युवा कवि उमेश पंत हिन्द-युग्म पर फरवरी 2009 से प्रकाशित हो रहे हैं। सितम्बर माह की प्रतियोगिता में इनकी एक कविता तीसरे स्थान पर रही।
पुरस्कृत कविता
ऊँची सियासत ने की
बड़ी गलतियाँ
और कश्मीर
कश्मीर हो गया।
दिखाये गये
धरती पर स्वर्ग के सपने
पर स्वर्ग बन पाने की सभी शर्तें
दमन की कब्र में दफना दी गयीं।
पीने लगे कश्मीरी
आजादी के घूँट
फूँक-फूँक कर।
देखने लगे आजादी के
तीन थके हुए रंग।
ढोते हुए आजादी को
किसी बोझ की तरह।
फीका लगने लगा गुलमर्ग
संगीनों के साये में।
लगने लगा सुर्ख
डलझील का पानी।
बर्फ की सफेदी के बीच
पसरता रहा स्याह डर।
दबती रही चीखें पर्वतों के बीच
सिकुड़ती रहीं औरतें
अपने घरों में।
दो पाटों के बीच
पिस जाने की परम्परा
बनने लगी
"कश्मीरियत"।
तय करता रहा लोकतंत्र
कश्मीर की इच्छाएँ
अपने नजरिये से।
जीता रहा कश्मीर
गुलामी के लोकतंत्र में।
ये एक भीड़ का दर्द है
या जन्नत की हक़ीक़त
हिन्दुस्तान की धरती पर
दिल को कचोटती
गूंज रही हैं कुछ आवाजें
जीवे जीवे पाकिस्तान।
पुरस्कार- डॉ॰ श्याम सखा की ओर सेरु 200 मूल्य की पुस्तकें।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
8 कविताप्रेमियों का कहना है :
फीका लगने लगा गुलमर्ग
संगीनों के साये में।
लगने लगा सुर्ख
डलझील का पानी।
Dharati ka swarg aaj wahai ke logo ke liye nark ban gaya hai aur desh ke liye sabse bada mudda...
aapne sundar,samayik bhav kavita me prstut kiya ..bahut badhiya..badhayi umesh ji..
ये एक भीड़ का दर्द है
या जन्नत की हक़ीक़त
हिन्दुस्तान की धरती पर
दिल को कचोटती
गूंज रही हैं कुछ आवाजें
जीवे जीवे पाकिस्तान।
इतनी सटीक अभिव्यक्ति के लिये उमेश पम्त जी बधाई के पात्र हैं।कविता बहुत सुन्दर् है आभार्
दो पाटों के बीच
पिस जाने की परम्परा
बनने लगी
"कश्मीरियत"।
बखूबी उतारा है दर्द को आपने
बहुत ही उत्तम भाव प्रकट है आप कि कविता में
हजारों पिस रहे कश्मीरियों का ...बहुत ही खुबसूरत
पसरता रहा स्याह डर।
दबती रही चीखें पर्वतों के बीच
सिकुड़ती रहीं औरतें
अपने घरों में।
kashmeer ke logo ke derd bayan karati sunder rachana...badhaai.
कश्मीर के सरोकारो को, संघर्षों को, नए अर्थों में बयान करने की कोशिश और बड़ी बेबाकी तथा साफगोई से दिया गया बयान है आपकी यह सशक्त रचना। बधाई।
क्या खूब कह डाला है आपने.
दो पाटों के बीच
पिस जाने की परम्परा
बनने लगी
"कश्मीरियत"।
yeh rachna aapne sayad kavya paat kiya tha sayad delhi mein.
behtreen hai.
yeh rachna aapne sayad kavya paat kiya tha sayad delhi mein.
behtreen hai.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)