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Friday, January 01, 2010

ये तेरे इशारे..


तेरे इशारों पर रात की रिहाई हो,
तेरे इशारों पर चाँद की जम्हाई हो,
तेरे इशारों पर तीरगी निखर जाए,
जैसे अमावस की खुलती कलाई हो।

तेरे इशारे इशारे नहीं हैं,
ये तिनके हैं बहते अथाह सागरों में
जहाँ आस जीने की ज़िंदा नहीं है
न साँसें बची है, न हीं हौसले हैं
न उम्मीद है कुछ, न जिद्द हीं कहीं है
मनु ने भी नाव उतारे नहीं हैं
जहाँ डूबी जाती है पूरी हीं सृष्टि
किसी को भी दिखते सहारे नहीं हैं,
तभी तेरी नज़रों से चलके ये तिनके
कहीं पुल कहीं बाँध बनने लगे हैं
ठिठक-से गए हैं ये सागर भी देखो
जो तिनके फ़लक एक जनने लगे हैं.,
ये तिनके जिन्हें सब इशारे कहे हैं,
इन्हीं से तो सारे नज़ारे हुए हैं,
नया एक जन्म जो मिला है सभी को
तभी तो ये सारे तुम्हारे हुए हैं।
तभी तो ये चंदा खिसकता नहीं है,
तभी तो कुहासे तुझे ढाँपते हैं,
तभी तो मुहाने पे आके सहर भी
बिना पूछे तुझसे उबरती नहीं है,
तुझे क्या बताऊँ असर तेरा क्या है
कि रब भी तेरे पीछे हीं बावला है
तभी तो न घटता है ये हुस्न तेरा
उमर भी ये तेरी तो बढती नहीं है।

मेरी बात सुन ले, मैं सच कह रहा हूँ,
ये तेरे इशारे इशारे नहीं है,
ये तुझमें दबे कुछ तिलिस्म है जिनको
समझने के साधन करारे नहीं हैं..
तभी तो मैं खुद भी इसी में पड़ा हूँ,
न फल जानता हूँ, न हल जानता हूँ,
पर मेरा मुकद्दर इन्हीं में कहीं है
और इस कारण हीं मैं तुझसे जुड़ा हूँ।

तेरे इशारे ये एकलौते शय हैं,
मुझे है पता ये बस तुझे हीं मिले हैं,
मुझे है पता...
मुझे है पता कि ये तेरे इशारे
हैं शबनम कभी, कभी है शरारे,
हैं मझधार खुद, खुद हीं हैं किनारे,
है ताज्जुब यही, इन्हें जो निहारे
हैं जीते वहीं, इन इशारों के मारे!
ये तेरे इशारे!!!

-विश्व दीपक

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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

है ताज्जुब यही, इन्हें जो निहारे
हैं जीते वहीं, इन इशारों के मारे!
ये तेरे इशारे!!!
दीपक जी बहुत प्यारी रचना...नये साल की नयी रचना वह भी इशारो के मारों के लिए...आपको बधाई !

Anonymous का कहना है कि -

मुझे है पता कि ये तेरे इशारे
हैं शबनम कभी, कभी है शरारे,
हैं मझधार खुद, खुद हीं हैं किनारे

दीपक जी बहुत खूब. नव वर्ष की शायराना शौगात के लिए आभार और धन्यवाद्.

आपको और सभी को नव वर्ष की मंगल कामना के साथ.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

मुझे है पता कि ये तेरे इशारे
हैं शबनम कभी, कभी है शरारे,
हैं मझधार खुद, खुद हीं हैं किनारे

बहुत खूब....बड़े कमाल के है ये इशारे भी...बढ़िया रचना..धन्यवाद!!!

sm का कहना है कि -

nice poems

Anuja from Bilaspur का कहना है कि -

All poems are very nice as fresh snow fall in Kufri.

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