दौड़ता हिन्द, दौड़ता हिन्दयुग्म (रूपम चौपड़ा)- तस्वीर सौजन्य टाइम्स ऑफ इंडिया-08-12-2008
कदम मिलाकर चलना होगा
******************
भाग्य राष्ट्र का अपने दम पर
हमको आज बदलना होगा..
कदम मिलाकर चलना होगा..
कदम मिलाकर चलना होगा..
और नहीं बन्दूक चलेगी
गैरों के कन्धे पर रखकर
परिवर्तन के हेतु स्वमं ही
उठकर हमको चलना होगा...
भाग्य राष्ट्र का अपने दम पर
हमको आज बदलना होगा..
कदम मिलाकर चलना होगा..
कंटक हो राहों में कितने
लेकिन संग संग कदम बढ़ाकर
फौलादी कर आज इरादे
पैरों तले कुचलना होगा..
भाग्य राष्ट्र का अपने दम पर
हमको आज बदलना होगा..
कदम मिलाकर चलना होगा..
हमें गिराने की साजिश में
शातिर कितने लगे हुए हैं
कदम कदम पर चाल समझकर
लेकर ढ़ाल सम्भलना होगा
भाग्य राष्ट्र का अपने दम पर
हमको आज बदलना होगा..
कदम मिलाकर चलना होगा..
08-12-08
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
11 कविताप्रेमियों का कहना है :
Bahut bahut shukriya, Bhupendra ji! Ittefaq hi tha .. hazaron logon mein TOI walon ne meri tasveer chuni!
Magar haan, jazbaa to hai. Azadee ki pehle hi badi qeemat chukayi hai humne. Ab aur nahin.
God bless us all,
RC
वाह अति सुन्दर विचार है। लग रहा है कि पूरा देश आज जाग उठा है।
acha likha hai aapne
or sach mein hume acha lagega agar aap meri website (www.sunehrepal.com) par bhi join kare .... aapki joining ka intzaar rahega...
take care
पढ़कर मजा आया...
मैंने केवल यूं ही लेखों और अखबारों के माध्यम से जाना है...कभी पढा नहीं..
फ़िर भी कविवर दिनकर की याद आ गयी....
वाकई जागरण शुरू हो चुका है
कृपया एक बार मेरे ब्लॉग पर अवश्य आयें | कम से कम "निशब्द" कविता के टिप्पणीकार तो अवश्य | मुझे कुछ और भी कहना है |
www.manu-uvaach.blogspot.com
बहोत ही सुंदर बिचार ,बहोत बहोत बधाई आपको साथ में .R C. जी को भी दौड़ में सम्मिलित होने के लिए... ढेरो साधुवाद...
राघव जी, कविता अच्छी लगी.. और रूपम जी ..जज़्बा हममें कायम रहे तो हम दोबारा आज़ाद हो सकते हैं... !!!
कदम कदम पर चाल समझकर
लेकर ढ़ाल सम्भलना होगा
भाग्य राष्ट्र का अपने दम पर
हमको आज बदलना होगा..
कदम मिलाकर चलना होगा..
बहुत ही अच्छी रचना. धन्यवाद.
आपका
महेश
हमें अपनी मंजिल को पाना है
अपना कर्म करते जा
http://popularindia.blogspot.com
राघव जी,
आपकी कविता अच्छी लगी, अब वक्त आ गया है देश के लिए एकजुट होने का, पर जब तक समाज मे शिक्षा का संचार नही होता,ये असंभव सा लग रहा है।
सुमित भारद्वाज
राघव जी,
बहुत ही जोश भरी कविता है, यही जोश अगर सभी युवाओं में हो तो राष्ट्र का भाग्य बदलते देर नहीं लगेगी .
शुभकामनाएं
^^पूजा अनिल
बहुत बढिया संदेश।
राघव जी को बधाईयाँ!
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)