध्याय
अरविंद कुरील सागर
ओम राज पांडेय ओमी
शील निगम
उमेश्वर दत्त मिश्र निशीथ
जोमयिर जिनि
संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
खन्ना मुजफ़्फ़रनगरी
शिखा गुप्ता
बैजनाथ
कैलाश जोशी
सुधीर गुप्ता
नीलेश माथुर
संगीता सेठी
अनिल चड्ढा
रवीश रंजन
कामना राय
प्रदीप वर्मा
सुमन मीत
राजेश कश्यप
आँच ’आतिश’
रंजना डीन
हीरा लाल
संदेश दीक्षित
शारदा अरोरा
कविता रावत
गोपाल दत्त देवतल्ला
सुप्रेम द्विवेदी
नीरा त्यागी
भावना सक्सेना
अनामिका घटक
आलोक गौर
सीत मिश्र
राजलक्ष्मी शर्मा
मंजू महिमा भटनागर
श्याम गुप्ता
पीयूष दीप
के के यादव
आलोक उपाध्याय
ज्योत्सना पांडेय
स्नेह पीयूष





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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

M VERMA का कहना है कि -

जो जा रही है खूँटे सहित
तुड़ाया नहीं उसने खूँटा
ना ही किसी को सींग दी.......
खूँटे समेत जाना और फिर बछडे का खूँटा तुड़ाना सुन्दर प्रतीक हैं.
भावपूर्ण रचना
बधाई

Nikhil का कहना है कि -

प्रभावशाली रचना....कविता का जो प्लेटफॉर्म आपने चुना है, उसमें कई और बिंब भरे जा सकते थे....आंचलिक छाप वाली रचनाएं अब भी अव्वल आ रही हैं..क्या 'नए' कवियों ने लिखना छोड़ दिया है...
इस बार यूनिपाठक कौन बना, पता ही नहीं चला....क्या टिप्पणियां करने वाले भी खूंटा छुड़ाने लगे हैं...

seema gupta का कहना है कि -

यूनिकवि मृत्युंजय साधक जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाये. अन्य विजेताओ को भी हार्दिक बधाईयाँ
regards

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

is kavita ka nt bahut prabhavshali hai ..baki baaten to us bat ko kahne ka platfarm hain ... yuni kavi banne par hardik badhaiyaan aap ko .....

baki sabhi vijetaon ko dher sari badhaiyaan...

सुनील गज्जाणी का कहना है कि -

यूनिकवि मृत्युंजय साधक जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाये. अन्य विजेताओ को भी हार्दिक बधाईयाँ
regards

Aruna Kapoor का कहना है कि -

beti ki bidai ka chitran bhavpurna shabdon mein kiya hai....Mrutyunjay Sadhakji ki badhaai!

Unknown का कहना है कि -

Gavon ke sachhe drishya aur stri ki pratibadhata ya bandhan ? sach badi pyari kavita hai ......Pradeep Shukla DEEP

दिपाली "आब" का कहना है कि -

vijeta ko dheron badhai...saath hi sabhi pratibhagiyon ko badhai..
Yunhi likhte rahiye.

विश्व दीपक का कहना है कि -

उम्दा रचना..

मैं निखिल जी से पूर्णतः सहमत हूँ.. और भी बहुत कुछ किया/लिखा जा सकता था, लेकिन कोई बात नहीं, जितनी है..उतने में ही जबरदस्त है...

बधाई स्वीकारें..
-विश्व दीपक

विश्व दीपक का कहना है कि -

और हाँ.... साधक जी को प्रथम आने के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ!!

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

साधक जी को बधाई...
बढ़े समय के बाद यूनिकविता पढ़ी।
प्रतिभागियों की संख्या ने चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। ६७ कवितायें... मुझे याद नहीं कि कभी आई हैं..हालाँकि कईं बार ५० के पार जरूर गई हैं।
और मुझे काफ़ी प्रतियोगी नये लगे..इसका आशय है कि हिन्दयुग्म नये नये कवियों को तक पहुँच रहा है..बधाई...

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

जो जा रही है खूँटे सहित
तुड़ाया नहीं उसने खूँटा
ना ही किसी को सींग दी.......
खूँटे समेत जाना और फिर बछडे का खूँटा तुड़ाना सुन्दर प्रतीक हैं.
भावपूर्ण रचना
साधकजी को बहु-बहुत बधाई

Anonymous का कहना है कि -

यूनिकवि मृत्युंजय साधक जी को उम्दा रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं सभी विजेताओ को भी बहुत-बहुत बधाई!

Unknown का कहना है कि -

रचना अच्छी लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बधाई

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