दिल में लेकर वे प्यास बैठीं हैं
और समन्दर के पास बैठी हैं
पालकी के यूँ पास बैठी हैं
सारी सखियाँ उदास बैठी है
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ऑंधियाँ बदहवास बैठी हैं
मौत ने खत्म कर दिये शिकवे
सौतनें आस पास बैठी हैं
बेटे आफ़िस, बहुएँ गईं दफ़्तर
घर सँभाले तो सास बैठी हैं
हो गई खत्म नस्ल रांझों की
हीर सारी उदास बैठी हैं
‘श्याम’ के आसपास बैठी हैं
गोपियाँ कर के रास बैठी हैं
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
nice poem !
पूरी की पूरी ग़ज़ल बहुत अच्छी है, श्याम जी बहुत बहुत बधाई धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ऑंधियाँ बदहवास बैठी हैं
बेहतरीन
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ऑंधियाँ बदहवास बैठी हैं
मौत ने खत्म कर दिये शिकवे
सौतनें आस पास बैठी हैं
bahut khoob ...kya baat hai janab...behaterin
बेटे आफ़िस, बहुएँ गईं दफ़्तर
घर सँभाले तो सास बैठी हैं
आज की तस्वीर बयां करती सशक्त रचना के लिए बधाई!
गजल अच्छी लगी है ा
m nt satisfied.. Ye gazal nhi bhaai..
खुदकुशी ठान ली चिरागों ने
ऑंधियाँ बदहवास बैठी हैं..
wah wah bahut khuub..
हो गई खत्म नस्ल रांझों की
हीर सारी उदास बैठी हैं ..श्याम सखा 'श्याम' बहुत सुन्दर एवं दिलचस्प मित्र..,
सहज शब्दों का प्रयोग और सरल अभिव्यक्ति प्रभावित करती है। अच्छी कविता के लिए बधाई।
आपका तहे दिल से स्वागत है .मक्
This is for you my dear friend..
http://www.youtube.com/watch?v=4C7F_-BFMdY
समय निकाल कर फुरसत से देखिए,सुनिए.. सुहाने गीत ...हिंदी ओल्ड इस गोल्ड .
Enjoy with me real rare Gem.. Mk
http://www.youtube.com/mastkalandr
http://www.youtube.com/9431885
This was a very good gazal. But please exclude the below lines
बेटे आफ़िस, बहुएँ गईं दफ़्तर
घर सँभाले तो सास बैठी हैं
This line brings the level for your gazals considerably down.
One more suggestion, please avoid mentioning your name in each gazal..
Your gazals have a level which is God's gift to you...
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