एक छोटी बच्ची ने पूछा
अपनी माँ से
ये आतंकवाद क्या है?
वो क्यों फोड़ते हैं बम?
क्यों मारते हैं?
मेरी सहेली और उसके पापा को
उस बेटी को समझा न सकी -
उसकी माँ कुछ भी
क्योंकि उस बालमन की दुनिया में
नहीं है नफरत, ईर्ष्या और द्वेष कोई
और न ही है कोई शब्द
उसके शब्दकोष में
आतंकवाद जैसा कोई ..............................................
--नीलम मिश्रा
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत अच्छी कविता
इतने कम शब्दों में इतनी बड़ी बात! बहुत खूब!
बहुत अच्छी कविता है...
काश कोई इस प्रश्न का उत्तर जाना पाता।
काश!
बहुत ही मुशकिल होता है ऐसे प्रश्नो का उत्तर देना........
अच्छी कविता है
सुमित भारद्वाज
छोटी मगर असरदार कविता। इसी तरह लिखती रहें।
इस प्रश्न का उत्तर न माँ समझा पायेगी न ही बच्चे समझ पायेंगे।
बहुत अच्छी कविता..
सुंदर अभिव्यक्ति पर साधुवाद -श्यामसखा `श्याम'
बहुत अच्छे भाव
सादर
रचना
नीलम जी आप की कविता उम्दा है और यह जानकर और खुसी हुई की आप लखीमपुर से है बधाई हो!!
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