प्रतियोगिता की तीसरे स्थान की कविता एक भोजपुरी कविता है। मनोज भावुक विग्त कई माह से हिन्द-युग्म से जुड़े हैं और हिन्द-युग्म की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
पुरस्कृत कविता
बाँझ हो गइल बा, संवेदना के गाँव
नेह हो गइल बा , बबूरवा के छाँव
प्यार-प्रीत के जमीन रेह हो गइल बा
आत्मा मरल मशीन देह हो गइल बा
लेत केहू नइखे इंसानियत के नाँव !
करे जे अगोरिया से चोर हो गइल बा
देश प लुटेरवन के जोर हो गइल बा
कोरा में के लइका के जाई केने पाँव?
जाति-पाति, धरम के उठेला लहरिया
रोटी बिना लइका के अँइठे अंतड़िया
कउवन के सभवा में होला काँव-काँव !
टुकी-टुकी गउवाँ आ टुकी-टुकी घर घरवा
घरवा में घरवा आ ओहू में दररवा
'भावुक' जिनिगिया ई लागी कवने ठाँव? '
प्रथम चरण मिला स्थान- दसवाँ
द्वितीय चरण मिला स्थान- तीसरा
पुरस्कार- समीर लाल के कविता-संग्रह 'बिखरे मोती' की एक प्रति।
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
manoj bhaiya ..bhojpuri me etna badhiya geet bahut din bad sune ke milal ..... aanad aa gayil .....
बढिया रचना
धन्यवाद व बधाई
बडिया रचना बधाई
सुंदर कविता लिखी है...बधाई
हेई बबुआ तोहरी कबिता पढ़ी के हम भए भोर बिभोर
का बढ़िया देस- गाँव का नक्सा खींचा, लगाई के कबित्त का जोर
-मुहम्मद अहसन
sunder kavitaa hai..
bhaavuk ji..
टुकी-टुकी गउवाँ आ टुकी-टुकी घर घरवा
घरवा में घरवा आ ओहू में दररवा
'भावुक' जिनिगिया ई लागी कवने ठाँव?
मुझे यह पंक्तियाँ सबसे अच्छी लगी.
जाति-पाति, धरम के उठेला लहरिया
रोटी बिना लइका के अँइठे अंतड़िया
कउवन के सभवा में होला काँव-काँव !
बहुत ही सुन्दर लिखा आपने आभार्
मानवीय पहलू से ओत प्रोत कविता है. बधाई
बाँझ हो गइल बा, संवेदना के गाँव
माननीय कवि महोदय जी,बाँझ के जगह पर का ठूंठ शब्द ज्यादा बढ़िया नहीं रहता , बकी आपकेर मर्जी
काहे की कवितवा आपकेर बा |
बाकी कविता बढ़िया बा ,नीक बा
प्यार-प्रीत के जमीन रेह हो गइल बा
आत्मा मरल मशीन देह हो गइल बा
लेत केहू नइखे इंसानियत के नाँव !
क्या सुंदर है भावः है
आप ने बहुत सुंदर लिखा है
सादर
rachana
वाह मनोज जी
कविता पढ़ रहा था ले अपने आप बंध गयी लगा ही नहीं की ये भाषा मुझे नहीं आती खुद ब खुद शब्द निकलते गए
बहुत अच्छी कविता बधाई
प्यार-प्रीत के जमीन रेह हो गइल बा
आत्मा मरल मशीन देह हो गइल बा
लेत केहू नइखे इंसानियत के नाँव !
का हो बबुआ ! अईसेन खूब लिखले बाडू के
आपन जियरए कांपि गईला |
एकदम यथार्थ
बधाई |
आप क भोजपुरी कविता बड़ी नीक लागल और होखे त पढ़ले क मौका दीं
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