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Friday, November 30, 2007

प्रो॰ राजीव शर्मा (हिन्द-युग्म के नये अतिथि कवि)


लगभग दो महीने पहले मेरे कॉलेज मतलब आई. पी. एस. एकेडेमी, इंदौर में एक कॉलेज-स्तरीय कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। प्रतियोगिता में बतौर जज प्रो. राजीव शर्मा जी को आमंत्रित किया गया था। मुझमें प्रतियोगिता में भाग लेने से ज़्यादा उत्साह हमारे जज़-साहब को सुनने को लेकर था। एक बड़ा नाम-एक बड़ा व्यक्तित्व जिसके बारे में केवल सुना था मगर जिन्हें सुनने का कभी अवसर नहीं मिला था। कुछ दोस्त जिन्होंने कवि सम्मेलनों में राजीव जी को सुन रखा था उनके बारे में बताकर मेरी उत्सुकता और बढ़ाए जा रहे थे। प्रतियोगिता का परिणाम आया जिसमें "बुधिया मरने वाली है" कविता ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। राजीव जी से आग्रह किया गया और अपने विशिष्ट अंदाज़ में उनके मुख से यह उदगार फूट पड़े। बोले ...


अगर रामायण काल में आज के ऑडिट वाले होते तो हनुमान जी की तो आफ़त ही आ जाती उनपर कैसी-कैसी आपत्तियाँ लगाई जातीं!
1. आपसे हमने बूटी लाने को कहा था फिर आप पहाड़ क्यों उठा कर लाए ?
2. माना की विशेष परिस्थितियों में आपने ऐसा किया पर क्या आपने पहाड़ को उसकी जगह पर वापस रखा ?
3. आप राम के सेवक है मतलब " चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी "! फिर आपने "बाय एयर ट्रेवलिंग" क्यों की " ?


प्रतियोगिता ख़त्म हो चुकी थी पर श्रोता वास्तविक आनंद अब ले रहे थे। राजीव जी जैसा व्यंग्यकार जब अपने शबाब पर हो तो उन्हें सुनना एक अद्‌भुत अनुभव होता है।

युग्म पर गंभीर कविताओं की कमी नहीं पर एक विशुद्ध हास्य-कवि की कमी मुझे बहुत समय से खल रही थी। जब राजीव जी को युग्म के बारे में बताया गया तो अपने अति-व्यस्त कार्यक्रमों के बावज़ूद भी वो सहर्ष ही हमसे जुड़ने को तैयार हो गये।

आइए प्रो. राजीव शर्मा जी की शून्य से शिखर तक की यात्रा का एक संक्षिप्त अवलोकन करते हैं -

राजीव जी का जन्म ग्राम लोनारा ज़िला खरगोन (मध्य प्रदेश) में हुआ। पिताजी शिक्षक थे तो शिक्षक पुत्र होने के नाते पारिवारिक वा सांस्कृतिक मूल्य इन्हें घुट्टी में मिले। लोनारा से विद्यालयीन शिक्षा के पश्चात कर्मभूमि इंदौर में इनका आगमन हुआ। यहाँ से ग्रेजुएशन किया तथा वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अपना परचम फाहरते रहे। इसके बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में एम. ए. किया। इसी अवधि में लेखन-कार्य की शुरुआत भी हुई। वापस इंदौर आए तथा क्रिश्चियन कॉलेज से हिंदी में एम. ए. करते हुए छात्र-संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। अब अंदर का कवि बाहर आने लगा था, कलम अपने उत्कर्ष पर थी और मधुर आवाज़ तथा वक्त्रत्व कला के धनी राजीव जी लखनऊ दूरदर्शन के लिए कार्य करने लगे। आकाशवाणी के युववाणी कार्यक्रम के लिए पाँच सालों तक उद्‌घोषक की भूमिका भी निभाई तथा दैनिक भास्कर और स्वतंत्र भारत जैसे अख़बारों में बतौर पत्रकार कार्य भी करते रहे। तभी इस्लामिया-करीमिया विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफ़ेसर हो गये व अभी हिंदी विभाग के प्रमुख हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी इनके प्रभाव से अछूता नहीं रहा। ये वर्तमान में एस. आर. न्यूज़ चैनल में प्रमुख संपादक का पद संभाल रहे हैं।

