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Monday, December 08, 2008

चित्र और काव्य : फिर एक साथ


जैसा कि आप लोग जानते हैं कि हिन्दयुग्म ने काव्यपल्लवन में पिछले अंक से एक नई शुरुआत की है, जिसके माध्यम से चित्र पर कविता रचने का कार्य सम्पादित किया जा रहा है। आप लोगों का स्नेह व सहयोग मिला जिसकी वजह से हम इस बार भी चित्र के आधार पर ही काव्य-पल्लवन आयोजित कर रहे हैं। इस बार भी चित्र मनुज मेहता के द्वारा ही खींचा गया है। आपको करना केवल इतना है कि इस चित्र को ध्यान में रखते हुए अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचना हमें kavyapallavan@gmail.com पर २२ दिसम्बर २००८ तक भेज देना है।

Kavyapallavan

हिन्द-युग्म का हमेशा से ही यही उद्देश्य रहा है कि पाठक हमारे हर प्रयास में अधिक से अधिक भागीदार बने। इसीलिये हम चाहते हैं कि नये वर्ष के पहले काव्य-पल्लवन के लिये आप चित्र भेजें। आप लोगों में से भेजे गये चित्रों में से ही किसी एक पर जनवरी माह का काव्यपल्लवन आयोजित किया जायेगा। कृपया ध्यान रहे कि आपकी तस्वीर अथवा स्केच कहीं भी प्रकाशित न हुए हों। आप अपने चित्र ३० दिसम्बर २००८ तक kavyapallavan@gmail.com पर भेजें।

आपको हमारा यह प्रयास कैसा लग रहा है, कृपया टिप्पणी अवश्य करें। आपके टिप्पणी व विचार ही हममें हौंसला पैदा करते हैं।

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

Riya Sharma का कहना है कि -

काव्यपल्लवन का ये प्रयास एक उत्कृष्ट प्रयास रहा है

चित्र देखकर अलग अलग मन में कैसे भावः आते हैं
और किस तरह की कविता की उत्पत्ति होती है
ये इसका एक सुंदर उदाहरण है

धन्यवाद

manu का कहना है कि -

प्रयास तो अच्छा है पर पहले वाला कुछ आसान नहीं था क्या...? इसकी कथा तो पता नहीं पल्ले भी पड़ेगी या नहीं...

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

कुछ तो मेहनत करनी पड़ेगी मनु जी... दिमाग के घोड़े दौड़ाइये.. :-)
वैसे आप चाहें तो आप अपना कोई चित्र भेजे.. हो सकता है कि अगली बार आसानी हो जाये.. :)

Riya Sharma का कहना है कि -

मनु जी अब आप ऐसा बोलने लगे तो हमारा क्या?:))

तपन जी शुक्रिया मंच पर मुस्कराहट बिखेरना का
लिखना कुछ सहज हो जायेगा :)

धन्यावाद !

neelam का कहना है कि -

manu ji ki baat se poora itefaak ,
rakhte hain ,chitra hume kuch janchaa nahi ,kavita khud v khud aaye aapki kalam se aisi to koi kashish nahi isme .

manu का कहना है कि -

पर लिखना ज़रूर .....निवेदन है......एक छोटी सी सलाह भी........
के इस चित्र में अगर कुछ अवांछित सा लगे...जो कलम में रुकावट पैदा करे तो उस पर ध्यान न दे...........जो दूर तक नज़र आ रहा है,ध्यान से देख कर जहाँ कलम कसमसाने लगे ..वहीं ध्यान लगा दे तो शायद आसान हो...
असल में पिछली कविता बीस मिनट में ही हो गयी थी......और इसमे अभी सोच ही रहे है....

Riya Sharma का कहना है कि -

मार्गदर्शन के लिए
शुक्रिया मनु जी !!

Anonymous का कहना है कि -

chitra par likhna bahut mushil bhara hai kyonki chitra kisi khas disha mein koi ishara nahi kar raha hai.
--shamikh faraz

Divya Narmada का कहना है कि -

आचार्य संजीव 'सलिल',
सम्पादक दिव्य नर्मदा शोध साहित्यिकी,

चित्र देख कविता करें, मन-भाया आव्हान.
कठिन नहीं मुझको लगा, सरस और आसान.

विषय चित्र ही दे रहा, देख सोचिये आप.
दृष्टिकोण निज बताएं, डूब भावः-रस माप.

काव्य-रूप का है नहीं, बंधन कोई मीत.
सहज शब्द सामर्थ्य से, लें कठिनाई जीत.

कुछ मिनिटों में ही हुई, है प्रविष्टि तैयार.
कठिन लगे पर सहज है, चित्र-काव्य व्यापार.

नीलम सेहर तपन मनु, भू नभ तरु नर नाव.
देख पहुँचिये कलम ले, अब कविता के गाँव.

नीला पीला सुनहरा, हरा देखिये रंग.
नहीं कोई भी लग रहा, किंचित भी बेरंग.

है अनेक में एक यह, प्रकृति माँ की गोद.
बैठ स्वयम को को भुलाकर, कविता रचें समोद.

- sanjiv.salil.blogspot.com
- salil.sanjiv@gmail.com

manu का कहना है कि -

चित्र तो बाद में ,
पहले आप के छंदों पर झूम लूँ.
कमाआल है ...
वाह......

Dinesh Dard का कहना है कि -

beshak bahut acchhi koshish hai. aapke yahi prayaas aasmaan ko takte huwe hawaon main ungaliyan ghumane walo ke liye bahut hi acchha platform hai.

Dinesh "DARD", Ujjain

Anonymous का कहना है कि -

vese prayas to achha he pr photo to gajab ka he lagta he ki kavita likhne ka exam he jo hard hota ja rha he.
khkr to kavita aa hi nhi rahi he.kya kren.ab to ek hi rasta he ki ek bar dekho aankhen band karo or shuru ho jao sahil pr .
anirudha singha

Dilsher Khan का कहना है कि -

Kavya pallavan naye lekhakon ko, Shayaron, Kaviyon ko achchha protsahan aur salah de raha hai. bahut achchha prayas hai ye

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