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Monday, December 28, 2009

इतने बच्चों का बिछोड़ा गाँव ने कैसे सहा


वो भी पत्थर की तरह खामोश सब सुनता रहा
देर तक पंछी ने जाने पेड़ से क्या-क्या कहा

बेहया बरसात में भीगा शजर जब देर तक
धूप ने डांटा तुझे लग जायेगी पागल हवा

तू भी मेरी ही तरह मजबूर सा है शहर में
ओ परिंदे आ बना ले मेरे घर में घोंसला

खूबसूरत रास्ते हैं शहर में पर हर जगह
फासला ही फासला है फासला ही फासला

एक बच्चा दूर जाता है तो मर जाती है माँ
इतने बच्चों का बिछोड़ा गाँव ने कैसे सहा

दर्द बढता है तो आंसू सूख जाते हैं 'रवि '
आपने तो सिर्फ वो देखा जो आँखों से बहा

यूनिकवि- रवीन्द्र शर्मा 'रवि '

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

तू भी मेरी ही तरह मजबूर सा है शहर में
ओ परिंदे आ बना ले मेरे घर में घोंसला..

nischit rup se top hai aap bahut badhiya rachana..sundar gazal..bahdai

विश्व दीपक का कहना है कि -

एक बच्चा दूर जाता है तो मर जाती है माँ
इतने बच्चों का बिछोड़ा गाँव ने कैसे सहा

सत्य वचन!

पूरी गज़ल काबिल-ए-तारीफ़ है।

बधाई स्वीकारें।-
विश्व दीपक

अपूर्व का कहना है कि -

बस क़त्ल कर देते हैं आप..हर बार !!

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

बेहया बरसात में भीगा शजर जब देर तक
धूप ने डांटा तुझे लग जायेगी पागल हवा
---
एक बच्चा दूर जाता है तो मर जाती है माँ
इतने बच्चों का बिछोड़ा गाँव ने कैसे सहा
--खूबसूरत गज़ल।
इन शेरों ने मन मोह लिया.

rachana का कहना है कि -

एक बच्चा दूर जाता है तो मर जाती है माँ
इतने बच्चों का बिछोड़ा गाँव ने कैसे सहा
sach kaha hai
दर्द बढता है तो आंसू सूख जाते हैं 'रवि '
आपने तो सिर्फ वो देखा जो आँखों से बहा
man ko chhu gayi baat aap ki
badhai
rachana

KESHVENDRA IAS का कहना है कि -

इस गज़ल को पढ़ के आंसू आँख से आये छलक
दिल कसक कर मुझसे गम की दास्ताँ कहने लगा.

आलोक सारस्वत का कहना है कि -

कविता की आखिरी पंक्तियाँ दिल को छु गयी .... बहुत सुंदर रचना
"दर्द बढता है तो आंसू सूख जाते हैं 'रवि '
आपने तो सिर्फ वो देखा जो आँखों से बहा"

Nikhil का कहना है कि -

दर्द बढता है तो आंसू सूख जाते हैं 'रवि '
आपने तो सिर्फ वो देखा जो आँखों से बहा"

बेहतरीन

Anonymous का कहना है कि -

'रवि' जी की गज़ल ने फिर से हिला कर रख दिया
सच्चाई पढता गया और दर्दे-दिल बढ़ता गया
यूनी कवि फिर से बधाई स्वीकारें. राकेश कौशिक

Anonymous का कहना है कि -

गज़ल बेहद सुन्दर है. इस का एक एक शेर लाजवाब है. पर मुझे एक तकनीकी संदेह है. यह गज़ल रदीफ के बिना है और ऐसी कई गजलें होती हैं. पर गज़ल के मतले के अनुसार काफिया 'हा' बैठता है. जैसे रहा कहा. पर बाकी शेरों में 'हा' को बदल दिया गया है और कहीं ला है तो कहीं हवा है. मैं ज्यादा नहीं जानती पर शायद यह इस गज़ल का नुक्स है. खुद शायर कुछ कहें तो बेहतर. - उर्मिल शर्मा

Anonymous का कहना है कि -

वो भी पत्थर की तरह खामोश सब सुनता रहा
देर तक पंछी ने जाने पेड़ से क्या-क्या कहा
बहुत ही लाजवाब पंक्तियां ...सुंदर भाव..बहुत-बहुत बधाई!

Anonymous का कहना है कि -

Har ek sher laajawab hai ! Dil ko chu jaane waali gazal ! bahut bahut badhayi !

Anonymous का कहना है कि -

"इतने बच्चों का बिछोड़ा गाँव ने कैसे सहा" bahut hi behtareen gazal hai ravi ji...! kamaal kar diya !

Unknown का कहना है कि -

Bahut hi sundar vicharo ko piro kar banaayi gayi ek behtareen gazal ! WAH-WAH !

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