रंग गुलाल लिये कर में निकली मतवाली टोली है
ढोल की थाप पे पाँव उठे औ गूँज उठी फिर ’होली है’
कहीं फाग की तानें छिड़ती हैं कहीं धूम मची है रसिया की
गोरी के मुख से गाली भी लगती आज मीठी बोली है
बादल भी लाल गुलाल हुआ उड़ते अबीर की छटा देख
धरती पे रंगों की नदियाँ अंबर में सजी रंगोली है
रंगों ने कलुष जरा धोया जो रोक रहा था प्रेम-मिलन
मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है
सबके चेहरे इकरूप हुये, ’अजय’ न भेद रहा कोई
यूँ सारे अंतर मिट जायें तो हर दिन यारो होली है
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत खूब होली की मुबारक बात
रंगों ने कलुष जरा धोया जो रोक रहा था प्रेम-मिलन
मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है
अजय जी, होली का अच्छा खासा चित्र दिमाग में
आ जाता है - कविता पढ़ कर । बधाई
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अजय भाई होली की सुबह आपकी ग़ज़ल ने समां बाँध दिया है..... होली मुबारक....
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं आप सभी को
क्या खूब लिखा आपने अजय जी
बादल भी लाल गुलाल हुआ उड़ते अबीर की छटा देख
धरती पे रंगों की नदियाँ अंबर में सजी रंगोली है
अति सुंदर
रंगों ने कलुष जरा धोया जो रोक रहा था प्रेम-मिलन
मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है
बहुत सुंदर हिंदी गज़ल है अजय जी एक बेहतरीन गज़ल और ये होली आपको और पूरी हिन्द् युग्म टीम व सभी मित्रों को होली की शुभकामनायें
सबके चेहरे इकरूप हुये, ’अजय’ न भेद रहा कोई
यूँ सारे अंतर मिट जायें तो हर दिन यारो होली है
बहुत ही नेक सोच है.
मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है
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सबके चेहरे इकरूप हुये, ’अजय’ न भेद रहा कोई
यूँ सारे अंतर मिट जायें तो हर दिन यारो होली है
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सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत बढिया अजय जी बहुत बढिया..
काबिले दाद
रंगों ने कलुष जरा धोया जो रोक रहा था प्रेम-मिलन
मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है
सबके चेहरे इकरूप हुये, ’अजय’ न भेद रहा कोई
यूँ सारे अंतर मिट जायें तो हर दिन यारो होली है
सुन्दर्
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