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कमाता है हमेशा नेकियाँ कुछ इस तरह से वो


हिन्द-युग्म के पाठक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' से परिचित हो चुके हैं। पिछले महीने इनकी एक कविता प्रकाशित हुई थी। जुलाई माह की प्रतियोगिता में इनकी एक कविता ने तीसरा स्थान बनाया है।

पुरस्कृत कविता- ग़ज़ल


बताता है हुनर हर शख़्स को वह दस्तकारी का
ज़रूरतमंद की इस शक्ल में इमदाद करता है

कमाता है हमेशा नेकियाँ कुछ इस तरह से वो
परिन्दों को कफ़स की क़ैद से आज़ाद करता है

कहा उसने कभी वो मतलबी हो ही नहीं सकता
मगर तकलीफ़ में ही क्यों ख़ुदा को याद करता है

कभी-भी कामयाबी ‘व्योम’ उसको मिल नहीं सकती
हक़ीकत जानकर भी वक़्त जो बरबाद करता है

पुरस्कार: विचार और संस्कृति की पत्रिका ’समयांतर’ की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता।

कोशिश भी कुछ नहीं दीखती किसी ख़बर के बीच


प्रतियोगिता की 17वीं कविता योगेन्द्र कुमार वर्मा ‘व्योम’ की है। व्योम पहली बार हिन्द-युग्म पर प्रकाशित हो रहे हैं। 9 सितम्बर 1970 को जन्मे व्योम ने बी.कॉम. तक की शिक्षा हासिल की है। गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे, कहानी, संस्मरण आदि में सृजनरत योगेन्द्र का एक कविता-संग्रह 'इस कोलाहल में' प्रकाशित हो चुका है। प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं तथा अनेक काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित हैं तथा आकाशवाणी रामपुर से अनेक बार कविता-कार्यक्रम प्रसारित हुए हैं।
सम्प्रति : लेखाकार (कृषि विभाग, उ0प्र0)
विशेष : संयोजक - साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ , मुरादाबाद
सम्मान : काव्य संग्रह ‘इस कोलाहल में’ के लिए भाऊराव देवरस सेवा न्यास, लखनऊ द्वारा ‘पं0 प्रताप नारायण मिश्र स्मृति सम्मान-2009’
ई-मेल : vyom70@yahoo.in
सम्पर्क चलभाष सं: 9412805981 , 9457038652, 9359711291

पुरस्कृत कविता: नवगीत

ढूँढ़ रहे हम पीतलनगरी
महानगर के बीच
यहाँ तरक्क़ी की परिभाषा
यातायात सघन
और अतिक्रमण, अख़बारों में
जैसे विज्ञापन
नहीं सुरक्षित कोई भी अब
यहाँ सफ़र के बीच
हर दिन दूना रात चैगुना
शहर हुआ बढ़कर
और प्रदूषण बनकर फैला
कॉलोनी कल्चर
कहीं खो गया लगता अपना
घर नम्बर के बीच
ख्याति यहाँ की दूर-दूर तक
बेशक फैली है
किन्तु रामगंगा भी अपनी
बेहद मैली है
कोशिश भी कुछ नहीं दीखती
किसी ख़बर के बीच