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Monday, August 20, 2007

हिन्दी-दिवस पर काव्य-पल्लवन


काव्य-पल्लवन का उद्देश्य यही रहा है कि किसी खास विषय पर अधिक से अधिक काव्यात्मक विचार आमंत्रित किये जायें, इससे कवि के अंदर की रचनाशीलता साकार रूप लेती है और इसी बहाने हमें उस विशेष बिन्दु पर कई तरह से सोचने का अवसर मिलता है। पिछले छः महीनों से हम भिन्न-भिन्न विषयों पर काव्य-पल्लवन का आयोजन करते रहे हैं।

हालाँकि काव्य-पल्लवन हमेशा माह के अंतिम वृहस्पतिवार को प्रकाशित किया जाता है। इस बार 'हिन्दी-दिवस' विषय पर काव्य-पल्लवन का आयोजन हो रहा है। चूँकि हिन्दी-दिवस प्रत्यके वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता है, अतः काव्य-पल्लवन का सितम्बर अंक हिन्दी-दिवस के दिन ही प्रकाशित किया जायेगा।

रचनाकारों को करना इतना है कि हिन्दी-दिवस पर केन्द्रित अपनी काव्या-रचना १२ सितम्बर mohinder56@gmail.com पर भेजनी है।

रचना यूनिकोड में टंकित हो।

रचना पूर्णतयाः अप्रकाशित हो।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

काव्य-पल्लवन से संबंधित सभी नियम व शर्तों को यहाँ देख लें।

सितम्बर माह के काव्य-पल्लवन का विषय हमारी नियमित पाठिका 'शोभा महेन्द्रू' द्वारा चुना गया है।

काव्य-पल्लवन का अगस्त अंक जो कि 'संवेदना' विषय पर केन्द्रित है, ३० अगस्त २००७ को प्रकाशित होगा

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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

Nikhil का कहना है कि -

इससे बढ़िया विषय नहीं हो सकता था........उम्मीद है इस बार हिंदी-भाषी लोगों कि कलम बहुतायत में चलेगी और हमें सैंकड़ों कवितायें प्राप्त होंगी......हिंदी जिंदाबाद.........

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

विषय समयानुकूल है और इससे कई एसी रचना प्राप्त होंगी जिसे युग्म के प्रयासों के अनुरूप अनेक मंचों पर प्रस्तुत किया जा सकेगा।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Anonymous का कहना है कि -

ये तो बहुत अच्छी बात है और इसमें कोई दो राय नहीं कि काफ़ी बड़ी संख्याओं में बहुत अच्छी रचनायें प्राप्त होंगी। मज़ा आयेगा...
हिन्द युग्म पर हिंदी ही हिंदी...क्या बात है..

RAVI KANT का कहना है कि -

अत्यंत हर्ष की बात है। निश्चित ही ऐसे विषय पर अधिकाधिक हिन्दी प्रेमी लिखना पसंद करेंगे। सितम्बर अंक की प्रतीक्षा रहेगी।

पुनीत ओमर का कहना है कि -

पंक्तियों की संख्या अथवा छन्द आदि को लेकर भी यदि कोई सीमा हो तो उसे स्पष्ट करने का कष्ट करें।

शोभा का कहना है कि -

बहुत ही सामयिक विषय है । अधिक से अधिक लोग इस विषय पर लिखें और विचार करें तो
आनन्द आएगा ।

Unknown का कहना है कि -

हिन्दी के उत्थान के लिए उठाये गये कदमों में से एक अच्छा कदम है।

--विनीत कुमार गुप्ता

Unknown का कहना है कि -

वैसे मुझे कविता लिखना नही आता
लेकिन समय मिला तो कोशिश करूंगा
सुमित भारद्वाज

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