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Saturday, September 26, 2009

दुनिया तुम्हें भी सदियों तक याद रखेगी


मुकुल उपाध्याय की एक कविता हमारे पाठक जुलाई माह में पढ़ चुके हैं। अगस्त माह की प्रतियोगिता में भी इनकी एक कविता शीर्ष 10 में रही जिसे आज हम प्रकाशित कर रहे हैं।

पुरस्कृत कविता- दुनिया तुम्हें याद रखेगी

अच्छा होता तुम भी करते कुछ बेहतर
कि जीवन कि राहें खुलतीं
और दुनिया तुम्हें सदियों तक याद रखती।
पर तुम तो जानते हो सिर्फ
तोड़ना, नोचना, उजाड़ना, बिखेरना।
खैर दुनिया तुम्हें फिर भी सदियों तक याद रखेगी
जैसे दुनिया याद रखती है
मोहम्मद गजनवी को,
हिटलर को
जैसे दुनिया याद रखती है
क्राइस्ट के हत्यारों को
दुनिया तुम्हें भी सदियों तक याद रखेगी।


प्रथम चरण मिला स्थान- चौदहवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- दसवाँ


पुरस्कार और सम्मान- मुहम्मद अहसन की ओर से इनके कविता-संग्रह 'नीम का पेड़' की एक प्रति।

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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

bahut badiya utsaahvardhak geet..badhayi!!!

Anonymous का कहना है कि -

एक अच्छी कविता के लिया बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

एकदम स्तरहीन कविता............ कविता....!!! माफ़ी चाहूँगा ये कविता हो ही नहीं सकती.... हिन्दयुग्म पर कई बार तो गुस्सा आ जाता है लेकिन क्या करें हिन्दयुग्म हिंदी की सेवा में इतना सब कर रहा है की चुप रहना पड़ता है ......
पर एक बात तो सच है की हिन्द युग्म को ऐसी चीज़ें प्रकाशित करके अपना स्तर नहीं गिराना चाहिए

Manju Gupta का कहना है कि -

वाकई दुनिया अच्छी और बुरी बात दोनों याद रखती है .बधाई .

निर्मला कपिला का कहना है कि -

बहुत अच्छी कविता है बधाई

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