इस बार दशहरा हमने भोजपुरी ग़ज़ल प्रस्तुति के साथ मनाया था। हिंद-युग्म पर आंचलिक साहित्य के दिये की लौ को थोड़ा और बढ़ाते हुए हम इस दीवाली पर भी आपके लिये मनोज भावुक की एक भोजपुरी ग़ज़ल ले कर आये हैं। हर साँस के दीपक की तरह जीवन को प्रकाशित करने की कामना से परिपूर्ण इस रचना के साथ ही सभी सुधि पाठकों सहित हिंद-युग्म परिवार को दीपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ।
दीपावली हऽ जिन्दगी, हर साँस हऽ दिया
अर्पित हरेक सांस बा तहरे बदे पिया
सूरज त साथ छोड़ देवे सांझ होत ही
हमदर्द बन के मन के मुताबिक जरे दिया
आघात ना लगित त लिखाइत ना ई ग़ज़ल
ऐ दोस्त! जख्म देलऽ तू, अब लेलऽ शुक्रिया
भीतर जवन भरल बा, ऊ तऽ दुख हऽ, पीर हऽ
अब के तरे कहीं भला हम गजल इश्किया
तोहरा हिया में दर्द के सागर बसल बा का ?
कुछुओ कहेलऽ तू तऽ ऊ लागेला मर्सिया
कुछ बात एह गजल में समाइल ना, काहे कि
ओकरा मिलल ना भाव के अनुरूप काफिया
ठंड़ा पड़ल एह खून के खउले के देर बा
‘भावुक’ हो एक दिन में सुधर जाई भेडिया
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
“आघात ना लगित त लिखाइत ना ई ग़ज़ल
ऐ दोस्त! जख्म देलऽ तू, अब लेलऽ शुक्रिया” वाह भावुक जी! क्या लाज़वाब लिखते हैं आप. मुझे ये पंक्तियाँ पढ़ कर एक शेर याद आ गया जो आपकी नज़र करता हूँ. “उससे मैं कुछ पा सकूं ऐसी कहाँ उम्मीद थी.. गम भी वो शायद बराए मेहरबानी दे गया.” आपने भोजपुरी में गज़ल लिख कर शायरी को एक नये अंदाज़ के साथ पेश किया है जो काबिले तारीफ़ है. हमरी ओर से बहुत बहुत बधाई स्वीकार करीं. अश्विनी रॉय
matla achha laga .....baki sher "feel in the blanks " type lage..jaise bahar set karke shabd bhar diye hon.... warna manoj jee kee ek se ek ghazlen padhi hain maine,,
dipawali ki shubhkamnaayen hindyugm parivar ko
एक चिंतनपरक ग़ज़ल...लाजवाब!
ए मनोज भाएऽऽ...तनी आपन हथवा एहर बढ़ावाऽ...ओऽके चूमे के मन करत ह्वऽ... जौन हाथे से तू ई गजलिया लिखले हव... जल्दी करा यार...काहे लजात हव...!
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श्रद्धांजलि अपने आप में एक अनोखा प्रोजेक्ट है |
नमन
हर पंक्ति बेहतरीन बन पड़ी है .. सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई ।
bhaashaa ki wazah se jaraa atakte hain ham...
par badhiyaa likhe ho baabu...
कुछ बात एह गजल में समाइल ना, काहे कि
ओकरा मिलल ना भाव के अनुरूप काफिया
.. bahut hi sunder ghazal..likht rhin aa bhagwan se ehe prathna ba ki wo uchhai per pahunchi ki raura sathe bhojpuri bhashsa ke bhi kauno pahchan mile..baki t humni sab ke neh rauaa sathe ba..
vineet mishra..
सूरज त साथ छोड़ देवे सांझ होत ही
हमदर्द बन के मन के मुताबिक जरे दिया
भावुक जी के भोजपुरी गजल के क्या कहने. अन्दाज और तेवर शानदार
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