विवेक रंजन श्रीवास्तव पिछले 2 वर्षों से हिन्द-युग्म पर हाज़िरी लगा रहे हैं। प्रतियोगिता, काव्य-पल्लवन, पॉडकास्ट कवि सम्मेलन आदि में भाग लेकर हमारा प्रोत्साहन करते रहते हैं। सितम्बर 2009 की प्रतियोगिता में भी इन्होंने भाग लिया जहाँ इनकी कविता ने नौवाँ स्थान बनाया।
पुरस्कृत कविता- एक कवि हूँ, सच हूँ मैं
रात सोते वक़्त
टीवी के आखिरी बुलेटिन में
जब मेरे मारे जाने की खबर नहीं होती,
तो सो लेता हूँ।
सुबह जब
अखबार की सुर्खियों में
पाता नहीं स्वयं को मृत
तो फिर लिखता हूँ
एक नई रचना,
एक नया सच।
और इस तरह
स्वयं के जिंदा होने का
अहसास करना मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि तस्लीमा नसरीन हूँ मैं,
सलमान रश्दी हूँ मैं
एक लेखक हूँ
एक कवि हूँ,
सच हूँ मैं..
पुरस्कार- डॉ॰ श्याम सखा की ओर सेरु 200 मूल्य की पुस्तकें।
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
बडे खतरनाक आदमी हो भाई।
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
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आइए हम पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।
अत्यन्त खूबसूरत भाव...बढ़िया कविता..
बहुत सुंदर!
छोटी सी कविता के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया.
सच हूँ मैं, अगर सत्य है तो आपकी हर सोच के साथ मैं और मेरे जेसे अनगनित होंगे. सांच को आंच नहीं. शुभकामनाएं!
कम शब्दों मे बडी बात। विवेक को kबह् jeुत बहुत बधाई हिन्दयुग्म परिवार ,पाठकों और लेखकों को दीपावली की शुभकामनायें
ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
कवियों ने खोली कलम जग में उजाला हो गया।
छोटी सी कविता..
बहुत अच्छी लगी...
ज़बरदस्त फिलोसफी से भरी हुई कविता. बधाई.
रात सोते वक़्त
टीवी के आखिरी बुलेटिन में
जब मेरे मारे जाने की खबर नहीं होती,
तो सो लेता हूँ।
सुबह जब
अखबार की सुर्खियों में
पाता नहीं स्वयं को मृत
तो फिर लिखता हूँ
एक नई रचना,
एक नया सच।
और इस तरह
स्वयं के जिंदा होने का
अहसास करना मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि तस्लीमा नसरीन हूँ मैं,
सलमान रश्दी हूँ मैं
एक लेखक हूँ
एक कवि हूँ,
सच हूँ मैं..
लेखक और कवी को सच का पर्यावाची के तौर पर प्रयोग करना बहुत अच्छा लगा.
rajneesh ji se sahmat hoon....ya to bahoot masoom hai aap ya phir sach mein khaternaak :-)......diwali ki mubarakbaad
salman rashdi saheb ko to main nahi jaanti, par aapne kaha ki aap tasleema ji wali vibrations rakhte hain, par
bura na maniye, wo vibrations mujhe aapki kavita se nahi mili.
although kavita acchi hai
प्रोत्साहन हेतु हिन्द युग्म का और सभी टिप्पणीकार ब्लागर्स का आभार ..
इस निवेदन के साथ पुरस्कार स्वीकार है कि ..
तुम भी सेवक हो हिन्दी के , मैं भी सेवक हूं हिन्दी का
सम्मान नही है यह मेरा, सम्मान तो है यह हिन्दी का
दीप पर्व हम सब की कलम में सत्य का प्रकाश भर दे यही कामना है ... सबको खूब खूब सा अच्छा धन मिले और खूब खूब खूबसूरत कार्यो में वह सतत व्यय हो....
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