जुलाई माह की प्रतियोगिता की नौवीं कविता की रचयित्री मेयनूर खत्री की एक कविता अगस्त माह की प्रतियोगिता में भी टॉप 10 में शुमार है।
पुरस्कृत कविता- ग़म
आँखों में दिल उगा
दिल में धड़कने उगी ही थी
आँखें मेरी
मेरा दिल लिए धड़कती रही
मेरा दिल,
जो तेरा घर रहा है
वो आँखों में आ गया है
मैं कितना भी छुपाऊँ
लोग तुझे इनमें
साफ़ देख लिया करते हैं
प्रथम चरण मिला स्थान- उन्नीसवाँ
द्वितीय चरण मिला स्थान- छठवाँ
पुरस्कार और सम्मान- मुहम्मद अहसन की ओर से इनके कविता-संग्रह 'नीम का पेड़' की एक प्रति।
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3 कविताप्रेमियों का कहना है :
Kam Shabdon me badhiya aur sundar bhav..achchi kavita..badhayi..
प्रेम की अनुभूति ने आँखों में घर बना दिया .प्रेम गीत बढिया है .बधाई
bahut sundar kavita .
badhai.
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