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Tuesday, September 01, 2009

दोहा गाथा सनातन: 32 गुरुविहीन जो सर्प वह, कठिन निभाना प्रीत


गुरुविहीन जो सर्प वह, कठिन निभाना प्रीत.
अड़तालिस लघु से बने, दोहा पिंगल-रीत..

सूत्र: सर्प दोहा- ० गुरु + ४८ लघु = ४८ अक्षर

पिंगल ग्रंथों में वर्णित दोहा का तेइसवां प्रकार सर्प दोहा केवल ४८ लघु मात्राओं की सहायता से बिना किसी गुरु मात्रा के लिखा जाता है. इसकी रचना दुष्कर है. बहुत कम दोहाकार इन दोहों की रचनाकार पाते हैं.

उदाहरण :

१.
चमक-दमक नभ पर तड़ित, गरज-बरस घन सहित.
विचलित-विगलित थल-ह्रदय, कर प्रमुदित अनवरत.-सलिल

२.
उथल-पुथल नित-नित नवल, समय अनवरत करत.
कण-कण पर निज परम पद, धमक-धमक कर धरत. -आचार्य रामदेव लाल 'विभोर'

३.
जय-जय-जय अधहरन हर, विषम अनल धर नयन.
दरन-दरन असरन सरन, विपति हरन सुख अयन..

४.
रहन-सहन कर सरल शुचि, गरम न बनकर सहन.
छुइ-मुइवत मत मुरझ नर, हितकर गुरूच सुग्रहन.. -डॉ. ॐ प्रकाश बरसैंया 'ॐकार'

दोहागाथा के पाठक सर्प दोहा लिखने का अभ्यास करें. आगामी कड़ी में हम परिचय करेंगे एक ऐसे दोहे से जिसे लिखना पारंपरिक पिन्गालाचार्यों ने वर्जित किया है.

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23 कविताप्रेमियों का कहना है :

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

आदरणीय आचार्य जी,
प्रणाम !

सर्प दोहे से परिचय कराने के लिये धन्यबाद. मैंने यह दो सर्प दोहे लिखने का प्रयास किया है:
१.
न बरसत घिरत घन सघन, उमड़ - घुमड़ करत पर
बरसत जब - जब घन तबहिं, विहँस उठत हर डगर.
२.
तृषित अवनि जब जल पियत, पहनत नव वसन तन
चुप - चुप नभ निरखत रहत, पवन चलत सनन - सन.

दिव्य नर्मदा divya narmada का कहना है कि -

शन्नो जी!

वन्दे मातरम.

सर्प दोहा लेखन के लिए बधाई. मात्रा गणना सही है. यहाँ एक बारीकी देखिये की सभी अक्षर सामान भर के होने पर भी शब्दों को आगे-पीछे करने का क्या प्रभाव होता है? आप देखेंगी की ले में अंतर आता है. जहाँ उच्चारण करते समय प्रवाह में सहजता हो, बोलते समत अटकें नहीं वही अंतिम रूप रखें.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

उथल-पुथल नित-नित नवल, समय अनवरत करत.
कण-कण पर निज परम पद, धमक-धमक कर धरत. -

jnay badhane ke liye dhanywaad,,

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
शब्दों को घुमा - फिर कर अब फिर से दोहो को नया प्रवाह देने का प्रयत्न किया है. कृपा करके बताइये की अब यह सुधार पहले से सही है?

उमड़न लगत इधर - उधर, बरसत नहि गरज कर
फिर जब घन बरसत तबहि, विहँस उठत हर डगर.

तृषित अवनि जब जल पियत, सजत पहन नव वसन
नभ चुप - चुप निरखत रहत, चलत पवन सनन - सन.

Anonymous का कहना है कि -

दोहे के प्रकार एवम रचना कैसे की जाये, बताने के लिए धन्याद

विमल कुमार हेडा

Manju Gupta का कहना है कि -

आदरणीय गुरु जी ,
नमस्ते . ' शिक्षक दिवस ' पर दोहा आप को समर्पित कर रही हूं. गृह कार्य तो किया है --
'घुमड़ -घुमड़ जलद गजरत
गडगड कड़कत विद्युत ,
डरत - डरत उर हर समय
पर बरसत न जलधर .

Divya Narmada का कहना है कि -

शन्नो जी !

शाबास.

मंजू जी!

वन्दे मातरम.

गरजत जलद घुमड़-घुमड़, गडगड कड़कत प्रचुर.
डरत-डरत हर समय उर, पर बरसत न जलधर .

Shanno Aggarwal का कहना है कि -
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Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु देव,
वन्देमातरम!

आपसे मिलने वाले निरंतर मार्ग - दर्शन के लिये मैं अति आभारी हूँ. सालाना मनाया जाने वाला शिक्षक - दिवस आ पहुंचा है. मैं आपकी कृतज्ञ होकर आपके लिये यह छोटी सी एक भेंट....मेरा मतलब है....यह दोहा रच कर आपको देना चाहती हूँ. कृपा करके इसे स्वीकार करें ( आलू - पूरी, खीर आदि बाद में कभी वहां मिलने पर......या आप कभी यहाँ आकर दर्शन दें तब ). तब तक के लिये यह दोहा ही.....

अन्न बिन नहि भरत उदर, गुरु बिन मिलत न ज्ञान
तजकर सब अभिमान गह, देकर उनको मान.

Divya Narmada का कहना है कि -

उदर भरत नहि अन्न बिन, गुरु बिन मिलत न ज्ञान
तजकर सब अभिमान- गह, शुभाशीष दे मान.

शन्नो जी!

