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Friday, July 10, 2009

गजल : अरुण मित्तल अद्भुत


बस वो ही मेरे अपने हैं
जो अंतस में घाव बने हैं

पेड़ वही कुर्सी बनते हैं
जिनके अवसरवाद 'तने' हैं

एक डाकिये के थैले में
जाने कितनो के सपने हैं

आँसू अब बरसेंगे शायद
गम के बादल आज घने हैं

'अद्भुत' सच का खून हुआ है
किसके बाजू नहीं सने हैं ?


बहर : फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन

अरुण मित्तल अद्भुत

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26 कविताप्रेमियों का कहना है :

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

पेड़ वही कुर्सी बनते हैं
जिनके अवसरवाद 'तने' हैं
बहुत खूबसूरत शेर कहा है भाई...वाह...पूरी ग़ज़ल ही असरदार है...
नीरज

vandana gupta का कहना है कि -

shandaar gazal .............lajawaab.

ओम आर्य का कहना है कि -

bahut hee sundar baate kahi hai aapane shero ke maadhyam se

Disha का कहना है कि -

बहुत ही खूब गज़ल
बहुत ही सुन्दर शेर.

Manju Gupta का कहना है कि -

दर्द भरी ग़ज़ल है .
बधाई.

Shantanu का कहना है कि -

In every line i can feel the depth of feelings
It seems that there is a lot of happiness and also sadness inside you which u transform into ghazals
Shantanu

Sharepoint का कहना है कि -

Wah!!!!!!!
Bhi
kya dard hai wahh!!!!!!

कुलदीप "अंजुम" का कहना है कि -

पेड़ वही कुर्सी बनते हैं
जिनके अवसरवाद 'तने' हैं
wahh kya bat hai

अमिताभ मीत का कहना है कि -

बेहतरीन !! बहुत ख़ूब !!!

manu का कहना है कि -

खूबसूरत गजल छोटी बहर में...
मगर गजल भी छोटी ही है..
पाँचों शे'र लाजवाब..खासकर ग़ज़ल में प्रयोग किये गए शब्द बहुत कुशलता से प्रयोग किये गए हैं.....
एकदम सही तरीके से..
यदि इस की सही समझ ना हो तो सब गड़बड़ हो जाता है..कोई शे'र चुनने बैठा था..
फिर लगा के पूरी गजल ही कोपी-पेस्ट करनी पड़ेगी...
आप काफी दिन में आये है अरुण भाई...पर खूब आये हैं..

Unknown का कहना है कि -

its nice nd too good as always...its wht we call "adhbut"..:-)

rachana का कहना है कि -

एक डाकिये के थैले में
जाने कितनो के सपने हैं
सही है कितना इंतजार करते हैं सभी इन सपनों का

आँसू अब बरसेंगे शायद
गम के बादल आज घने हैं
मन मोहक पंक्तियाँ पूरी ग़ज़ल ही सुंदर है
सादर
रचना

chirag का कहना है कि -

humne jo khwaab dekha tha...wo hakikat na ban ska...jalaya tha jo dil mein mohobbat ka chirag...iss jahan ko roshan na kr ska...palko mein basaya tha jinhe...unki yaad mein ek aansu bhi na beh ska...

तपन शर्मा का कहना है कि -

किस शे’र की तारीफ़ करूँ?
अद्भुत!! बड़े दिनों के बाद आपने पोस्ट करी है अरूण जी...

manu का कहना है कि -

@ chiraag ji-----??????

Nishant Jain Nishchal का कहना है कि -

behatareen gazal hai. sachmuch gaagar mein sagar hai.

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

बहुत अछि ग़ज़ल सारे शेर एक से बढ़कर एक
लेकिन मुझे ये शेर सबसे ज्यादा पसंद आया
'अद्भुत' सच का खून हुआ है
किसके बाजू नहीं सने हैं ?
बधाई हो

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

अद्भुत साहेब,
अच्छी ग़ज़ल.बधाई
मुहम्मद अहसन

Unknown का कहना है कि -

very beautiful lines excellent..bahut achcha likhte ho as usual especially last two lines kiske baju nahi sane hai

Dr. Vandna Sharma

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

'अद्भुत' सच का खून हुआ है
किसके बाजू नहीं सने हैं ?

अद्भुत जी,
बहुत अच्छी दिल को छूती हुई ग़ज़ल ,
बधाई |

Anonymous का कहना है कि -

arun ji, aapki gazal bhee padhee aur tamaam comments bhee...bahut tareefeN ho rahee hain... aap kahte bhee achchhaa hain.. . do sher mujhe khaas achchhe lage...bus itnee prashansaa se jo poornataa bodh yaa bram ho jaataa hai us se bach paayen to achchhaa...achchhaa hai lekin aur achchhaa lekhan hona hai aapkee taazaa kalam se ...is umeed aur vishvass ke sath....Dr. Sarita Sharma

msi-kagad का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

आप सबका स्नेह मिला बहुत बहुत धन्यवाद

मुझे मालूम है की मैं बहुत काबिल गजल अभी नहीं कह पा रहा हूँ ... दरअसल गजल कहना बहुत ही मुश्किल काम है, केवल छंद ही इस बात का पैमाना नहीं की आपने अच्छा लिखा है....

मेरा प्रयास जारी है एक विशेष बात है वो समय आने पर कहूँगा ... शायद कोई लेख ही बन जाए ....

पुनः धन्यवाद, कृपया स्नेहाशीष बनाये रखें

आपका ही
अरुण अद्भुत

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
सदा का कहना है कि -

आँसू अब बरसेंगे शायद
गम के बादल आज घने हैं ।
बेहतरीन ।

Unknown का कहना है कि -

wo likhne main ghazal jaisa hai,
wo sunane mein ghazal jaisa hai,
tarif or karu kya uski,
wo meherban hi ghazal jaisa hai


kabhi waqt mila to mein bhi ghzal likh ke dikhaunga,
aaj ulza hu khud ko sulzane mein

very nice ghazal sir ji
lage raho munna bhai calibar 115 cc

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