अक्टूबर 2009 की यूनिकवि प्रतियोगिता के 10वें के रचनाकार अंकित जोशी "सफ़र", मूलत पंतनगर, उत्तराखंड के रहने वाले हैं। पंतनगर विश्वविद्यालय से कृषि में स्नातक करने के बाद इन्होंने Vamnicom, पुणे से किया और अभी राष्ट्रीय सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक महासंघ (NCARDB) में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। एक बार इनके स्कूल में कवि सम्मलेन का आयोजन हुआ और उसी से प्रेरणा पाकर इन्होंने हाथों में कलम थाम ली। कविताओं से शुरुआत कर के ग़ज़लों की दुनिया में जा पहुंचे और अपना ब्लॉग वर्ष 2007 से संचालित करने लगे। भाग्यवश गुरु जी (पंकज सुबीर जी) का आर्शीवाद मिला और ग़ज़ल की बारीकियों से अवगत हुए, ये सफ़र अभी शुरू ही हुआ है।
पुरस्कृत कविता- ख़ुशी-ख़ुशी जिया करें
उठो के कुछ नया करें।
ज़मीं को फिर हरा करें।
जो प्यार से मिले उसे
मुहब्बतें अता करें।
न सूर्य बन सकें अगर
चराग बन जला करें।
हुआ हो गर बुरा भी तो
पलट के ना बुरा करें।
बुजुर्ग जो हैं कह रहे
जवां उसे सुना करें।
न लुप्त हो हंसी कहीं
मिला करें हँसा करें।
हो ज़िन्दगी ये फिर कहाँ
ख़ुशी-ख़ुशी जिया करें।
पुरस्कार- रामदास अकेला की ओर से इनके ही कविता-संग्रह 'आईने बोलते हैं' की एक प्रति।
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
अंकित जी,
आपकी रचना के भाव बहुत ही अच्छे लगे. वधाई.
हो ज़िन्दगी ये फिर कहाँ
ख़ुशी-ख़ुशी जिया करें।
उठो के कुछ नया करें।
ज़मीं को फिर हरा करें।
acchi bat अनुसरण करने योग्य आप भी लगाएं हर साल एक पेड़
न सूर्य बन सकें अगर
चराग बन जला करें।
pyaari soch
हुआ हो गर बुरा भी तो
पलट के ना बुरा करें।
aadmi aam aadmi ke liye sambhav nhin par accha hai updesh
बुजुर्ग जो हैं कह रहे
जवां उसे सुना करें।
kaash aisaa hotaa ya ho jaaye
न लुप्त हो हंसी कहीं
मिला करें हँसा करें।
yah sabse accha
हो ज़िन्दगी ये फिर कहाँ
ख़ुशी-ख़ुशी जिया करें।
jiyo hm tumhaare saath hain
न सूर्य बन सकें अगर
चराग बन जला करें।
हुआ हो गर बुरा भी तो
पलट के ना बुरा करें।!!
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति..बधाई..अंकित जी..
अच्छे और सच्चे जीवन सन्देश देती छोटी और सुमधुर कविता. अंकित जी शुभकामनाएं.
न लुप्त हो हंसी कहीं
मिला करें हँसा करें।
हो ज़िन्दगी ये फिर कहाँ
ख़ुशी-ख़ुशी जिया करें।
kitna sahi aur sunder likha hai
rachana
न सूर्य बन सकें अगर
चराग बन जला करें।
यह शेर खास अच्छा लगा..
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