मन का गहरा खालीपन है और अकेला मैं हूँ
जैसे कोई निर्जन वन है और अकेला मैं हूँ
जिसको सुनकर रातों को मैं अक्सर जाग गया हूँ
मेरा अपना ही क्रंदन है और अकेला मैं हूँ
मेरे घर के आस पास ही रहना चाँद सितारों
मेरी नींदों से अनबन है और अकेला मैं हूँ
पक्की करके रक्खूं मैं मन की कच्ची दीवारें
मेरी आँखों में सावन है और अकेला मैं हूँ
कुछ आधी पूरी कवितायें कुछ यादें कुछ सपने
मेरे घर में कितना धन है और अकेला मैं हूँ
जीवन के कितने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलें हैं
समय बचा अब कितना कम है और अकेला मैं हूँ
कभी कभी लगता है कोई करे प्यार की बातें
'रवि ' बड़ा नीरस जीवन है और अकेला मैं हूँ
यूनिकवि- रवीन्द्र शर्मा 'रवि'
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
9 कविताप्रेमियों का कहना है :
mera apna hi krandan hai aur akela main hun.......wah wah wah wah ...
is ghazal ki kyaa taareef karun !! ravi ji ne ravivaar kaamyaab kar diyaa.
Hindyugm ka koti koti dhanyavaad.
कुछ आधी पूरी कवितायें कुछ यादें कुछ सपने
मेरे घर में कितना धन है और अकेला मैं हूँ
बहुत ही सुन्दर रचना, रवि जी को बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
जिसको सुनकर रातों को मैं अक्सर जाग गया हूँ
मेरा अपना ही क्रंदन है और अकेला मैं हूँ
वाह क्या लाईने हैं... पूरी रचना ही अपने आप मे बेजोड है ..रवि जी बहुत-बहुत अभार!!
मेरे घर के आस पास ही रहना चाँद सितारों
मेरी नींदों से अनबन है और अकेला मैं हूँ
gahre bhav
पक्की करके रक्खूं मैं मन की कच्ची दीवारें
मेरी आँखों में सावन है और अकेला मैं हूँ
bahut khoob
achchhi gazal ke liye badhai
rachana
kabhi lagta hai koi kare pyar ki bate.......bda niras jivan hai akela hun main...hum sab hi yhan bhid bhari dunia mein kahin na kahin akele hai .....very nice words
Saral shabdo me sundar abhivyakti.mubarakbad.smita mishra
पूरी ही ग़ज़ल मे किसी उदास हृदय का आत्मराग किसी पखावज सा बजता रहता है..कि हर शेर दिमाग पन मन भर वज्न रख जाता हो...
और मैं इस शे’र को उठा लिये जाता हूँ
पक्की करके रक्खूं मैं मन की कच्ची दीवारें
मेरी आँखों में सावन है और अकेला मैं हूँ
जानलेवा!!
रवि जी ने अच्छी रचना प्रस्तुत की है.. उन्हें कोटि..कोटि.. धन्यवाद
बस एक ही शब्द कहना है " बेमिसाल "
के.पी.सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)