कभी खामोश लम्हों में मुझे अहसास होता है
कि जैसे ज़िन्दगी भी रूह का बनवास होता है
जिसे वो रौनके होने पे अक्सर भूल जाता है
वही तन्हाईओं में आदमी के पास होता है
सुना था दर्द होता है ग़मों का एक सा लेकिन
हमारा आम होता है तुम्हारा खास होता है
किसी के वास्ते बरसात है बदला हुआ मौसम
किसी के वास्ते ये साल भर की आस होता है
जमा होते हैं शब् भर सब सितारे चाँद के घर में
न जाने कौन से मुद्दे पे ये इजलास होता है
'रवि ' मुमकिन है सहरा में कहीं मिल जाये कुछ पानी
समंदर तो हकीकत में मुकम्मल प्यास होता है
कवि- रवीन्द्र शर्मा 'रवि'
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22 कविताप्रेमियों का कहना है :
आज कुछ हट के पढ़ा ..
बहुत खूब...
सुना था दर्द होता है ग़मों का एक सा लेकिन
हमारा आम होता है तुम्हारा खास होता है ...
बहुत बढ़िया ....!!
pasand aayee gazal.......
arsh
सुना था दर्द होता है ग़मों का एक सा लेकिन
हमारा आम होता है तुम्हारा खास होता है
हकीकत का सामना कराती सुन्दर पंक्तिया रवि जी को बहुत बहुत बधाई ,
धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
बहुत बढ़िया लगी ये ग़ज़ल...
बरसात वाला शेर तो बहुत ही अच्छा था.....
'रवि ' मुमकिन है सहरा में कहीं मिल जाये कुछ पानी
समंदर तो हकीकत में मुकम्मल प्यास होता है
really great!!!!!!!!!!!!!!!
यदि मैं ये कहूँ की रविन्द्र शर्मा 'रवि 'जी की रचनाएं पढने के बाद मैं हिन्दयुग्म की नियमित पाठक हो गयी हूँ तो गलत नहीं होगा .
कृपया इस प्रकार की बेहतरीन रचनाएं प्रकाशित करतें रहें . आपके पाठकों की संख्या दिनोदिन बढती रहेगी . एक बार फिर इस बहुत ही उत्कृष्ट रचना के लिए "रवि ' जी को एवं हिन्दयुग्म को बहुत बधाई .(पियाशर्मा )
ऐसी कवितायेँ अब दुर्लभ होती जा रहीं हैं. काव्य और अध्यात्म का सामंजस्य ही तो असली कविता है. उत्कृष्ट कोटि की है ये कविता...."तेरा गम है गमे तनहा, मेरा गम गमे ज़माना.." या तो मोमिन ने कहा था या फिर आज रविन्द्र जी की पंक्तिओं में देखा. दिल बाग बाग हो गया.....कविता वह जिसे पढ़ने के बाद देर तक मौन रहने का मन करे....पिया जी ! अब हिन्दयुग्म मामूली चीज़ नहीं १९६० का धर्मयुग हो गया है. आमीन !!
रवि जी कोई शक़ नही .. हर शेर बेहतरीन....इस सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें
कभी खामोश लम्हों में मुझे अहसास होता है
कि जैसे ज़िन्दगी भी रूह का बनवास होता है ..
और
किसी के वास्ते बरसात है बदला हुआ मौसम
किसी के वास्ते ये साल भर की आस होता है
गजब...
रविजी ,आपकी ग़ज़ल ने मन पर छाप छोड़ी .अपने मेरे लेख को सराहा धन्यवाद.फिराक जी पर और भी बहुत लिख सकती थी लेकिन अक्सर ज्यादा लम्बा थोडा उबाऊ हो जाता है इसलिए इस बार इतना ही.धन्यवाद
इस गज़ल का हर शेर लाजवाब. पर जो शेर सब से अधिक कशिश वाला है, वो यह है:
जमा होते हैं शब भर सब सितारे चाँद के घर में
न जाने कौन से मुद्दे पे ये इजलास होता है.
bahut sunder....kis sher ki taarif karoon kiski nahin...saari hi sunder rachna...pal bhar ke liye apne aap se samna ho gaya.
सभी शेर मोतियों जैसे ... बहुत खूब तरलता,सरलता और भाव का एक साथ संगम
बहुत बधाई
aapaki yah gazal bahut bahut hi pasand aai.
poonam
AAP KI GAZAL KA EK EK SHER MOTION JAESA HAI .
BAHUT SUNDER
SAADER
RACHANA
आप सब का तहे दिल से शुक्रिया ........
(रवीन्द्र शर्मा ' रवि ' )
जिसे वो रौनके होने पे अक्सर भूल जाता है
वही तन्हाईओं में आदमी के पास होता है
वाह भई क्या खूब कहा है...सच कहा है. सुन्दर बहुत सुन्दर बधाई रवि जी!
दिल को छु गया हर शेर ......ये आपके लिए
काली रात के दामन मैं कोई जुगनू चमकता है
ऐ रवि इस बज़्म मैं तेरा एहसास होता है !!!!!!!!
arse baad hind yugm par aaya aur badhiya ghazal padhne ko mili ..
कभी खामोश लम्हों में मुझे अहसास होता है
कि जैसे ज़िन्दगी भी रूह का बनवास होता है
behad khubsurat matla....
सुना था दर्द होता है ग़मों का एक सा लेकिन
हमारा आम होता है तुम्हारा खास होता है
kya baat hai ..waah .... aur ye guymaan sabko hota hai ... ki unhe jo dard hai sabse bada hai ..khaas bhi hai ..
किसी के वास्ते बरसात है बदला हुआ मौसम
किसी के वास्ते ये साल भर की आस होता है
laakh take ka sher hai ...... nahi ...saal bhar ki aas anmol; hai...
'रवि ' मुमकिन है सहरा में कहीं मिल जाये कुछ पानी
समंदर तो हकीकत में मुकम्मल प्यास होता है
behad khubsurat maqta ravi ji.....achha laga aap ko padhna
शेर के दोनों मिसरो (पंक्तियों ) में आपस में राब्ता यानी सबंध होना चाहिए .....मगर उस शेर में ऐसा नहीं है ...
मई ओ जून में दुआएं मांगते है जो ... उन्हें झट से दिसंबर मान लेता है....क्या है ये ....
हवस इंसान के सर चढ़ के जिस पल बोलती है तब
वो इक बीमार कुतिया को हसीना मान लेता है
अदब में कुत्ते , कुत्तिया आदी लफ़्ज़ों का इस्तेमाल ठीक नहीं माना जाता है...
इन शायर साहेब से अगर आपका तार्रुफ़ है तो इन्हें समझाए .....
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