२८ फरवरी १९८२ को वाराणसी में जन्मे कवि पुष्कर चौबे ने देल्ही कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी॰टेक॰ की डिग्री ली है और फिलहाल पुणे की एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या के कारण साहित्य नहीं पढ़ पाते, लेकिन पढ़ने में अत्यधिक रुचि होने के कारण यदा-कदा समय मिलने पर हिन्दयुग्म तथा अन्य हिन्दी साहित्य की वेबसाइट्स को पढ़ते रहते हैं। इन्होंने पहली बार यूनिकवि प्रतियोगिता में भाग लिया और १३वाँ स्थान भी बनाया। आइए पढ़ते हैं।
कविता- तेरी ही तलाश
आड़ी तिरछी रेखाओं में तुम्हें ही खीचने की कोशिश,
टूटे बिखरे शब्दों में तुम्हें ही समेटने का प्रयास,
दिल की बेडोल शख़्त चट्टानों में तुम्हें ही तराशने की ज़िद,
हर पल, हर क़तरे, हर टुकड़े में करता बस तेरी ही तलाश,
यूं तो बुने हैं कल्पनाओं के कितने ही पुलिन्दे,
पर हर पन्ने-पन्ने पे बिखरा बस तेरा ही तो ख़याल,
हवा की हर हिलोर, जैसे बिखरा हो तेरा ही स्पर्श, या जैसे
बरसाती हवाओं में उड़ती छतरी से जूझती तेरी कमसिन सी क़शिश
बारिश की हर बूँद में तेरे ही संग भीगने की ख़्वाहिश,
हर ख़्वाब में सजते बस तेरी ही स्मृतियों के मंज़र,
पहली बारिश की सौंधियाई मिट्टी में तेरी ही यादों की महक,
चंचल लहरों की कल-कल में खोजता तेरी ही खिलखिलाहट,
ढूंढ़ता हूं, सन्नाटों की साँ-साँ तोड़ तेरे ही चले आने की आहट,
पलकों की हर झपक में बस तेरी ही झलकियों की चाहत,
यूं तो मैं जानता हूं, ये अनंत एकाकीपन ही मेरी नियति है,
फिर भी, हर लम्हा, हर क़तरे, हर टुकड़े में तेरी ही.. बस तेरी ही तलाश ।
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ३, ४, ६॰६, ७॰२५
औसत अंक- ५॰३७
स्थान- ग्यारहवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४॰५, ३, ५॰३७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ४॰२९
स्थान- तेरहवाँ
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
किसी के हो जाओ या किसी को अपना बनालो तलाश तब ख़त्म होती है दोस्त वरना तो ढूंढते रह जाओगे partahm paathak
पुष्कर जी, यूनिकवि प्रतियोगिता में भाग लेने और १३वाँ स्थान प्राप्त करने के लिए बधाई. आपकी कवित बहुत ही सुंदर है और आपकी गहरी प्रेम संवेदना दर्शाती है.
यूं तो मैं जानता हूं, ये अनंत एकाकीपन ही मेरी नियति है,
पुष्कर जी यूँ ही लिखते रहिये आपकी नियति यकीनन बदल जायेगी.
बहुत अच्छा प्रयास है. पुरस्कार के लिए बधाई!
निसन्देह अच्छी कोशिश,शुभकामनाएं.
आलोक सिंह "साहिल"
धीरे-धीरे कविता लिखना सीख जायेंगे। साहित्य को पढ़ने के लिए थोड़ा और समय निकालें।
प्यार की वेदना पे अच्छी कविता
बधाई
सादर
रचना
ममता जी, स्मार्ट इंडियन जी, साहिल जी, शैलेश जी, रचना जी...
आप सभी ने मेरी कविता को पढ़ा | कविता लिखने के मेरे प्रयास की सराहना की तथा प्रोत्साहन किया |
आप सभी की बहुमूल्य टिप्पणियों के लिए धन्यवाद! आप का बहुत बहुत अभिनन्दन!!
बढ़िया है पुष्कर ,
यार पुणे में ही हो ,मिलते हैं कभी !!
मेरा रूम मेट DCE का ही है |
सादर
दिव्य प्रकाश
जरूर, दिव्य
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