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Tuesday, July 08, 2008

'महँगाई' विषय पर कविताएँ आमंत्रित


हिन्द-युग्म जुलाई २००८ माह के काव्य-पल्लवन के लिए 'महँगाई' विषय पर कविताएँ आमंत्रित करता है। कवियों से निवेदन है कि विषय केन्द्रित अप्रकाशित कविता २८ जुलाई २००८ तक kavyapallavan@gmail.com पर भेजें।

केवल अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगी।

महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।


चित्रकार और फोटोग्राफर भी विषय केन्द्रित चित्र व फोटो भेजें।

जुलाई माह के काव्य-पल्लवन के लिए ५ जुलाई २००८ को पाठकों से विषय आमंत्रित किये गये। कुल १० पाठकों ने हमें बहुत बढ़िया-बढ़िया भेजे। यह तय कर पाना बहुत मुश्किल था कि किसे चुना जाय किसे नहीं। अंततः हमने विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र' द्वारा प्रेषित विषय 'महँगाई' को सबसे अधिक सामयिक और आम जनता की बात समझा और इसी विषय पर काव्य-पल्लवन कराने का निर्णय लिया।

विवेक रंजन के अतिरिक्त डॉ॰ शीला सिंह, विजय शंकर चतुर्वेदी, ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान', डॉ॰ मित्तल, दिवाकर मिश्र, शैलेश जमलोकि, आदित्य प्रताप सिंह, कमलप्रीत सिंह और मेनका कुमारी ने अपने-अपने विषय भेजे।

इन सभी प्रतिभागियों का हम धन्यवाद करते हैं।

नये पाठकों के लिए बता दें कि काव्य-पल्लवन सामूहिक कविता लेखन की कार्यशाला है जिसमें एक निश्चित विषयों पर कवियों से कविताएँ आमंत्रित की जाती है। यह आयोजन हर माह होता है। अधिक जानकारी के लिए निम्न कड़िया पढ़ें-

काव्य-पल्लवन क्या है?

पुराने विशेषांक

अंक-१
अंक-२
अंक-३
अंक-४
अंक-५
अंक-६
अंक-७
अंक-८
अंक-९
अंक-१०
अंक-११
अंक-१२
अंक-१३
अंक-१४
अंक-१५ (पहली कविता विशेषांक)

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

बहुत ही अच्छा विषय निश्चित रूप से महंगाई आज एक बड़ी समस्या है

अत: ये बहुत ही अच्छा विषय है

सीमा सचदेव का कहना है कि -

बहुत ही सटीक विषय है

संजीव कुमार का कहना है कि -
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संजीव कुमार का कहना है कि -

महंगाई आज एक विकट समस्या है लेकिन इसका समाधान कविता लिखने से नहीं होगा.

devendra kumar mishra का कहना है कि -

ये बहुत ही अच्छा विषय है

सीमा स्‍मृति का कहना है कि -

Aaj ka saach jis kae kaaran aadami aadami ki jaan ka dushman hoo gaya hai.

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