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Thursday, September 24, 2009

जिंदगी कुछ इस तरह जियें


पाँचवें स्थान के कवि नीलेश माथुर हिन्द-युग्म पर पहली बार प्रकाशित हो रहे हैं। पेशे से व्यवसायी नीलेश का जन्म वैसे तो बीकानेर (राजस्थान) में हुआ, मगर फिलहाल गुवाहाटी में रहते हैं और वहीं से अपना व्यवसाय चलाते हैं। शौकिया तौर पर कविता लिखते हैं, स्थानीय पत्र-पत्रिका में इनकी कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं।

पुरस्कृत कविता- जिंदगी कुछ इस तरह

ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र जाती है
बातों ही बातों में
फिर क्यों न हम
हर पल को जी भर के जिएँ,
खुशबू को
घर के एक कोने में कैद करें
और रंगों को बिखेर दें
बदरंग सी राहों पर,
अपने चेहरे से
विषाद की लकीरों को मिटा कर मुस्कुराएँ
और ग़मगीन चेहरों को भी
थोड़ी सी मुस्कुराहट बाटें,
किसी के आंसुओं को
चुरा कर उसकी पलकों से
सराबोर कर दें उसे
स्नेह की वर्षा में,
अपने अरमानों की पतंग को
सपनों की डोर में पिरो कर
मुक्त आकाश में उड़ाएं
या फिर सपनों को पलकों में सजा लें,
रात में छत पर लेट कर
तारों को देखें
या फिर चांदनी में नहा कर
अपने हृदय के वस्त्र बदलें
और उत्सव मनाएं,
आओ हम खुशियों को
जीवन में आमंत्रित करें
और जिंदगी को जी भर के जिएँ !


प्रथम चरण मिला स्थान- पाँचवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- पाँचवाँ


पुरस्कार और सम्मान- मुहम्मद अहसन की ओर से इनके कविता-संग्रह 'नीम का पेड़' की एक प्रति।

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

हर पल को जी भर के जिएँ,
खुशबू को
घर के एक कोने में कैद करें
और रंगों को बिखेर दें..

bade hi sundar bhav ko liye hue ek sachcha sandesh de rahi hai yah kavita...bahut bahut badhayi nilesh ji..

Manju Gupta का कहना है कि -

हर पल को जी भर के जिएँ,
खुशबू को
घर के एक कोने में कैद करें
और रंगों को बिखेर दें..
आशावादी ,सकारात्मक कविता और पांचवें स्थान के लिए बधाई .

neeti sagar का कहना है कि -

रात में छत पर लेट कर
तारों को देखें
या फिर चांदनी में नहा कर
अपने हृदय के वस्त्र बदलें
और उत्सव मनाएं,
आओ हम खुशियों को
जीवन में आमंत्रित करें
और जिंदगी को जी भर के जिएँ !
achchhi rchna badhai!

sangeeta sethi का कहना है कि -

नीलेशजी
बीकानेरवासिओं का नमस्कार !
क्या आप पढ़े भी बीकानेर में है |
आपकी कविता में दम है | बधाई |

Anonymous का कहना है कि -

जिन्दगी जीने की कला को बताया, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

nilesh mathur का कहना है कि -

पांडे जी, धन्यवाद् !

nilesh mathur का कहना है कि -

संगीता जी, नमस्कार और बहुत बहुत धन्यवाद् , बीकानेर में ही पला बढा और पढ़ा हूँ!

nilesh mathur का कहना है कि -

हिन्दयुग्म को बहुत बहुत धन्यवाद् जिसने की हमें एक मंच प्रदान किया है और मंजू जी, नीति सागर जी, आप दोनों का भी बहुत बहुत धन्यवाद् !

rachana का कहना है कि -

जीवन की दौड़ भाग में हम इन प्यारी चीजों को भूल जाते हैं कितना उलझे होते हैं की क्या कहें
आप की कविता पढ़ के मन को चैन मिला
बधाई
सादर
रचना

nilesh mathur का कहना है कि -

रचना जी, बहुत बहुत धन्यवाद् ,जीवन की भागदौड तो यूँ ही चलती रहती है, इसी में से हमें अपने लिए कुछ पल लिकालने चाहिए !

Shamikh Faraz का कहना है कि -

प्रेरणा प्रदान करती हुई सुन्दर रचना

ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र जाती है
बातों ही बातों में
फिर क्यों न हम
हर पल को जी भर के जिएँ,
खुशबू को
घर के एक कोने में कैद करें
और रंगों को बिखेर दें
बदरंग सी राहों पर,
अपने चेहरे से
विषाद की लकीरों को मिटा कर मुस्कुराएँ

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