बस वो ही मेरे अपने हैं
जो अंतस में घाव बने हैं
पेड़ वही कुर्सी बनते हैं
जिनके अवसरवाद 'तने' हैं
एक डाकिये के थैले में
जाने कितनो के सपने हैं
आँसू अब बरसेंगे शायद
गम के बादल आज घने हैं
'अद्भुत' सच का खून हुआ है
किसके बाजू नहीं सने हैं ?
बहर : फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन
अरुण मित्तल अद्भुत
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26 कविताप्रेमियों का कहना है :
पेड़ वही कुर्सी बनते हैं
जिनके अवसरवाद 'तने' हैं
बहुत खूबसूरत शेर कहा है भाई...वाह...पूरी ग़ज़ल ही असरदार है...
नीरज
shandaar gazal .............lajawaab.
bahut hee sundar baate kahi hai aapane shero ke maadhyam se
बहुत ही खूब गज़ल
बहुत ही सुन्दर शेर.
दर्द भरी ग़ज़ल है .
बधाई.
In every line i can feel the depth of feelings
It seems that there is a lot of happiness and also sadness inside you which u transform into ghazals
Shantanu
Wah!!!!!!!
Bhi
kya dard hai wahh!!!!!!
पेड़ वही कुर्सी बनते हैं
जिनके अवसरवाद 'तने' हैं
wahh kya bat hai
बेहतरीन !! बहुत ख़ूब !!!
खूबसूरत गजल छोटी बहर में...
मगर गजल भी छोटी ही है..
पाँचों शे'र लाजवाब..खासकर ग़ज़ल में प्रयोग किये गए शब्द बहुत कुशलता से प्रयोग किये गए हैं.....
एकदम सही तरीके से..
यदि इस की सही समझ ना हो तो सब गड़बड़ हो जाता है..कोई शे'र चुनने बैठा था..
फिर लगा के पूरी गजल ही कोपी-पेस्ट करनी पड़ेगी...
आप काफी दिन में आये है अरुण भाई...पर खूब आये हैं..
its nice nd too good as always...its wht we call "adhbut"..:-)
एक डाकिये के थैले में
जाने कितनो के सपने हैं
सही है कितना इंतजार करते हैं सभी इन सपनों का
आँसू अब बरसेंगे शायद
गम के बादल आज घने हैं
मन मोहक पंक्तियाँ पूरी ग़ज़ल ही सुंदर है
सादर
रचना
humne jo khwaab dekha tha...wo hakikat na ban ska...jalaya tha jo dil mein mohobbat ka chirag...iss jahan ko roshan na kr ska...palko mein basaya tha jinhe...unki yaad mein ek aansu bhi na beh ska...
किस शे’र की तारीफ़ करूँ?
अद्भुत!! बड़े दिनों के बाद आपने पोस्ट करी है अरूण जी...
@ chiraag ji-----??????
behatareen gazal hai. sachmuch gaagar mein sagar hai.
बहुत अछि ग़ज़ल सारे शेर एक से बढ़कर एक
लेकिन मुझे ये शेर सबसे ज्यादा पसंद आया
'अद्भुत' सच का खून हुआ है
किसके बाजू नहीं सने हैं ?
बधाई हो
अद्भुत साहेब,
अच्छी ग़ज़ल.बधाई
मुहम्मद अहसन
very beautiful lines excellent..bahut achcha likhte ho as usual especially last two lines kiske baju nahi sane hai
Dr. Vandna Sharma
'अद्भुत' सच का खून हुआ है
किसके बाजू नहीं सने हैं ?
अद्भुत जी,
बहुत अच्छी दिल को छूती हुई ग़ज़ल ,
बधाई |
arun ji, aapki gazal bhee padhee aur tamaam comments bhee...bahut tareefeN ho rahee hain... aap kahte bhee achchhaa hain.. . do sher mujhe khaas achchhe lage...bus itnee prashansaa se jo poornataa bodh yaa bram ho jaataa hai us se bach paayen to achchhaa...achchhaa hai lekin aur achchhaa lekhan hona hai aapkee taazaa kalam se ...is umeed aur vishvass ke sath....Dr. Sarita Sharma
आप सबका स्नेह मिला बहुत बहुत धन्यवाद
मुझे मालूम है की मैं बहुत काबिल गजल अभी नहीं कह पा रहा हूँ ... दरअसल गजल कहना बहुत ही मुश्किल काम है, केवल छंद ही इस बात का पैमाना नहीं की आपने अच्छा लिखा है....
मेरा प्रयास जारी है एक विशेष बात है वो समय आने पर कहूँगा ... शायद कोई लेख ही बन जाए ....
पुनः धन्यवाद, कृपया स्नेहाशीष बनाये रखें
आपका ही
अरुण अद्भुत
आँसू अब बरसेंगे शायद
गम के बादल आज घने हैं ।
बेहतरीन ।
wo likhne main ghazal jaisa hai,
wo sunane mein ghazal jaisa hai,
tarif or karu kya uski,
wo meherban hi ghazal jaisa hai
kabhi waqt mila to mein bhi ghzal likh ke dikhaunga,
aaj ulza hu khud ko sulzane mein
very nice ghazal sir ji
lage raho munna bhai calibar 115 cc
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