मुम्बई के घटनाक्रम से आम आदमी कितना आहत है-इसका अंदाज़ा आप सीमा सचदेव की यह कविता पढ़कर लगा सकते हैं।
न जाने क्यों......?
मन आहत है
आँखे नम
कितना पिया जाए गम
नहीं देखा जाता
बिछी हुईं लाशों का ढेर
नहीं सहन होती माँ की चीख
नहीं देखी जाता
छन-छनाती चूडियों का टूटना
नहीं देखा जाता
बच्चों के सर से उठता
माँ-बाप का साया
नहीं देखी जाती
माँ की सूनी गोद
नहीं देखी जाती
किसी बहन की कुरलाहट
न जाने कब थमेगा
यह मृत्यु का नर्तन
यह भयंकर विनाशकारी ताण्डव
न जाने कितनी
मासूम जाने लील लेगा
और भर जाएगा
पीछे वालों की जिन्दगी में अन्धेरा
मजबूर कर देगा जिन्दा लाश बनकर
साँस लेने को
न जाने क्यों......
शौकिया तौर पर कार्टून तथा चित्र बनाने वाले मनु 'बे-तक्खल्लुस' अपनी प्रतिक्रिया इस तरह से भेजी है।

अस्पष्ट वक्तव्य को इस तरह से पढ़ें- अगर हम सत्ता में आये तो सभी राज्यों को एक जुट कर एक ही राज्य बना देंगे।
