न ले जमाने में बद-दुआयें किसी की
साथ तेरे बस एक दुआ जायेगी
जिन्दगी और मौत दोनों किनारे पर हैं
जाने कब कौन सी लहर आयेगी
मांगना है कुछ तो खैर सब की मांग ले
ये दिल भरा है न भरेगा कभी
खुद बखुद भर जायेगी खाली झोली तेरी
बांटी है हंसी तो खुशी आयेगी
झूठे सहारों की आगे न होगी जरूरत कोई
जो कुछ है यहीं रह जायेगा
जो दिया था किसी को वो पुल बन जायेगा
राह की हर खाई पट जायेगी
एक दिन खाक में मिलना तय बात है
याद रख पाये तो बेहतर रहे
आंधीयों में उडता हर जर्रा यह जान ले
एक दिन यह हवा रुक जायेगी
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत ही सुंदर मर्मस्पर्शी रचना.जीवन का सत्य तो यही है.इसे जिसने जितना अधिक अंगीकार किया उसकी झोली उतनी ही भरी रही नही तो जाते समय जुटाया हुआ कौन सा धन दौलत साथ जाता है किसी के.सरल और भावपूर्ण शब्दों में बहुत ही सुंदर लिखा है आपने.साधुवाद.
zindagi ki aakhari sachhai bahut sundar alfazon se varnit,bahut badhai
मांगना है कुछ तो खैर सब की मांग ले
ये दिल भरा है न भरेगा कभी
खुद बखुद भर जायेगी खाली झोली तेरी
बांटी है हंसी तो खुशी आयेगी
बहुत सही ..सुंदर रचना ..
मोहिन्दर जी,
बडे दिनों बाद दस्तक ....
ह्म्म्म्म्म्म.. बढिया :-
जिन्दगी और मौत दोनों किनारे पर हैं
जाने कब कौन सी लहर आयेगी
jeevan ki styta ka bodh krane vaali rachna hai ,yhi bodh to geta krati hai,, so spsl thnks tu u,,
मांगना है तो खैर सबकी मांग ले
ये दिल भरा है न भरेगा कभी
खुद ब खुद भर जाएगी झोली तेरी
बांटी है हंसी तो खुशी आएगी
---सुंदर।----देवेन्द्र पाण्डेय।
सुंदर बने है |
अवनीश तिवारी
झूठे सहारों की आगे न होगी जरूरत कोई
जो कुछ है यहीं रह जायेगा
जो दिया था किसी को वो पुल बन जायेगा
राह की हर खाई पट जायेगी
सुन्दर परम्परागत रचना ! बहुत अच्छा लगा
पढ़ कर
एक दिन खाक में मिलना तय बात है
याद रख पाये तो बेहतर रहे
आंधीयों में उडता हर जर्रा यह जान ले
एक दिन यह हवा रुक जायेगी
दार्शनिकता से भरी अच्छी रचना है।
मोहिंदर जी ,
ऐसे मोह भंग ना कीजिये !!
अरे जनाब, और भी ग़म हैं जमाने में....
कथ्य और शिल्प दोनों पारम्परिक ! कविता में उपदेश हो यह तो ठीक है पर कवि को उपदेशक होने से बचना चाहिए...
और अंत में यह मेरा ख्याल है !
बहुत ही बेहतरीन मर्मों को समेटे आपकी रचना.बधाई
आलोक सिंह "साहिल"
झूठे सहारों की आगे न होगी जरूरत कोई
जो कुछ है यहीं रह जायेगा
जो दिया था किसी को वो पुल बन जायेगा
राह की हर खाई पट जायेगी
थोड़ा निराशावादी परन्तु सटीक
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