हिन्द-युग्म ने जनवरी 2007 से मासिक यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता की शुरूआत इंटरनेट पर हिन्दी (देवनगारी) के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की थी। साथ ही साथ हमारा यह भी उद्देश्य था कि इंटरनेट माध्यमों से जुड़ी हिन्दी रचनाधर्मिता भी प्रकाश में आये। यह आयोजन 28 बार हो चुका है। हम अपने उद्देश्यों सफल ही नहीं हुए अपितु पूर्णतया सफल हुए। सैकड़ों कवियों का इस मंच से जुड़ना हुआ जो अच्छा लिख रहे हैं। अच्छा लिखने को प्रयासरत हैं। हमने जब प्रतियोगिता शुरू की थी, उससे भी पहले से ही हिन्दी और हिन्दी ब्लॉगिंग से गीतकार राकेश खंडेलवाल का जुड़ाव था। पाठक इनके लिखे गीतों के मुरीद थे। गीत-लेखन विधा में पारंगत राकेश खंडेलवाल की पहली कविता पुस्तक 'अंधेरी रात का सूरज' भी हमारे सामने ही आई। हिन्द-युग्म ने इसका ऑनलाइन तथा पॉडकास्ट विमोचन भी किया। हमें खुशी है कि हम इस पुस्तक की एक-एक प्रति मई माह के विजेताओं को भेंट करेंगे।
हमारे इस प्रयास में इंटरनेट जगत पर सक्रिय लगभग सभी प्रयासों ने सहयोग दिया। सबसे पहले सृजगाथा डॉट कॉम के संपादक और सृजन-सम्मान संस्था के प्रमुख जयप्रकाश मानस ने रु 5000 से भी अधिक मूल्य की पुस्तकें भेजकर हमारा सहयोग किया था। इसके बाद त्रैमासिक पत्रिका मसि-कागद पिछले एक साल से हमारा सहयोग कर रही है। आज एक और बड़ी ख़बर हम लाये हैं। वो ये कि शिवना प्रकाशन, भावी 12 यूनिकवियों को (यानी कि मई 2009 से लेकर अप्रैल 2010 के पहले स्थान के कवियों को) रु 1000 मूल्य तक की पुस्तकें भेंट करेगा। शिवना प्रकाशन युवा कहानीकार, कवि और यूनिग़ज़लप्रशिक्षक पंकज सुबीर की ओर से चलाया जाता है।
इसके अलावा समय-समय पर बहुत से लेखकों ने हमें अपनी पुस्तकें देकर हमारी मदद की है। पूरी सूची यहाँ देखें।
हम उम्मीद करते हैं कि यह उद्घोषणा पढ़कर बहुत से पाठकों-कवियों में उत्साह भरेगा और अधिकाधिक संख्या में इस प्रतियोगिता में भागे लेंगे।
इतना ही नहीं सबसे बड़ा इनाम यह कि यदि आपकी कविता प्रकाशित होती है तो उसे हज़ारों पाठकों की पठनीयता का अनुपम सौगात तो सबसे बड़े पुरस्कार के रूप में मिलेगा ही।
मई महीने की यानी 29वीं यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं।
मई 2009 का यूनिकवि बनने के लिए-
१) अपनी कोई मौलिक तथा अप्रकाशित कविता 15 मई 2009 की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें।
(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)
२) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो।
यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।
३) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सिखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की।
४) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।
यूनिपाठक बनने के लिए
चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड ( हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टायपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।
१) 1 मई 2009 से 31 मई 2009 के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करें।
२) टिप्पणियों से पठनीयता परिलक्षित हो।
३) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।
४) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।
कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-
१) यूनिकवि को शिवना प्रकाशन की ओर से रु 1000 की मूल्य तक की पुस्तकें तथा प्रशस्ति-पत्र।
२) यूनिपाठक को राकेश खंडेलवाल के गीत-संग्रह अंधेरी रात का सूरज की एक प्रति तथा प्रशस्ति-पत्र।
३) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों को तथा दूसरे से चौथे स्थान के पाठकों को राकेश खंडेलवाल के गीत-संग्रह अंधेरी रात का सूरज की एक-एक प्रति।
प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय लेखकों की प्रविष्टियों को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।
प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
वाह! वाह!! वाह!!!
साहित्य सेवा के साथ पुरूस्कार वो भी तगड़ा,धन्यवाद हिन्द-युग्म परिवार।
साहित्य को बढावा देने के लिये।
मुकेश कुमार तिवारी
शैलेश जी,
बहोत ही बढ़िया कार्यक्रम का आयोजन किया है आपने... इससे ना ही हिंदी सवरेगी अपितु लोगों की हिंदी के प्रति मनोदशा भी बदलेगी ... आप जो कर रहे है वो तो एक पुण्य के बराबर है... बधाई स्वीकारें...
आपका
अर्श
हिंद युग्म को बधाई.
भली बनाई रीत.
कर अक्षर आराधना,
बाँट रहा है प्रीत.
बाँट रहा है प्रीत गीत का सरस संकलन.
मिले- झूम कर पढ़े 'सलिल'
खुश हो मन ही मन.
शैलेश जी,
यह एक बहुत ही अच्छा और प्रशंशनीय प्रयास है. हिन्दयुग्म के माध्यम से कितने ही लोगों को प्रेरणा मिलेगी कवितायेँ लिखने की और प्रकाशित होने की उम्मीद भी. ताकि दुनिया भर के तमाम पाठक उन कवितायों का आनंद ले सकें, और उनकी रचनायों के बारे में अपनी-अपनी टिप्पणी भी दे सकें. धन्यबाद.
शैलेश जी,
यह एक अच्छा प्रयास है. इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए टॉपिक कहाँ से प्राप्त होगा?
गौरव 'लम्स'
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