दिल्ली बीचो-बीच में भवन भव्य विज्ञान
कर्मठता का पुलिस को, मिलना था सम्मान
मिलना था सम्मान, सो पहुँचे सभी वक्त पर
मोटी - मोटी तोंदों वाले आला अफसर
लम्बे - पतले, मोटे - छोटे, नाटे - गट्टे
अब तक शक्ल दिखी ना जिनकी हुए इकट्ठे
चेहरे रगड़ मलाई, सेंट लागाकर आये
उचक उचक कर तकें कि कब कोई हमें बुलाये
अवार्ड बेस्ट मुस्तैदी का जब पा गया कुत्ता
हुई सिपाही अफसर में फिर गुत्थम-गुत्था
अवार्ड दिलाने के लिये इसने पैसे खाये
तील साल में मुझसे छ: छोछक दिलवाये
उछल उछल कर कुत्ता मंच पर उड़ाये खिल्ली
देशभक्त या द्वेषभक्त, बदल रही है मेरी दिल्ली
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
9 कविताप्रेमियों का कहना है :
मिडल क्लास में पढने योग्य. राघव
दिल्ली तो वास्तव मैं बदल रही है राघव जी. अब क्या करें. परिवर्तन ही सृष्टि का नियम जो है. आपने छंद मैं सुंदर चित्रण किया है. हास्य उत्पान करने में आप कुशल हैं. बधाई स्वीकारें
बढ़िया व्यंग है जी :)
बहुत सुंदर चित्रण है
सादर
रचना
बढ़िया है...तेवर एकदम अलग हैं....तंज़ भी है और मज़ा भी....लिखते रहे जनाब...
निखिल
अवार्ड दिलाने के लिये इसने पैसे खाये
तील साल में मुझसे छ: छोछक दिलवाये
उछल उछल कर कुत्ता मंच पर उड़ाये खिल्ली
देशभक्त या द्वेषभक्त, बदल रही है मेरी दिल्ली
bahut achchha
मिडल क्लास में पढने योग्य. राघव
kavita ko bhi klas me batna hai? kya-kya batoge
अवार्ड बेस्ट मुस्तैदी का जब पा गया कुत्ता
हुई सिपाही अफसर में फिर गुत्थम-गुत्था
जबरदस्त लाईन है।
आप फिर से अपने तेवर में लौटे हैं।
बधाई स्वीकारें\
yup u r 100% right,,,, delhi is changing very much,,, not only delhi bt whole india and whole world is changing. some changes are good and some are not so godd,,,,, but we all have to accept in anyways...
जी हाँ आप बिल्कुल सही है,,, दिल्ली बहुत बदल रही है. सिर्फ़ दिल्ली ही नही पूरा देश और पूरा विश्व बदल रहा है. कुछ बदलाव अच्छे होते है और कुछ हमें ज्यादा पसंद नही आते, लेकिन हमे सारे बदलावों को स्वीकारना ही पड़ेगा, और कोई चारा नही है हमारे पास.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)