शिक्षा पाई आपसे, करते रहो प्रयत्न.
कंकर भी शंकर बने, पत्थर भी हो रत्न..

विनत नमन स्वीकारिये, स्नेह-सलिल कर पान.
क्षुधा-पिपासा मिट गयी, अर्पित है सम्मान.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
बहुत - बहुत धन्यबाद.

मैं गर्वित इतनी हुयी, अँखियन छलके नीर
नत मस्तक रहती सदा, आप ज्ञान - गंभीर.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
प्रणाम
क्षमा करियेगा इन निम्नलिखित दोहों को लिखने के लिये पर जब बैठक पर पढ़ा की मध्यप्रदेश में पंडों को इसलिए जिमाया गया ताकि बारिश हो सके लेकिन फिर भी बारिश नहीं हुई. और इस बात से यह दोहे मेरे दिमाग में आये.

खा-पीकर पंडे सभी, हुये बहुत बीमार
कब्ज़ हो गया पेट में, ना आई बौछार.

मंत्री जी चिंतित हुये, करने लगे बिचार
चपत पड़ी करोडों की, आई नहीं डकार.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

दोहा शिक्षक को शिक्षक दिवस की बधाई.

Happy Teachers Day

manu का कहना है कि -

aalu-poori...
aachaarya ko.....

:)

Divya Narmada का कहना है कि -

चपत करोडों की पड़ी, जिनको वे लंगूर
आलू- पूरी खा रहे, रह दोहों से दूर..

सबका गुरु वह एक है, बाकी गुरु घंटाल.
छिपा रहे अज्ञान निज, ले शिष्यों की ढाल..

गुरु तो गुड सा चाहिए, मधु सा मधुर स्वभाव.
राह दिखा, कर दूर दे, शिष्यों का भटकाव..

गुरु हो पूजा सा सरल, सतत साधना-लीन.
गुपचुप कर ले कार्य निज, लगन न होवे क्षीण..

गुरु शन्नो सा समर्पित, होकर करे प्रयास.
मातु शारदा की कृपा, पाए नित सायास..

अजित रहे गुरु जीतकर, सब शंकाएँ मीत.
मनु से लेकर सीख कुछ, नयी बनाये रीत..

'सलिल' निरंतर बह करे, सबमें गुरु की खोज.
शिष्य बन सके सीखकर, नया ज्ञान कुछ रोज.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
प्रणाम !
शिक्षक-दिवस पर आपको तमाम शुभकामनाएँ !!

गुरु गुड़ जैसा ही रहे, शक्कर आती बाद
चेला ना शक्कर बने, गुड़ आता है याद.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,गुरु जी,
आपने भी कुछ देखा?

मनु जी अब पकडे गये, सूंघे उनकी नाक
अब ना आते सामने, करते ताक - झांक

manu का कहना है कि -

शन्नो जी,
जब भी आलू पूरी बनती है..(खासकर सूखे वाले आलू )
:)
आपकी याद आती है...
आपका ज़िक्र चलता है...तारीफ़ होती है..

अच्छे स्वाद पे सभी का हक़ है....
:)
आचार्य को प्रणाम....
शिक्षक दिवस शिक्षक एवं छात्रों सहित सभी को बधाई...

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

मनु जी,
कितना अच्छा लग रहा है कक्षा में आपके आगमन को देखकर. सबसे पहले अपने गुरु जी फिर सभी छात्रों को भी शिक्षक दिवस पर मेरी तरफ से बधाई!

कक्षा में सब छात्रों को, मिलती गुरु की छाँव
आओ गुरु को मान दें, छूकर उनके पाँव.

और अब.....मनु जी, मन यह सोचकर गदगद हो गया की उस दिन के इतने simple खाने को आप आज भी याद करते हैं. मेरे लिये यह बड़े सौभाग्य की बात है की आपसे मिल पायी. यहाँ भी जब-जब आलू-पूरी बनाती हूँ तो उन क्षणों में आपकी भी याद आ जाती है और साथ में खाते हुए कल्पना में वह दृश्य उभर आता है. जीवन के कुछ क्षण ऐसे ही कहीं यादों में हमेशा के लिये अंकित हो जाते हैं. यह दोहा आपके लिये:

कक्षा में पुना आगमन, देता शुभ संदेश
दोहे में होवें मगन, बदले यह परिवेश.

Pooja Anil का कहना है कि -

प्रणाम आचार्य जी,
शिक्षक दिवस पर आपको और सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं.

गुरु जी,
वास्तव में दुष्कर लग रहा है सर्प दोहे की रचना करना... बहुत कोशिश की, पर अब तक नहीं लिख पाई :( :( ....!!! कोशिश जारी है :)

Shanno Aggarwal का कहना है कि -
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Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
राम-राम!

आज एक कुंडलिनी लिखने का मन हुआ और उसे प्रस्तुत कर रही हूँ. विषय है......'मनु जी'.( पहले एक छोटी सी गड़बड़ हो गई थी ). क्षमा Please!!
( Oops! अब लगता है की कक्षा में दिन गिनना आरम्भ करना होगा ) या नहीं?

आज दिखे हड़बड़ी में, बैठे कुछ पल साथ
हे राम! फिर मनु बोले, पकडे अपना माथ
पकडे अपना माथ, अचानक आ गयी याद
कुछ ऐसी थी बात, की बहुतय बना विवाद
ढाढस शन्नो देत, पर लोग न आवत बाज़
भूलो सभी विवाद, मनु मुस्काओ फिर आज.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

Hello!

क्या शिक्षक दिवस की भी छुट्टियाँ होती है? चिंता का विषय है.....क्या हमारे गुरु जी छुट्टी मना रहे हैं? Anyone knows?

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