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Friday, May 20, 2011

उदास आँखों वाली लड़की के मेलबॉक्स खँगालना चाहता हूँ


आज पढ़िए युवा कवि फ़ज़ल इमा मल्लिक की एक कविता, जिसमें शायद आपको कुछ बिल्कुल नये और कुछ जाने-पहचाने रंग मिले।Fa

उदास आँखों वाली लड़की

(एक)

लड़की की उदास
और ख़ामोश आँखें
बेइंतहा बातें करती हैं
लेकिन अपनी उदासी का सबब
नहीं बताती है लड़की

हर रात लड़की की आँखों में
उतर कर उसकी चुप्पी, उसकी उदासी
उसकी ख़ामोशी का
सबब जानने की कोशिश करता हूँ
आँखों में उतरते ही
लड़की अपनी पलकें मूँद लेती है
और सारी रात
लड़की की आँखों में बसी उदासी
के साथ बातें करता
उसके होंठों पर खिलाने की कोशिश करता हूँ
मुस्कुराहटों के फूल
लड़की को देना चाहता हूँ
एक भरा-पूरा आकाश
और भरना चाहता हूँ उसके सपनों में रंग

सुबह होते ही लड़की
अपने पलकें खोलती है
और मैं लड़की की कुछ चुप्पी
कुछ उदासी, कुछ ख़ामोशी
अपने साथ लेकर
उसकी आँखों से बाहर आ जाता हूँ
अगली रात के इंतज़ार में।

(दो)

लड़की की उदास और
गहरी आँखों में उतर कर
उसके मेल बाक्स को
खँगलाना चाहता हूँ
और पढ़ना चाहता हूँ
आए कुछ सुखों के
कुछ दुखों के मेल
ताकि जान सकूँ
लड़की की उदासी का सबब

लड़की ने अपना मेल आईडी
और पासवर्ड मुझे बता रखा है
नहीं बताया है तो उदासी का सबब
बस कभी-कभी फ़ेसबुक पर
चैट कर लेती है लड़की
पर बताती नहीं है बहुत कुछ
कभी जब बताने को राज़ी होती है लड़की
तो नेटवर्क फ़ेल हो जाता है
फिर भी एक दिन
चैट करते हुए लड़की ने इतना भर बताया
मां को लक़वा है
पिता भी बीमार रहते हैं
भाई को मेरा
बाहर निकलतना पसंद नहीं है
इतना बता कर
ख़ामोश हो गई थी लड़की

इसलिए लड़की की
आँखों में उतर कर
खंगालना चाहता हूँ
उसके मेल बाक्स को
पर ऐसा हो नहीं पाता
लड़की का मेल आईडी
और पासवर्ड भरने से पहले ही
लड़की मूँद लेती हैं अपनी पलकें
गहरी हो जाती है उसकी उदासी
और मैं भूल जाता हूँ
मेल आईडी और पासवर्ड

लड़की की उदासी
से एक अजब सा रिश्ता जुड़ गया है
उसकी उदासी
उसकी ख़ामोशी
अब मुझे अच्छी लगने लगी है।

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

सुबह होते ही लड़की
अपने पलकें खोलती है
और मैं लड़की की कुछ चुप्पी
कुछ उदासी, कुछ ख़ामोशी
अपने साथ लेकर
उसकी आँखों से बाहर आ जाता हूँ
अगली रात के इंतज़ार में।'

बहुत खूब! डूबना कहते हैं इसे और...भावों की तीव्रता भी. उदास लड़की की उदासी को पढ़ने के लिए उसकी उदास आँखों में कैद होकर रात ठहरना....कितनी प्यारी कल्पना है.कविता को भावमयी बना दी है इसने. जितना कहूँ कम.
दूसरी कविता में नए प्रतीक,नए बिम्ब ...आपकी जहीन दिमाग को बतलाता है.नए प्रतिमान,उपमाये इंटेलिजेंट दिमाग की उपज होती है.

'....और पासवर्ड भरने से पहले ही
लड़की मूँद लेती हैं अपनी पलकें
गहरी हो जाती है उसकी उदासी
और मैं भूल जाता हूँ
मेल आईडी और पासवर्ड'
एकदम नया प्रतीक पर...दर्द की गहरे में कोई कमी नही.जरा सी असावधानी से नए उपमान,प्रतीक कविता की गाहराई को उथलेपन में बदल देते है.भावशून्य हो कर देते है किन्तु...यहाँ ऐसा नही है. बधाई

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

इसलिए लड़की की
आँखों में उतर कर
खंगालना चाहता हूँ
उसके मेल बाक्स को
पर ऐसा हो नहीं पाता
....इन पंक्तियों को छोड़ शेष सभी बेहतरीन। वाकई नया रंग लिये अनूठी कविता।

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

doosri kavita men ek taazgi mili...:)

Anjana Bakshi का कहना है कि -

फजल इमा जी की कविता बेहद खूबसूरत और मन को छुने वाली कविता हैं
हर लव्ज़ में कवि के मन की परते खुलती नजर आती हैं
फजल जी को हमारी शुभकामनाएँ

Anant Alok का कहना है कि -

एक नया और आधूनिक विषय है लेकिन रचना अंत में कुछ स्पष्ट होती नहीं दिखती थोड़ा दुबारा ध्यान देंगे तो आनंद आएगा |

सीमा स्‍मृति का कहना है कि -

आज के वातावरण में लड्की की आंखें में कोई उदासी पढ रहा । पढ कर अच्‍छा लगा वरना हम सभी आज के इस युग में लडकियों की समाज में क्‍या स्‍िथति है इस बात से हम अन्‍जान नहीं है। संवेदना के स्‍तर पर भी आदरभाव के लिए धन्‍यवाद । काश बहुत से लोग लडकि
यों को मिले इस सम्‍मान को पढ सकें और उस संवेदना को समझ सकें जो आप के अंर्तमन में है।

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