प्रो. राजीव शर्मा राजकुमार ,हेमामालिनी अभिनीत हिंदी फ़ीचर फ़िल्म "नयी महाभारत" के गीतकार और कहानीकार हैं तथा दूरदर्शन के "सहज़ स्वास्थ्य योग" नामक धारावाहिक की डेढ़ सौ कड़ियों के लेखक, शोधकर्ता और गीतकार भी हैं ख़ैरागढ़ यूनिवर्सिटी से संगीत में स्नातक राजीव जी "संगम कला ग्रुप" के माध्यम से समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर की सीनेट सभा के पाँच वर्षों तक सदस्य रहे हैं। राजीव जी का एक कविता संग्रह "सीता और सलमा" तथा एक लेख संग्रह "छपे हुए शब्द" प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त यह उद्यमिता विकास तथा पर्यावरण पाठ्य पुस्तक के लेखक भी हैं।

अद्‌भुत काव्य-प्रतिभा के धनी राजीव जी को सुमन जी, महादेवी वर्मा जी, नरेश मेहता जी सहित सारे समकालीन साहित्यकारों ने सम्मानित व पुरस्कृत किया तथा भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा जी तथा ज्ञानी जैल सिंह जी भी इनकी कला से अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके।

आज कवियों की जमात में ऐसा कोई बड़ा नाम नहीं जिसने प्रो. राजीव शर्मा के संचालन में मंच पर काव्य-पाठ न किया हो। पाँच सौ से अधिक कवि-सम्मेलनों का संचालन कर चुके राजीव जी विशुद्ध हास्य-व्यंग्यकार हैं। हँसी-हँसी ऐसी बात कह जाते हैं कि रो देना पड़ता है।

स्तरीय हास्य-व्यंग्य के अभाव के इस दौर में राजीव जी जैसे व्यंग्यकार हमसे जुड़ रहे हैं तो निश्चित ही यह गौरव की बात है। राजीव जी के माध्यम से हिंद-युग्म को मंचीय शैली व हास्य की कविताओं से रूबरू होने का अवसर मिलेगा तो मंच पर विविधता तो बढ़ेगी ही साथ में संपूर्णता की हमारी हसरत भी पूरी हो सकेगी।

बहुत जल्द ही हम प्रो॰ राजीव शर्मा की आवाज़ में हम उनके हास्य-व्यंग्य सुन सकेंगे। तो बस इंतज़ार कीजिए।

प्रस्तुतकर्ता- विपुल शुक्ला

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

प्रो. राजीव शर्मा के मार्गदर्शन के साथ साथ उनकी रचना मिलेगी सुनाने और पढ़ने के लिए .
स्वागत है इस नए प्रयोजन का.
अवनीश तिवारी

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

हिन्द युग्म के अतिथि कवि के और पर प्रो. राजीव शर्मा का हार्दिक अभिनंदन। विपुल् की का भी आभार जिनके प्रयासों से प्रो. शर्मा से परिचित होने का इस मंच को अवसर प्राप्त होगा।

*** राजीव रंजन प्रसाद

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सबसे पहले आपको बधाई विपुल जी बुधिया ने तो अपना कमाल दिखाना ही था :) ..हिंद युग्म का नाम एक बार फ़िर रोशन हुआ है .बहुत अच्छा लगा राजीव जी के बारे में पढ़ के .उनका यहाँ हार्दिक अभिनन्दन है बहुत बहुत बधाई और शुभकामना के साथ
सस्नेह

रंजू

सागर नाहर का कहना है कि -

बधाई स्वीकार करें.. बहुत गम्भीर किस्म की रचनायें आपके ब्लॉग पर पढ़ी, अब थोड़ा बहुत हास्य व्यंग्य होगा तो मुझ जैसे पाठक भी आपके यहाँ नियमित आया करेंगे।
धन्यवाद

विश्व दीपक का कहना है कि -

प्रो० राजीव शर्मा जी का हिन्द-युग्म पर स्वागत है। इस कार्य के लिए विपुल को बहुत-बहुत धन्यवाद।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

anuradha srivastav का कहना है कि -

विपुल जी निःसंदेह आप बधाई के पात्र है। आपके प्रयासों से ही ये संभव हुआ। राजीव जी की रचनाऒं का बेताबी से इंतजार है।

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

राजीव जी,
स्वागत है आपका।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

विपुल के प्रयासों की जितनी सराहना की जाय, वो कम होगा।

राजीव शर्मा जी का यहाँ स्वागत है।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

विपुल जी,

बहुत बहुत धन्यवाद आपका जो इतने बडे हस्ताक्षर से अवगत हो रहे हैं,
प्रो. राजीव जी का हार्दिक स्वागत है..

*राघव

Unknown का कहना है कि -

राजीव शर्मा जी
स्वागत
हार्दिक अभिनंदन... विपुल जी बहुत बहुत धन्यवाद

गिरिराज जोशी का कहना है कि -

हिन्द युग्म के अतिथि कवि प्रो. राजीव शर्मा का हार्दिक अभिनंदन। इस कार्य के लिए विपुल को बहुत-बहुत धन्यवाद।

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