फटाफट (25 नई पोस्ट):

Monday, April 14, 2008

रूपक सूरज नहीं डूबने देंगे


हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता के परिणामों को देखकर यह अंदाज़ा लग जाता है कि हिन्दीकर्मी दुनिया के प्रत्येक कोने में हैं। प्रतियोगिता की चौथी कविता के रचनाकार रूपेश पाण्डेय 'रूपक' एक ऐसे ही भाषाकर्मी हैं। नौकरी की तलाश में म॰प्र॰ के छोटे से शहर रीवा से बेंगलूरू पहुँचे रूपक सोनाटा सॉफ्टवेयर लिमिटेड, बेंगलूरू के प्रबंधन से जुड़े हैं। और हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं।

पुरस्कृत कविता- सूरज़ नहीं डूबने दूँगा

मैनें फंदे बना लिए हैं पर्वत से उसको पकड़ूँगा ,
सूरज नहीं डूबने दूँगा, सूरज नहीं डूबने दूँगा।
कई वर्ष से देख रहा हूँ सूरज तुझको आते जाते,
समरसता की नीरसता को नीरवता में पर फैलाते,
आते स्वर्णिम किरणें लेकर सिंदूरी सपने दे जाते,
कहाँ लुटा आए सब सोना कान पकड़कर ये पूछूँगा
सूरज नहीं डूबने दूँगा, सूरज नहीं डूबने दूँगा।

सत्ता के उल्लू-चमगादड़ जनता से न चिपक सकेंगे,
दुष्चरित्र दृष्टिबद्धों के सदन न दुति से दमक सकेंगे
ठेंगे से इनके क्रिसमस ये छः का छींका फोड़ ही देंगे,
और दंगे भड़क गये तो रक्तिम रातों में मैं सो न सकूँगा,
सूरज नहीं डूबने दूँगा, सूरज नहीं डूबने दूँगा।

नव प्रभात नव वर्ष नव सदी नव आशा नवनीत बँटेंगे,
पिघल-पिघल ये पृण टपकेंगे जब प्रचण्ड विस्फोट घटेंगे
हटेंगे फिर चेहरों से चेहरे प्रतिमानों के प्रष्ठ फटेंगे,
हर निषेध निशि में निषिद्ध है निश्चय है ये तम हर लूँगा,
सूरज नहीं डूबने दूँगा, सूरज नहीं डूबने दूँगा।

बैठ गया था मौन क्षितिज पर पक्षी कलरव करते थे,
पर्वत लगा तापने गर्मी पशुदल पद रव करते थे,
हरते थे विश्वास मेरा उपहास उलाहित करते थे,
मैं रहूँ सफल न रहूँ किंतु फिर भी यह दृढ़ संकल्प धरूँगा,
सूरज नहीं डूबने दूँगा ,सूरज नहीं डूबने दूँगा।



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ३॰८, ७, ५, ७॰८
औसत अंक- ५॰९
स्थान- नौवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७, ५॰५, ६॰५, ५॰९ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰२२५
स्थान- चौथा



पुरस्कार- ज्योतिषाचार्य उपेन्द्र दत्त शर्मा की ओर से उनके काव्य-संग्रह 'एक लेखनी के सात रंग' की स्वहस्ताक्षरित प्रति।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

11 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

रूपक जी ,बहुत बहुत बधाई , आपकी कविता उम्मीद को पकड़े रहने का संदेश देती है , अच्छी कविता है .
पूजा अनिल

Anonymous का कहना है कि -

रूपक जी जितना कहू उतना काम है,बेहतरीन,
आलोक सिंह "साहिल"

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

रूपक जी,
बधाई स्वीकारें। सूरज को नहीं डूबने दूँगा। बहुत अच्छी कविता लिखी है।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

कहाँ लुटा आए सब सोना कान पकड़कर ये पूछूँगा
सूरज नहीं डूबने दूँगा, सूरज नहीं डूबने दूँगा।

हटेंगे फिर चेहरों से चेहरे प्रतिमानों के प्रष्ठ फटेंगे,
हर निषेध निशि में निषिद्ध है निश्चय है ये तम हर लूँगा,
सूरज नहीं डूबने दूँगा, सूरज नहीं डूबने दूँगा।

एक एसी आशावादी रचना जिसमें नवप्रभात दिखता है, उम्मीद में क्रांति की आहट सुनी जा सकती है। हर शब्द गहरी गहरी स्वाँसे लेते हैं चूंकि हर आशावादिता वह प्रयास माँगती है जिसके लिये कवि नें सूरज को बाँधने का फंदा बनाया है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Anonymous का कहना है कि -

बहुत आशावादी कविता है बधाई

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

रूपक,
सुंदर रचना है |
बधाई हो |

अवनीश तिवारी

seema sachdeva का कहना है कि -

ऐसे सूर्य को तो डूबना भी नही चाहिए

Kavi Kulwant का कहना है कि -

अच्छी कविता..

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

रूपक जी,

सुन्दर आशावादी कविता के लिये बधाई स्वीकारे..

अनुप्रास का अच्छा प्रयोग हुआ है..

Anonymous का कहना है कि -

सोचा भी नहीं था कि इतनी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलेंगी , कोटिशः धन्यवाद,कुछ पंक्तियाँ त्रुटिवश छूट गयी थीं, क्रपया स्वीकार करें;
साल ढले की साँझ ढले मेरे हाथ अधूरे सपने होंगे,
इतनी ज़ोर से मारुँगा कि, तुम चंदा से जा चिपकोगे,
दोगे दगा दिवाकर द्रग को, निशी दिवस यूँ ही लटकोगे,
नक्षत्रों नाराज़ न होना, नव रवि का आह्वान करूँगा।
सूरज नहीं डूबने दूँगा,सूरज नहीं डूबने दूँगा।
इसे सत्ता के उल्लू चमगादङ.......से पहले पढें,
धन्यवाद।
रूपक
http://madmandate.blogspot.com

Rupesh Pandey का कहना है कि -

सोचा भी नहीं था कि इतनी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलेंगी , कोटिशः धन्यवाद,कुछ पंक्तियाँ त्रुटिवश छूट गयी थीं, क्रपया स्वीकार करें;
साल ढले की साँझ ढले मेरे हाथ अधूरे सपने होंगे,
इतनी ज़ोर से मारुँगा कि, तुम चंदा से जा चिपकोगे,
दोगे दगा दिवाकर द्रग को, निशी दिवस यूँ ही लटकोगे,
नक्षत्रों नाराज़ न होना, नव रवि का आह्वान करूँगा।
सूरज नहीं डूबने दूँगा,सूरज नहीं डूबने दूँगा।
इसे सत्ता के उल्लू चमगादङ.......से पहले पढें,
धन्यवाद।
रूपक
http://madmandate.blogspot.com

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)