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Monday, April 14, 2008

शिकायत


रोटियाँ....
थाली में....
पहले सूख गईं...
....सड़ गई
फिर...आहिस्ता-आहिस्ता
गायब हो गईं....
एक रिश्ता....
उस थाली में
अब तक पड़ा है
गुजरे हैं...
महज पच्चीस-एक साल

अब कोई कैसे कहे
बड़ी फजीहत होती है...
...कहे बिना
जब....एक हादसे में
कोई...मर जाता है
जिन्दा रिश्तों को
दफ़न किए बिना !!

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

mehek का कहना है कि -

ये ही जीवन है शायद....
बहुत खूब

Anonymous का कहना है कि -

अभिषेक जी , लगता है कोई दर्द छिपा है आपके भीतर जिसकी शिकायत कर रहे हो !!! बहुत खूब लिखा है -
जब....एक हादसे में
कोई...मर जाता है
जिन्दा रिश्तों को
दफ़न किए बिना !!
शुभकामनाएँ , पूजा अनिल

विश्व दीपक का कहना है कि -

बेहद गूढ रचना है। कम शब्दों में हीं आप बड़ी बात कहने में सफल हुए हैं\

बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

रचना बेहद संवेदित करती है,

एक रिश्ता....
उस थाली में
अब तक पड़ा है
........ ........
जिन्दा रिश्तों को
दफ़न किए बिना !!

*** राजीव रंजन प्रसाद

Alok Shankar का कहना है कि -

अच्छी कविता

seema sachdeva का कहना है कि -

अब कोई कैसे कहे
बड़ी फजीहत होती है...
...कहे बिना
जब....एक हादसे में
कोई...मर जाता है
जिन्दा रिश्तों को
दफ़न किए बिना !!
बहुत ही गहरा दर्द झलकता है इन पंक्तियों मे

Kavi Kulwant का कहना है कि -

मौन हो गया इस कथ्य पर

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

वाह !
सुन्दर रचना, गहराई लिये हुए..

अब कोई कैसे कहे
बड़ी फजीहत होती है...
...कहे बिना
जब....एक हादसे में
कोई...मर जाता है
जिन्दा रिश्तों को
दफ़न किए बिना !!

बधाई

Anonymous का कहना है कि -

बहुत सुंदर रचना पाटनी जी,बधाई स्वीकार करें
आलोक सिंह "साहिल"

sushant jha का कहना है कि -

मैं सोचता हूं..कि लोग ऐसी संवेदना लाते कहां से हैं...एक कविता लिखते समय.....

मेनका का कहना है कि -

good one..last few lines are really meaning full.

mona का कहना है कि -

excellent lines :
एक हादसे में
कोई...मर जाता है
जिन्दा रिश्तों को
दफ़न किए बिना

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