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Sunday, February 14, 2010

आधा-अधूरा एहसास


अधूरा-सा वादा
अधूरी-सी दोस्ती
अधूरा-सा प्यार
अधूरा-सा विश्वास
अधूरा-सा रिश्ता

जिसके "पूरा" होने की
कोई उम्मीद नहीं
फिर भी...

इतना अपना क्यों है
ये खालीपन...

शायद इसलिए
कि इसके साथ ही
जीना सीख लिया है,

या इसलिए
कि तुम्हारी कमी का
सतत एहसास भी
कहीं न कहीं
तुमसे ही जुड़ता है,

जैसे ये कहना -
"ईश्वर नहीं है"
कहीं न कहीं
ईश्वर के अस्तित्व को
बड़ी ही सहजता से
प्रमाणित कर देता है .

कवयित्री- स्मिता पाण्डेय

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

या इसलिए
कि तुम्हारी कमी का
सतत एहसास भी
कहीं न कहीं
तुमसे ही जुड़ता है,

जैसे ये कहना -
"ईश्वर नहीं है"
कहीं न कहीं
ईश्वर के अस्तित्व को
बड़ी ही सहजता से
प्रमाणित कर देता है .
बहुत सुन्दर भाव हैं ।धन्यवाद इसे पढवाने के लिये।

Aparna Bhatnagar का कहना है कि -

I am a avid reader. I love to read poetry. Aadha Adhoora Ehasas kavita redirects us to those moments which leave us to emptiness. We do not know what will fill the gap and we learn to live in gaps. Isn't it? I also write poetry. One of my collection is going to publish in the market very soon but the future of hindi poetry is still groping in the darkness. Please suggest me how we can turn the tables.

manu का कहना है कि -

स्मिता बेटा,

आखिरी लाईने बहुत अच्छी लगीं...
शुरुआत भी अच्छी है ..पर हमारे लिए ज़रा टेंशन भरी...
सारी रचना अपनी सी लगी है..लेकिन आखिरी लाईनमें हमारी ही बात कही गयी है एक तरह से...

हमारा मानना है के दुनिया में ना तो कोई पूरी तरह से आस्तिक होता है..और ना ही कोई पूरी तरह से नास्तिक...
अगर कोई अपवाद है तो आज तक हमने नहीं देखा सुना...
नास्तिक शायद पूरी तरह से नास्तिक हो सकता है..
लेकिन ...आस्तिक ...............?
हमारा अपना मानना है के हर आस्तिक के मन में ज़रा बहुत संशय रहता ही है....इश्वर के प्रति...

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

सब कुछ अधूरा होने के बाद भी ऐसा लगता है की अधूरा नही है..कभी ना कभी पूरा होगा...
एक खूबसूरत एहसास....
अंत की पंक्तियाँ तो और भी सुंदर बन पड़ी है..

जैसे..

जैसे ये कहना -
"ईश्वर नहीं है"
कहीं न कहीं
ईश्वर के अस्तित्व को
बड़ी ही सहजता से
प्रमाणित कर देता है .

बहुत बहुत शुभकामनाएँ...

Anonymous का कहना है कि -

जैसे ये कहना -
"ईश्वर नहीं है"
कहीं न कहीं
ईश्वर के अस्तित्व को
बड़ी ही सहजता से
प्रमाणित कर देता है .
वाह बहुत ही सुंदर तरीके से बात कही है..ईश्वर है..खूबसूरत एहसासों द्वारा ही उसे महसूस किया जा सकता है जिसे विश्वास नही उसे एहसास भी नही हो सकता..बहुत ही सुंदर भाव के लिये स्मिता बहुत ही आभार और बधाई!

रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि -

निराशावाद में से आशावाद कैसे उकेरा जा सकता है , स्मिता की कविता इसका उदाहरण है .
सुन्दर रचना . बधाई. लेकिन नई पीढ़ी के मन में भी इतना खालीपन ....!!अचंभित हूँ .
-------रवीन्द्र शर्मा 'रवि '

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

खालीपन कितना भरा, भाव भरी सी नाव
मटकत जलपर तैरती, भर आने का चाव
भर आने का चाव अधूरा कितना पूरा
'राघव' विस्मित पढ़ 'स्मित' एहसास अधूरा
ईश्वर का अस्तित्व प्रमाणित करता कण कण
भरा हुआ ब्रह्मांड, भरा कितना खालीपन

Renu goel का कहना है कि -

किसी की यादों में उसकी कमी का अहसास और कमी से उसके अस्तित्व के होने का अहसास ... ये बहुत ख़ूबसूरती से बताया आपने

vivek kumar का कहना है कि -

इतनी कम उम्र में रचनाअाें में इतनी गहराइ, निश्चित ही अाप तारीफ के लायक िलखती हैं । बस मन की सुने अाेर एेसा ही लिखती रहे । माॅं वीण्ापाण्ी का अाश्ाीष हमेश्ाा अाप पर बना रहे ।
विवेक कुमार "अंजान"

rachana का कहना है कि -

smita bahut achchha likhti ho itni chhoti si tum aur itni badi soch kamal hai .

जैसे ये कहना -
"ईश्वर नहीं है"
कहीं न कहीं
ईश्वर के अस्तित्व को
बड़ी ही सहजता से
प्रमाणित कर देता है .
ye padh ke laga tum kavita me bahut badi ho
meri shubhkamnayen
rachana

amita का कहना है कि -

जैसे ये कहना -
"ईश्वर नहीं है"
कहीं न कहीं
ईश्वर के अस्तित्व को
बड़ी ही सहजता से
प्रमाणित कर देता है .
kya khub likha hai smita itni choti se tum kitani bari bari baten likhti ho aise hi likhati raho amita

Anonymous का कहना है कि -

Dimag Bhi to adha hota hai kisi ka.
Ye kavita Aadhey Dimag Walo Pathko key liye hai.

Anonymous का कहना है कि -

Dimag Bhi to adha hota hai kisi ka.
Ye kavita Aadhey Dimag Walo Pathko key liye hai.
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